शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाना हमेशा मोदी सरकार की मुख्य प्राथमिकताओं में से एक रहा है, इसलिए भारत की शिक्षा प्रणाली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नौ सालों के कार्यकाल के दौरान अभूतपूर्व परिवर्तनों की एक श्रृंखला देखी है. देश के युवाओं को सशक्त बनाने और उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की दृष्टि से सरकार ने शिक्षा परिदृश्य को सुधारने के लिए कई महत्त्वपूर्ण पहलों को लागू किया है. सरकार द्वारा उठाए गए प्रमुख कदमों में से एक शैक्षिक क्षेत्र में अभूतपूर्व बदलाव रहा – देश में 34 साल बाद लाई गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 भारत के शिक्षा क्षेत्र में एक परिवर्तनकारी लहर लेकर आई है. इस ऐतिहासिक नीति ने शिक्षा व्यवस्था में सुधार की महत्वपूर्ण आवश्यकताओं को पहचानकर एक समग्र और समावेशी शिक्षा प्रणाली की नींव रखी है. एनईपी 2020 के प्रमुख पहलुओं में से एक बहु-विषयक दृष्टिकोण की ओर बदलाव है, जिसमें कला, विज्ञान और व्यावसायिक विषयों के एकीकरण पर जोर दिया गया है. यह नीति छात्रों के बीच महत्वपूर्ण सोच, रचनात्मकता और समस्या को सुलझाने के कौशल को बढ़ावा देने पर भी ध्यान केंद्रित करती है.
NEP 2020
इस नीति में एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू “प्रारंभिक बाल्यवस्था देखभाल और शिक्षा” पर भी जोर दिया जा रहा है, प्रारंभिक वर्षों में ही एक मजबूत नींव के महत्व को पहचानकर बच्चों के मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता ज्ञान को विकसित करने पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जा रहा है. NEP 2020 का उद्देश्य रटकर सीखने की प्रक्रिया और परीक्षाओं के बोझ को कम कर अधिक व्यापक मूल्यांकन प्रणाली को बढ़ावा देना है. इसके साथ ही, यह शिक्षा में टेक्नोलॉजी के उपयोग को बढ़ावा देकर छात्रों के बीच डिजिटल पृथक्करण को कम करने की ओर अग्रसर है.
शिक्षक प्रशिक्षण भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रमुख उद्देश्यों में से एक है. यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि हम शिक्षकों के मौजूदा कौशल को बढ़ाने के लिए आवश्यक संसाधनों को उपलब्ध कराएं क्योंकि बदलती दुनिया से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए हमारे बच्चों को तैयार करने की जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर है. शिक्षक-प्रशिक्षण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके लिए बहु-विषयक दृष्टिकोण और ज्ञान, स्वभाव और मूल्यों के निर्माण और सर्वोत्तम मार्गदर्शकों के सानिध्य में अभ्यास के विकास की आवश्यकता होती है. शिक्षकों को भारतीय मूल्यों, भाषाओं, ज्ञान, लोकाचार, आदिवासी परंपराओं और शिक्षाशास्त्र में हो रहे नवीनतम प्रयोगों से अच्छी तरह परिचित होना चाहिए.
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और भी अन्य योजनाएं
राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (आरयूएसए) और समग्र शिक्षा योजनाओं ने स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के निर्माण और उन्नयन के लिए धन उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इन योजनाओं ने पुस्तकालयों, प्रयोगशालाओं और आईसीटी सुविधाओं के प्रावधान सहित कक्षा के बुनियादी ढांचे में सुधार पर ध्यान केंद्रित कर अभूतपूर्व बदलाव किए हैं. बुनियादी ढांचे को समृद्ध करने के इन्हीं प्रयासों ने छात्रों के सीखने के लिए अनुकूल वातावरण बनाया है, जिससे छात्रों की सीखने की प्रक्रिया पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है.
