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Monday, 4 November, 2024
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‘हुक्का पानी बंद’- हरियाणा में खाप की बात न मानने पर 9 परिवारों को सामाजिक बहिष्कार क्यों झेलना पड़ा

निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान की अध्यक्षता वाली खाप पंचायत ने गांव में जलभराव को रोकने के लिए चरखी में धान की खेती पर प्रतिबंध लगा दिया था. खाप का आदेश नहीं मानने वाला परिवार अब समाजिक बहिष्कार का सामना कर रहा है.

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चरखी दादरी (हरियाणा): 2 और 3 जुलाई की मध्यरात्रि को विक्रम सांगवान ने हरियाणा के चरखी दादरी जिले के चरखी गांव में अपने घर की छत से फांसी लगाकर आत्महत्या का प्रयास किया. 28 वर्षीय व्यक्ति ने कहा कि खाप पंचायत के आदेश के कारण उसके परिवार का हुए सामाजिक बहिष्कार और “अपमान” के कारण उसे ऐसा कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा.

वह गांव के उन नौ परिवारों में से एक हैं, जो धान की फसल की बुआई पर प्रतिबंध लगाने के खाप के आदेश की “अवज्ञा” करने के कारण ‘हुक्का पानी बंद’ या पूर्ण बहिष्कार का सामना कर रहे हैं. गांव में जलभराव के कारण खाप पंचायत ने धान की खेती पर प्रतिबंध लगा दिया था. 

विक्रम को आत्महत्या करने का प्रयास करते हुए उसकी मां ने देखा और उसे तुरंत चरखी दादरी सिविल अस्पताल ले जाया गया और बाद में उसे रोहतक के एक अस्पताल में बेहतर इलाज के लिए ट्रांसफर कर दिया गया. रोहतक में ही पुलिस ने उसका बयान दर्ज किया.

विक्रम ने दिप्रिंट को बताया, “जब खाप पंचायत ने 2 जुलाई को हमारे खिलाफ अपना फरमान सुनाया, तो यह मेरे और मेरे परिवार के लिए अपमानजनक था.”

उसने कहा, “उस दिन के बाद गांव के मेरे दोस्त, जिनके साथ मैं आमतौर पर गपशप करता था और हंसी मजाक करता था, जब वे मेरे घर के सामने से गुजर रहे थे तो उन्होंने मुझे नजरअंदाज कर दिया. फिर, जब मैं किराने का सामान खरीदने के लिए हमारे घर के पास एक दुकान पर गया, तो दुकानदार ने खाप पंचायत के आदेशों का हवाला देते हुए मुझे कुछ भी बेचने से इनकार कर दिया. यह सब बहुत निराशाजनक और परेशान करने वाला था. मैंने मन ही मन सोचा कि मैं यहां इस गांव में अपना जीवन कैसे बिताऊंगा? ऐसे जीवन का क्या मतलब?”

दिप्रिंट ने गुरुवार को चरखी का दौरा कर यह जानने की कोशिश की कि प्रतिबंध ने गांव को कैसे प्रभावित किया है.

चरखी दादरी जिला मुख्यालय से छह किलोमीटर दूर स्थित है यह गांव दो नहरों- इंदिरा गांधी नहर और कितलाना माइनर के बीच स्थित है. चरखी की ओर गाड़ी से जाने पर बाईं ओर हरे-भरे धान के खेत और दाईं ओर कपास की सूखती फसल आपका स्वागत करती है.

Fields in Charkhi village | Photo by Mahira Khan, ThePrint
चरखी में हरे-भरे धान के खेत | फोटो: माहिरा खान | दिप्रिंट

धान उगाने वाले नौ परिवार अब हमेशा डर के साये में रहते हैं. दिप्रिंट से बात करते हुए, इन परिवारों की महिलाओं ने कहा कि वे हमेशा अपने घरों के पुरुषों को लेकर चिंतित रहती हैं जो रोजाना खेतों में काम करने जाते हैं.

इस बीच, दिप्रिंट ने गांव में जिन दुकानदारों से बात की, उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि उनके पास खाप पंचायत के आदेश का पालन करने के अलावा “कोई विकल्प नहीं” है.

