कोलकाता: पश्चिम बंगाल में त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में अपने प्रतिद्वंद्वियों को पीछे छोड़ते हुए सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने 63,229 ग्राम पंचायतों में से 12,518 सीट पर जीत दर्ज कर ली है जबकि अन्य 3,620 पंचायतों में उसके उम्मीदवार आगे हैं. राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) के अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि तृणमूल कांग्रेस की निकटतम प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 2,781 सीट पर जीत दर्ज की है और 915 पर उसके उम्मीदवार आगे हैं. वाम मोर्चा ने 959 सीट जीती हैं जिनमें से अकेले मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने 910 सीट पर जीत दर्ज की है. माकपा इस समय 550 सीट पर आगे है, जबकि कांग्रेस ने 625 सीट पर जीत दर्ज की है तथा 276 अन्य पर आगे है.
अधिकारियों के मुताबिक नवगठित इंडियन सेकुलर फ्रंट (आईएसएफ) सहित अन्य पार्टियों ने 219 सीट पर जीत दर्ज की है और 70 पर बढ़त बनाए हुए हैं जबकि तृणमूल कांग्रेस के बागियों सहित निर्दलीय 718 सीट पर जीते हैं और 216 पर बढ़त बनाए हुए हैं.
अधिकारियों ने बताया कि करीब 74,000 सीट पर हुए त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव के लिए वोटों की गिनती कड़ी सुरक्षा के बीच मंगलवार सुबह आठ बजे शांतिपूर्ण ढंग से जारी है. इनमें ग्राम पंचायत सीट के अलावा 9,730 पंचायत समिति की सीट और 928 जिला परिषद सीट शामिल हैं.
राज्य के 22 जिलों में करीब 339 मतगणना केंद्र बनाए गए हैं. राज्य में करीब 74,000 सीट पर पंचायत चुनाव हुए थे. सबसे अधिक 28 मतगणना केंद्र दक्षिण 24 परगना जिले में है, जबकि सबसे कम चार मतगणना केंद्र कालिम्पोंग में हैं.
राज्य निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘सुबह आठ बजे शुरू हुई मतगणना के अगले दो दिन जारी रहने की उम्मीद है. मतों की गिनती और नतीजे आने में वक्त लगेगा.’’
दार्जीलिंग में कुल 598 सीट हैं जबकि कालिम्पोंग में कुल 281 सीट हैं. इनमें 21 पर भारतीय गोरखा प्रजातांत्रिक मोर्चा (बीजीपीएम) बढ़त बनाए हुए है जबकि भाजपा एक पर और निर्दलीय चार पर बढ़त बनाए हुए हैं.
सभी मतगणना केंद्रों पर राज्य पुलिस तथा केंद्रीय बलों के सशस्त्र कर्मी तैनात हैं और किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए मतगणना केंद्रों के बाहर दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 लागू की गई है. 22 जिलों में कुल 767 ‘स्ट्रांगरूम’ स्थापित किए गए हैं.
विभिन्न मतगणना स्थल पर प्रत्याशियों के समर्थक बड़ी संख्या में जमा हुए हैं. कई जिलों में तृणमूल कांग्रेस समर्थकों ने नाचकर, एक दूसरे को गले लगाकर और हरा गुलाल लगाकर जीत का जश्न मनाया.
पंचायत चुनाव के शुरुआती रुझानों के साथ तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच जुबानी जंग भी शुरू हो गई है. भाजपा ने राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी पर ‘‘ मतों की लूट करने और मतगणना केंद्र में विरोधियों के मतगणना एजेंट को प्रवेश करने से रोकने का आरोप लगाया.’’
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने कहा, ‘‘तृणमूल कांग्रेस के गुंडे भाजपा और अन्य विपक्षी दलों के मतगणना एजेंट को मतगणना केंद्रों में प्रवेश करने से रोककर जनमत की चोरी करने का प्रयास कर रहे हैं. मतगणना एजेंटों को केंद्रों में जाने से रोका जा रहा है और बमबाजी कर उन्हें धमकाया जा रहा है.’’
भाजपा के आरोपों को खारिज करते हुए तृणमूल कांग्रेस प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, ‘‘हार की आशंका की वजह से वे आधारहीन आरोप लगा रहे हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ जनता द्वारा खारिज किए जाने के बाद शर्मनाक हार का आभास होने पर भाजपा अपनी संगठनात्मक अक्षमता छिपाने की आखिरी कोशिश कर रही है.’’
पश्चिम बंगाल में शनिवार को हुए पंचायत चुनाव में व्यापक पैमाने पर हिंसा हुई थी जिसमें 15 लोगों की मौत हो गयी. मतदान के दौरान मत पेटियां लूटी गयीं, मतपत्रों में आग लगायी गयी और कई स्थानों पर प्रतिद्वंद्वियों पर बम भी फेंके गए.
शनिवार को हुए चुनाव में 80.71 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि सोमवार को राज्य के जिन 696 मतदान केंद्रों पर पुनर्मतदान हुआ, वहां शाम पांच बजे तक 69.85 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया.
हिंसा और मतपेटियों से छेड़छाड़ की खबरें आने के बाद इन मतदान केंद्रों पर फिर से मतदान कराने का फैसला किया गया था.
राज्य के ग्रामीण इलाकों की 73,887 सीट के लिए शनिवार को हुए मतदान में 5.67 करोड़ लोग मतदान करने के पात्र थे.
पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के दौरान हिंसा का इतिहास रहा है. राज्य में 2003 में हुए पंचायत चुनाव के दौरान 76 लोगों की मौत हो गयी थी जिनमें से करीब 40 लोगों की मौत मतदान वाले दिन हुई थी.
बहरहाल, इस बार विपक्षी दलों ने 90 प्रतिशत से अधिक सीट पर उम्मीदवार उतारे हैं. 2018 के पंचायत चुनाव में तृणमूल ने 34 प्रतिशत सीट पर निर्विरोध चुनाव जीता था. उस समय तृणमूल ने 90 प्रतिशत सीट पर जीत दर्ज की थी.
यह भी पढ़ें: झारखंड में दो और नेता थे अध्यक्ष बनने को तैयार, फिर बाबूलाल मरांडी ही क्यों?