शिक्षा के क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए, मोदी सरकार ने IMPRINT (इम्पैक्टिंग रिसर्च, इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी) इंडिया प्रोग्राम, प्रधानमंत्री अनुसंधान फेलोशिप (PMRF) योजना और अटल इनोवेशन मिशन जैसी कई योजनाएं प्रारंभ की हैं. इन कार्यक्रमों का उद्देश्य शिक्षा और उद्योग के बीच अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देना, नवाचार-संचालित स्टार्टअप्स को सहयोग देना और वैज्ञानिक एवं तकनीकी आधारित विकास को प्रोत्साहित करना है. अनुसंधान एवं नवाचार पर जोर देने से छात्रों और शिक्षकों के बीच जिज्ञासा और तर्कसंगत सोच की संस्कृति विकसित हुई है, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में उनके लिए नित नए दरवाजे खुल रहे हैं.
शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल इंडिया ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई
2015 में शुरू किए गए ‘डिजिटल इंडिया मिशन’ ने स्कूलों से लेकर विश्वविद्यालयों तक डिजिटल अध्ययन और प्रौद्योगिकी एकीकरण को बढ़ावा देकर शिक्षा में नई क्रांति लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इस पहल के तहत, सरकार ने देश भर में डिजिटल बुनियादी ढांचे, इंटरनेट कनेक्टिविटी और ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म को बढ़ाने के लिए कई योजनाएं लागू की हैं.
‘डिजिटल इंडिया अभियान’ ने ऑनलाइन पाठ्यक्रमों, डिजिटल पुस्तकालयों और इंटरैक्टिव शिक्षण उपकरणों सहित गुणवत्तापूर्ण शैक्षिक संसाधनों तक सुगम्य पहुंच की सुविधा प्रदान की है, जिससे दूरस्थ क्षेत्रों में भी छात्रों के लिए शिक्षा का सार्वभौमीकरण हुआ है. खासकर कोरोनाकाल के बाद, डिजिटल संसाधनों की बढ़ती उपलब्धता ने शिक्षकों को बेहतर अध्यापन और पारस्परिक अध्ययन को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
9 सालों की विकास यात्रा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के नौ साल के कार्यकाल के दौरान भारत में शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति और सकारात्मक विकास हुआ है. स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया और बुनियादी ढांचे एवं अनुसंधान में निवेश जैसी महत्त्वपूर्ण पहलों के माध्यम से, सरकार ने युवाओं को सशक्त बनाने, शैक्षिक अंतर को पाटने और समावेशी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देने का सफल प्रयास किया है. इन प्रयासों से न सिर्फ शिक्षा तक सुगम्य पहुंच में सुधार हुआ है बल्कि कौशल विकास, डिजिटल साक्षरता और लैंगिक समानता को भी बढ़ावा मिला है.
भारत अपने विकास और समृद्धि के पथ पर आगे बढ़ रहा है, मोदी सरकार द्वारा किए गए शिक्षा सुधारों ने अधिक समृद्ध और ज्ञान-संचालित भविष्य के लिए एक ठोस नींव बना दी है. यह कहने में कोई संदेह नहीं है कि भारत दुनिया की सबसे तेज प्रगति कर रही अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और हम सरकार की जन-केंद्रित और विकास-परक नीतियों के साथ पहले ही विकास का एक लंबा सफर तय कर चुके हैं, यह भारत के स्वर्णिम युग की शुरुआत है. हमने अभी अमृत काल में प्रवेश किया है और अगले 25 साल भारत के विश्वगुरु बनकर बाकी दुनिया को रास्ता दिखाने का समय है.
इस अभूतपूर्व परिवर्तन के 9 सालों की विकास यात्रा में आज हमारे लिए भारत के वर्तमान पर गर्व करते हुए भविष्य के बारे में अत्यधिक आशावादी होने का समय है. देश जब आजादी के 75वें से 100वें वर्ष की तरफ बढ़ रहा है, तब एक सशक्त अर्थव्यवस्था और बेहतर शिक्षा व्यवस्था के अभियान को साकार करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, हम विकसित भारत के पथ पर अग्रसर है.
(लेखक सुभाष सरकार पश्चिम बंगाल लोक सभा संसदीय क्षेत्र बांकुड़ा से सांसद हैं. वर्तमान में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय में राज्य मंत्री हैं. डॉ. सरकार पेशे से स्त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ हैं तथा उन्होंने पिछले 30 वर्षों में 40,000 से अधिक डिलिवरी करवाई हैं. यहां व्य़क्त विचार निजी है.)
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