जब दिप्रिंट ने उनकी दुकान पर पहुंचा तो राम किशन ने कहा, ”सरपंच ने मुझे विशेष रूप से बुलाया और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि बहिष्कार का सामना कर रहे परिवारों को कुछ भी न बेचा जाए क्योंकि मेरी दुकान उनके घरों के बहुत करीब है.”

खाप पंचायतें, जो हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर जाट समुदाय के बीच प्रचलित हैं, गोत्र (कबीला) आधारित पंचायतें हैं जिनके पीछे कोई वैधानिक या संवैधानिक शक्ति नहीं है. सांगवान खाप, जिसने यह फरमान जारी किया है, उसके अंतर्गत 40 गांव हैं और इसका नेतृत्व चरखी दादरी से निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान कर रहे हैं.

चरखी के रहने वाले सोमबीर सांगवान ने मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली राज्य की भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार को अपना समर्थन दिया है. वह उन चार निर्दलीय विधायकों में भी शामिल थे, जिन्होंने पिछले महीने बीजेपी और सहयोगी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के बीच संबंधों में तनाव आने के बाद खट्टर के प्रति अपना समर्थन व्यक्त करने के लिए बीजेपी के राज्य प्रभारी बिप्लब कुमार देब से मुलाकात की थी.

दिप्रिंट को पता चला है कि 7 मई को विधायक सोमबीर सांगवान और गांव के सरपंच भूपिंदर सांगवान की अध्यक्षता में खाप पंचायत की एक बैठक चरखी में हुई थी, जहां धान की रोपाई पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया गया था.

खाप पंचायत ने यह भी फरमान जारी किया कि जो कोई भी आदेशों की अवहेलना करेगा, उसका पूर्ण बहिष्कार किया जाएगा, यानी कोई भी ग्रामीण उनसे बात नहीं करेगा और कोई भी दुकानदार उन्हें कुछ नहीं बेचेगा.

गांव के परिवारों ने दिप्रिंट को बताया कि 2 जुलाई को हुई खाप पंचायत की एक अन्य बैठक में धान प्रतिबंध की अवहेलना करने वाले नौ परिवारों के सामाजिक बहिष्कार की घोषणा की गई. बहिष्कृत सभी परिवार सांगवान गोत्र के हैं.

प्रभावित परिवारों में से एक के मुखिया कुलदीप सांगवान ने कुछ अन्य लोगों के साथ, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की है, जिसमें खाप पंचायत के सदस्यों पर उनकी बात न मानने पर परिवारों को “गंभीर परिणाम” भुगतने की धमकी देने का आरोप लगाया गया है. उन्होंने याचिका में स्थानीय पुलिस और अधिकारियों पर न्याय देने के प्रति विफलता का भी आरोप लगाया है और मांग की है कि स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया जाए, जिसमें चरखी दादरी जिले के बाहर के आईजी (महानिरीक्षक) रैंक के अधिकारी शामिल हो. 

दिप्रिंट ने याचिका की प्रति देखी है.

हालांकि, दिप्रिंट से बातचीत में सोमबीर सांगवान ने किसी भी तरह के बहिष्कार की घोषणा से इनकार किया.

उन्होंने कहा, ”सामाजिक बहिष्कार की शिकायतें बिल्कुल झूठी हैं. ग्रामीण अपने घरों को जलभराव और धान में इस्तेमाल होने वाले कीटनाशकों के उपयोग से होने वाली अन्य समस्याओं से बचाने के लिए धान नहीं बोने के सामूहिक निर्णय का पालन कर रहे हैं. लेकिन किसी ने किसी को अपने खेतों से धान नहीं लगाने के लिए मजबूर नहीं किया है.”

एचसी ने सोमबीर सांगवान, सरपंच भूपिंदर सांगवान, चरखी दादरी पुलिस अधीक्षक (एसपी) निकिता गहलौत और खाप पंचायत के चार अन्य सदस्यों को नोटिस जारी किया है. दिप्रिंट ने एचसी द्वारा जारी की गई नोटिस देखी है. याचिका 4 अगस्त को सुनवाई के लिए तय की गई है.

