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Saturday, 18 May, 2024
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केश कला बोर्ड — 4 साल बाद भी AAP सरकार ने नाइयों के लिए वादा किया गया कल्याण बोर्ड नहीं किया स्थापित

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि ‘केश कला बोर्ड’ कौशल विकास, उन्नत ट्रेनिंग और वित्तीय सहायता के जरिए नाइयों के लिए कल्याणकारी उपायों को सुविधाजनक बनाने के लिए समर्पित होगा.

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नई दिल्ली: 27 साल से फैज़ान अहमद दक्षिणपूर्वी दिल्ली के सुखदेव विहार में नाई का काम कर रहे हैं. उनका कहना है कि यह काम आसान नहीं है — कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान हुए वित्तीय नुकसान के कारण वो ऐसे समय में किसी भी कर्मचारी का खर्च उठाने में असमर्थ हो गए हैं, जब सेवाओं के मामले में ग्राहकों की ज़रूरतें बढ़ गई हैं.

50-वर्षीय अहमद का कहना है कि उनका समुदाय — सलमानियां, जो परंपरागत रूप से हेयरड्रेसिंग और केश संवारने के शिल्प में शामिल हैं — को दिल्ली में सरकारों ने उनके हाल पर छोड़ दिया है. अहमद ने कहा, “AAP के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार से भी कोई मदद नहीं मिली है.”

यह एक प्रकार की विडंबना है.

2019 में नाई समुदाय तक पहुंचते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक ‘केश कला बोर्ड’ की स्थापना की घोषणा की थी, जो कौशल विकास, उन्नत ट्रेनिंग और वित्तीय सहायता के जरिए उनके लिए कल्याणकारी उपायों को सुविधाजनक बनाने के लिए समर्पित था.

इसका उद्देश्य राजधानी के नाइयों को आधुनिक तकनीकों के साथ बने रहने और अधिक कमाई करने में मदद करना था.

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हालांकि, दिल्ली कैबिनेट द्वारा बोर्ड के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दिए जाने के लगभग चार साल बाद, अहमद को इसके संविधान के बारे में और यह वास्तव में अस्तित्व में है या नहीं, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है और इसी तरह शहर के अन्य नाई भी इससे अनजान हैं.

आज़ाद नाई एसोसिएशन दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष मोहम्मद इमरान सलमानी (58) के अनुसार, शहर में लगभग 1.5 लाख नाई हैं, जिनमें से “लगभग 70 प्रतिशत सलमानी समुदाय से हैं”.

उन्होंने कहा, “मैं सलमानी समुदाय से हूं और हम परंपरागत रूप से हेयरड्रेसिंग और ग्रूमिंग के काम से जुड़ा हूं.”

अहमद ने कहा, “मैं कहूंगा कि शहर में बहुत सारे नाई इसी समुदाय से आते हैं, लेकिन इसे एक तरफ रखते हुए, सैलून की अवधारणा पिछले कुछ वर्षों में विकसित हुई है. अब, किसी को कौशल बढ़ाने की ज़रूरत है, एक साधारण बाल कटवाना और शेव करना ग्राहक के लिए पर्याप्त नहीं है और एयर कंडीशनर का होना ज़रूरी है.”

जब दिप्रिंट ने राजेंद्र पाल गौतम से संपर्क किया, जो 2019 में बोर्ड की घोषणा के समय समाज कल्याण, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कैबिनेट मंत्री थे, तो उन्होंने कहा कि उस समय शहर में नाइयों की कुल संख्या का आकलन करने के लिए “सर्वे किया गया था”.

जब उनसे अधिक जानकारी मांगी गई, तो उन्होंने कहा कि सर्वे के निष्कर्ष विभाग को सौंपे गए थे और सार्वजनिक रूप से प्रकट नहीं किए गए थे. उन्होंने कहा, “अब मेरे पास विभाग नहीं है, आपको वर्तमान मंत्री से संपर्क करना होगा.”

उनके उत्तराधिकारी राज कुमार आनंद ने कहा, “(केश कला) बोर्ड स्थापित होने के बाद सर्वे किया जाएगा.” उन्होंने कहा कि सरकार की उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के साथ चल रही खींचतान के कारण बोर्ड की स्थापना में देरी हुई है.

जब उल्लेख किया गया कि प्रस्ताव को 2019 में सक्सेना के दिल्ली आने से पहले मंजूरी दे दी गई थी, आनंद ने कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी और कहा कि वो बाद में जवाब देंगे. हालांकि, कई बार फोन करने के बावजूद उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.

समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, आनंद ने जुलाई में केश कला बोर्ड की स्थापना के प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी थी और इसे अंतिम मंजूरी के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पास भेजा गया था.

हालांकि, दिल्ली सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि बोर्ड की स्थापना की फाइल 2019 से ही “विभाग के भीतर चक्कर लगा रही है”.

दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “बोर्ड के लिए पदों के सृजन के संबंध में आज तक कोई प्रस्ताव नहीं दिया गया है. अगर यह बनाया गया होता, तो हम प्रस्ताव का अध्ययन करते और उसे वापस कर देते.”

दिप्रिंट ने टिप्पणी के लिए ईमेल द्वारा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से संपर्क किया है. उनसे प्रतिक्रिया मिलने पर इस खबर को अपडेट कर दिया जाएगा.

 


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कोई स्पष्टता नहीं

जबकि अहमद के लिए महामारी के दौरान हुए नुकसान ने उन्हें अपने सैलून में कर्मचारियों से छुटकारा पाने के लिए मजबूर किया, रोशन कुमार ठाकुर (29) जैसे सड़क किनारे के नाई अनिश्चितता का सामना कर रहे थे.

उन्होंने कहा, “मैंने अस्पष्ट रूप से सुना है कि दिल्ली सरकार विशेष रूप से नाइयों के लिए कुछ कल्याण प्रदान करेगी.”

उन्होंने आगे कहा, “लेकिन न तो मैं इस बारे में अधिक जानकारी जुटा पाया हूं और न ही सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में इसके बारे में कुछ ठोस कहा है.”

कुमार का अस्थायी ‘सैलून’ — जो पिछले नौ वर्षों से शहर के भारत नगर के पास एक फुटपाथ पर स्थित है – में एक कुर्सी, एक शीशा और कुछ ज़रूरी उपकरणों के अलावा कुछ भी नहीं है. यहां 20 रुपए में शेविंग कराई जा सकती है.

दस कदम आगे एक और ऐसा सेट-अप है, जो आज़ाद द्वारा चलाया जाता है, जिन्होंने यह भी कहा कि वो सरकार द्वारा वादा किए गए कल्याणकारी उपायों के बारे में काफी हद तक अनजान हैं.

अहमद, आज़ाद और ठाकुर के लिए, सरकार द्वारा कल्याण घोषणा का कोई महत्व नहीं है, मुख्यतः जानकारी की कमी के कारण.

लेकिन इमरान के लिए मामला अलग है, जिन्होंने 1996 में नाइयों के कल्याण के लिए अपना संघ पंजीकृत किया था. इमरान ने कहा कि आखिरी ठोस कल्याण उपाय 2010 में तत्कालीन शीला दीक्षित सरकार द्वारा दिया गया था.

उन्होंने कहा, “नाइयों को ट्रेनिंग दी गई थी, इसमें सिरी फोर्ट के पास एक संस्थान में सैद्धांतिक पाठ और उसके बाद सैलून में व्यावहारिक कक्षाएं शामिल थीं.” उन्होंने बताया, “यह एक सर्टिफिकेट कोर्स था, लेकिन 2011 में यह प्रोग्राम बंद कर दिया गया.”

इसके बाद के वर्षों में इमरान ने अपने साथी समुदाय के सदस्यों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने के लिए सरकार से संपर्क किया, “और जब केश कला बोर्ड के गठन के प्रस्ताव को कैबिनेट द्वारा मंजूरी दे दी गई तो कुछ राहत मिली.”

AAP की वेबसाइट पर 5 नवंबर 2019 को जारी एक विज्ञप्ति में पार्टी ने लिखा है कि सलमानी समुदाय के “सैकड़ों” नाई “केश कला बोर्ड” के गठन के लिए “धन्यवाद” देने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर गए थे.

विज्ञप्ति में यह भी कहा गया है कि बोर्ड के सदस्यों को उक्त समुदाय से लिया जाएगा, ताकि इसके सुचारू कामकाज को सुनिश्चित किया जा सके और “समुदाय की मांगों को सरकार तक पहुंचाया जा सके.”

इमरान ने उस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था जिसने मुख्यमंत्री को “धन्यवाद” दिया था. लगभग चार साल बाद दिप्रिंट से बात करते हुए उन्होंने कहा कि शुरुआती घोषणा के बाद “सरकार ने कोई काम नहीं किया है”.

उन्होंने कहा, “चार साल हो गए हैं और हमें सरकार से कोई मदद नहीं मिली है. न ही बोर्ड के साथ क्या हो रहा है, इस पर अपडेट है.” पूर्वी दिल्ली के मुस्तफाबाद में रहने वाले इमरान ने कहा, “हम सरकार द्वारा किए गए वादों पर भरोसा कर रहे हैं.”

इमरान ने कहा कि उन्होंने उपरोक्त पीटीआई रिपोर्ट के आधार पर उन्हें धन्यवाद देने के लिए आनंद का दौरा भी किया था, लेकिन बोर्ड का गठन कब किया जाना है, इसकी समयसीमा पर अभी तक कोई स्पष्टता नहीं है.

(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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