अहमदाबाद: गुजरात के एक आईएएस अधिकारी ने शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा है कि अगर आदिवासियों को ऐसी ही शिक्षा दी जाती रही तो उनकी आने वाली पीढ़ियां मजदूरी ही करती रहेंगी.
आईएएस ने यह भी दावा किया है कि छोटा उदयपुर जिले के कुछ प्राथमिक विद्यालयों के छात्र एक शब्द तक नहीं पढ़ पाते हैं और न ही गणित के सरल सवाल ही हल कर पाते हैं.
अधिकारी के दावा करने के बाद राज्य शिक्षा विभाग ने अपने अधिकारियों से इस पर रिपोर्ट मांगी है.
गांधीनगर में भूविज्ञान और खनन आयुक्त के रूप में कार्यरत आईएएस अधिकारी धवल पटेल ने आदिवासी बहुल छोटा उदयपुर जिले में शिक्षा की स्थिति पर आश्चर्य और पीड़ा व्यक्त की.
पटेल ने 16 जून को शिक्षा विभाग को भेजे गए एक पत्र में आदिवासी बच्चों को दी जा रही शिक्षा को “दोषपूर्ण” बताया और दावा किया कि ऐसी शिक्षा से आदिवासियों की अगली पीढ़ी मजदूर के रूप में ही काम करती रहेगी और जीवन में कभी प्रगति नहीं कर सकेगी.
राज्य के शिक्षा मंत्री कुबेर डिंडोर ने सोमवार को कहा कि उन्होंने पटेल द्वारा की गई टिप्पणियों के बारे में अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है. डिंडोर, कैबिनेट मंत्री के रूप में आदिवासी विकास विभाग का भी प्रभार संभाल रहे हैं.
डिंडोर ने गोधरा में एक कार्यक्रम में संवाददाताओं से कहा, “मैंने अपने विभाग के अधिकारियों से एक विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है ताकि हम आवश्यक बदलाव कर सकें. सुदूर आदिवासी इलाकों में कुछ मुद्दे हैं. मैं भी उसी क्षेत्र का हूं. छात्रों के अभिभावकों में भी जागरूकता की कमी है. हम उन्हें जागरूक करने का प्रयास करेंगे और जहां भी आवश्यकता होगी, कमियां पूरी करेंगे.”
पटेल, उन आईएएस अधिकारियों में से एक हैं, जिन्हें राज्य सरकार द्वारा सौंपे गए सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में समग्र शिक्षा परिदृश्य का मूल्यांकन करने के लिए ‘शाला प्रवेशोत्सव’ अभियान के तहत विभिन्न जिलों में भेजा गया था.
पटेल की टिप्पणियों के बारे में पूछे जाने पर गुजरात के शिक्षा राज्य मंत्री प्रफुल्ल पंशेरिया ने कहा कि आईएएस अधिकारियों के अलावा अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को क्षेत्र में भेजने का उद्देश्य खामियां ढूंढना है ताकि उन्हें दूर किया जा सके.
पटेल ने 16 जून को शिक्षा सचिव विनोद राव को भेजे गए पत्र में कहा कि उन्होंने ‘शाला प्रवेशोत्सव’ अभियान के तहत 13 और 14 मार्च को आदिवासी बहुल छोटा उदयपुर जिले के छह अलग-अलग सरकारी प्राथमिक विद्यालयों का दौरा किया.
पटेल ने कहा कि छह में से पांच स्कूलों में “शिक्षा का बेहद निम्न स्तर” देखने के बाद उन्हें अपने आपमें अपराध बोध हुआ.
पटेल ने तिमला प्राथमिक विद्यालय के अपने दौरे को याद करते हुए पत्र में कहा, “कक्षा-8 के छात्र एक शब्द के प्रत्येक अक्षर को अलग-अलग पढ़ रहे थे क्योंकि वे पूरा शब्द नहीं पढ़ सकते थे. उन्हें सरल गणितीय गणना करने में कठिनाई हो रही थी.”
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