विक्रम के आत्महत्या के प्रयास के बारे में दिप्रिंट से बात करते हुए, एसपी गहलौत ने कहा, “उस पर आईपीसी की धारा 309 के तहत मामला दर्ज किया जा सकता था, लेकिन पुलिस ने यह सोचकर उदारता दिखाई कि पीड़ित पहले से ही परेशान होगा.”

खाप ने धान की खेती पर क्यों लगाया प्रतिबंध?

चरखी के सरपंच भूपिंदर सांगवान ने दिप्रिंट को बताया कि धान पर प्रतिबंध “नया नहीं” है और पिछले 12 वर्षों से लागू है. उन्होंने कहा कि बाढ़ को रोकने के लिए गांव साल-दर-साल सामूहिक रूप से यह निर्णय लेता रहा है.

उन्होंने कहा, “हमारा क्षेत्र करनाल, कैथल, कुरूक्षेत्र, फतेहाबाद या सिरसा जैसा धान का क्षेत्र नहीं है. कुछ परिवार गांव के दोनों किनारों पर बहने वाली दो नहरों से पानी चुराते हैं और धान बोते हैं, लेकिन पूरे गांव को इसका परिणाम भुगतना पड़ता है क्योंकि धान की खेती के कारण पिछले कुछ वर्षों में गांव के जल स्तर में वृद्धि हुई है, जिससे गांव में बाढ़ आ जाती है.”

उन्होंने आगे कहा, “जब बारिश होती है, तो पानी धान के खेतों से, जो पहले से ही फसल की सिंचाई के लिए आवश्यक पानी से भरे हुए होते हैं, घरों की ओर बहने लगता है.”

भूपिंदर सांगवान के अनुसार, चरखी निचले भूभाग में बसा है और इसका जल स्तर बहुत ऊंचा है.

उन्होंने कहा, “यहां तक ​​कि सूखे महीने माने जाने वाले अप्रैल और मई के दौरान भी, हमारे गांव में केवल पांच से छह मीटर तक खुदाई करके पानी मिल जाता है. आज, हमारे गांव में सड़कों पर जमा हुए बारिश के पानी को निकालने के लिए 30 से 35 मोटरें काम कर रही हैं. यदि सभी किसान धान की रोपाई करेंगे, तो चोया चलना (भूमिगत पानी की क्षैतिज गति, या पार्श्व प्रवाह) के कारण पूरे गांव में बाढ़ आ जाएगी.”

Bhupinder Sangwan, Charkhi village sarpanch | Photo by Mahira Khan, ThePrint
चरखी के सरपंच भूपिंदर सांगवान | फोटो: माहिरा खान | दिप्रिंट

उन्होंने धान उगाने वाले परिवारों के खिलाफ किसी भी सामाजिक बहिष्कार की घोषणा से भी इनकार किया. उन्होंने कहा कि यहां परिवारों के लिए धान की खेती न करने के इस आम फैसले के खिलाफ जाने वाले किसी भी व्यक्ति को “सबक सिखाने” के लिए उनसे बात करना बंद कर देना आम बात है.

हालांकि, दिप्रिंट ने जिन धान किसानों से बात की, उन्होंने कहा कि वे इसकी फसल उगाते हैं क्योंकि चरखी की ज़मीन इसके लिए “अच्छी तरह से अनुकूल” है.


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विक्रम सांगवान ने कहा, “आप कपास के फसल को देखिए. यह खाप पंचायत के आदेश के कारण कुछ ग्रामीणों द्वारा उगाई गई थी, लेकिन पानी जमा होने के कारण यह लगभग सूख गई है. जब तक कपास की कटाई का मौसम आएगा, तब तक खेतों में कोई पौधा नहीं बचेगा क्योंकि कपास की फसलें लंबे समय तक रुके हुए पानी को बर्दाश्त नहीं कर सकती हैं. यही कारण है कि हमने बासमती धान की पीबी-1121 किस्म लगाई है ताकि हमें अपनी उपज पर अच्छा रिटर्न मिल सके.”

विक्रम के अनुसार, स्थानीय विधायक और सरपंच, जो गांव के प्रमुख परिवारों से आते हैं, उन्हें उनके जैसे आम किसानों को मुनाफा कमाते देखना पसंद नहीं है.

खाप पंचायत के फरमान से प्रभावित एक अन्य किसान राज कुमार सांगवान ने कहा, “जिन लोगों ने कपास बोया है, वे अंततः उन्हें कुछ नहीं मिलेगा. उन्हें सरकार से फसल के नुकसान के मुआवजे के लिए सोमबीर सांगवान और सरपंच भूपिंदर सांगवान की दया पर निर्भर रहना होगा. यह उनके राजनीतिक हितों के अनुकूल है.”

धान की खेती करने वाले एक अन्य किसान हंस राज, जिन्हें गांव में हंसा पहलवान के नाम से जाना जाता है, ने कहा कि ग्रामीणों को धान लगाने से रोकने का कोई तर्क नहीं है. उन्होंने कहा, “सरपंच और सोमबीर सांगवान ने इस मुद्दे को सिर्फ मूंछ का सवाल बना दिया है.”

‘गांव का आंतरिक मामला’

दिप्रिंट से बात करते हुए, चरखी दादरी की जिला अदालत में वकील दीपक सांगवान, जो रिट याचिका दायर करने वाले परिवारों की मदद कर रहे हैं, ने आरोप लगाया कि पुलिस सोमबीर के दबाव में है और धान उगाने वाले किसानों की शिकायतों पर कार्रवाई करने से इनकार कर रही है.

दीपक के मुताबिक 10 मई को याचिकाकर्ता कुलदीप सांगवान और 13 अन्य ने एसपी गहलौत से मुलाकात कर शिकायत की गई थी कि सोमबीर, भूपिंदर सांगवान और उनके समर्थक धमकी और डर का माहौल बना रहे हैं. दीपक ने कहा, “30 मई को, एसपी द्वारा मामले की जांच करने के लिए कहे गए एसएचओ सदर ने एक रिपोर्ट सौंपी कि अभी तक किसी ने भी कुलदीप सांगवान और अन्य परिवारों को धान बोने से नहीं रोका है, और अगर भविष्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है, तो वे शिकायत दर्ज कर सकते हैं.”

उन्होंने कहा, “30 जून को, जब मेरा मुवक्किल खेती करने वाले उपकरण को लेकर अपने खेतों में गया, तो उन्हें सरपंच और उनके समर्थकों द्वारा गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी गई. तुरंत, मेरे मुवक्किलों ने सुरक्षा की मांग करते हुए 1 जुलाई को एसपी के पास एक और आवेदन दिया, लेकिन अगले दिन, 2 जुलाई को एक और खाप पंचायत आयोजित की गई, जिसमें मेरे मुवक्किलों और अन्य परिवारों, जिन्होंने अपने खेतों में धान बोया है, को बहिष्कृत करने की घोषणा की गई. पुलिस ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है.”

हालांकि, एसपी गहलौत ने दिप्रिंट को बताया कि पुलिस को पहले सामाजिक बहिष्कार की कोई शिकायत नहीं मिली. उन्होंने कहा कि लेकिन बाद जैसे ही उन्हें शिकायत मिली कि पंचायत ने धान की बुआई के खिलाफ फरमान जारी किया है, उन्होंने सदर पुलिस स्टेशन के SHO कप्तान सिंह को दोनों पक्षों के बीच किसी तरह का समझौता कराने का निर्देश दिया.

गहलौत ने कहा, “एसएचओ ने एक रिपोर्ट सौंपी है कि कुलदीप सांगवान और अन्य लोगों द्वारा लगाई गई धान की फसल उनके खेतों में खड़ी है और किसी ने उन्हें अपनी फसल उखाड़ने के लिए मजबूर नहीं किया है.”

उन्होंने कहा कि उनके रिकॉर्ड के अनुसार, केवल 10 परिवार हैं जो चरखी में धान उगा रहे हैं. उन्होंने कहा, “लेकिन उन्हें किसी बात से डरने की जरूरत नहीं है.”

एसपी ने कहा कि पुलिस की प्रमुख चिंता यह सुनिश्चित करना है कि कानून-व्यवस्था की कोई समस्या न हो और वे स्थिति पर नजर रखे हुए हैं. हालांकि, उन्होंने कहा कि प्रतिबंध स्वयं “गांव का आंतरिक मुद्दा” है.

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)


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