कोलकाता: कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल पुलिस को आईआईटी खड़गपुर के छात्र फैजान अहमद के शव को कब्र से खोदकर निकालने और दोबारा पोस्टमॉर्टम करने का निर्देश दिया है. छात्र फैजान अहमद पिछले साल अपने छात्रावास के कमरे में मृत पाया गया था. यह आदेश अदालत द्वारा नियुक्त फोरेंसिक विशेषज्ञों की टीम द्वारा मंगलवार को न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की एकल-न्यायाधीश पीठ के समक्ष एक प्रारंभिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद आया है.
अदालत के आदेश में उल्लेख किया गया है कि नए पोस्टमॉर्टम का निर्देश फोरेंसिक रिपोर्ट के तीन प्रमुख निष्कर्षों पर आधारित है, जो पिछले साल अक्टूबर में किए गए पहले पोस्टमॉर्टम में खामियों को दिखाता है.
अदालत का ध्यान इस तथ्य की ओर भी आकर्षित किया गया था कि जिस कमरे में छात्र का शव मिला था, वहां से मांस को संरक्षित करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक रसायन बरामद किया गया था.
आईआईटी खड़गपुर में मैकेनिकल इंजीनियरिंग के तीसरे वर्ष के तेईस वर्षीय छात्र फैजान अहमद पिछले साल 14 अक्टूबर को संस्थान के लाला लाजपत राय छात्रावास के कमरा सी-205 में मृत पाए गए थे. उन्हें आखिरी बार तीन दिन पहले 11 अक्टूबर को देखा गया था.
शव मिलने के एक दिन बाद 15 अक्टूबर को पहला पोस्टमार्टम किया गया था. हालांकि पुलिस ने मामले में दो प्राथमिकी दर्ज की हैं, लेकिन आरोपी फिलहाल जमानत पर बाहर हैं.
असम के तिनसुकिया जिले के निवासी, फैजान के परिवार ने पिछले साल कलकत्ता उच्च न्यायालय का रुख किया. उन्होंने पुलिस जांच से असंतुष्टी व्यक्त की थी और आईआईटी खड़गपुर पर संस्थान की प्रतिष्ठा बचाने का आरोप लगाया था.
दिप्रिंट से बात करते हुए, फैजान के चाचा, रशीद अहमद ने कहा कि वे कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हैं क्योंकि वे पहली पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं थे.
उन्होंने कहा, ‘ऐसा लगता है कि न्याय हमसे दूर नहीं है. हम भी चाहते थे कि दोबारा पोस्टमार्टम हो और वह हो रहा है. इस घटना के बाद फैजान की मां पूरी तरह टूट चुकी हैं. उन्होंने खाना पीना बंद कर दिया है. इस नुकसान का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा है. लेकिन हम खुश हैं कि कलकत्ता उच्च न्यायालय इस मामले को गौर से सुन रहा है और हम चाहते हैं कि आखिर में हमें न्याय मिले.’
पिछले साल 12 दिसंबर को कलकत्ता हाईकोर्ट के समक्ष IIT खड़गपुर द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट ने बताया था कि फैजान मानसिक स्वास्थ्य से पीड़ित था. इस रिपोर्ट को कमेटी द्वारा प्रस्तुत किया गया था.
कमेटी के अध्यक्ष प्रोफेसर खानिंद्र पाठक द्वारा हस्ताक्षरित रिपोर्ट में कहा गया था, ‘पोस्ट-मॉर्टम रिपोर्ट की अनुपस्थिति में कमेटी की कोई पहुंच नहीं है. हमने जांच में यह पाया है कि फैजान अहमद अपनी मृत्यु से ठीक पहले मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से पीड़ित थे. आत्महत्या की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है.’
दिप्रिंट के पास रिपोर्ट की एक प्रति है.
क्या कहती है फॉरेंसिक रिपोर्ट
फैजान की पोस्ट-मॉर्टम रिपोर्ट की फोरेंसिक जांच करने और फैजान की मौत के कारण और मौत के तरीके का पता लगाने के लिए 29 मार्च को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल चिकित्सा शिक्षा सेवा के फोरेंसिक मेडिसिन और प्रौद्योगिकी से सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. अजय कुमार गुप्ता को नियुक्त किया था.
मंगलवार को जस्टिस मंथा के सामने पेश की गई तीन पन्नों की प्रारंभिक रिपोर्ट में, डॉ. गुप्ता ने कहा कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की जांच और प्रक्रिया की वीडियोग्राफी मौत के वास्तविक कारण का निष्कर्ष निकालने के लिए पर्याप्त नहीं है.
इसकी जानकारी दिप्रिंट को मिली है.
हालांकि, उन्होंने तीन प्रमुख निष्कर्षों पर प्रकाश डाला. पहला यह कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में सिर के पीछे चोट के दो स्पष्ट निशान का उल्लेख नहीं किया गया है. रिपोर्ट में दावा किया गया कि पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टरों ने खोपड़ी की जांच नहीं की थी. इसकी जांच की जानी चाहिए थी, और यह कि फैजान की बाहों पर कुछ कट के निशान स्पष्ट रूप से उसकी मौत के बाद दिए गए थे.
डॉ गुप्ता, एडवोकेट संदीप भट्टाचार्य के साथ 17 मार्च को IIT खड़गपुर परिसर में लाला लाजपत राय छात्रावास के कमरा C-205 में फोरेंसिक जांच करने के लिए गए थे, जहां पिछले साल इस मृत छात्र का शव संदेहास्पद स्थिति में पाया गया था.
मंगलवार को कोर्ट के सामने रखी गई रिपोर्ट में डॉ. गुप्ता ने कहा कि दूसरा पोस्टमॉर्टम करना जरूरी है और शव को जल्द से जल्द कब्र से बाहर निकाला जाना चाहिए.
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‘पीला अवशेष’
सुनवाई के दौरान अधिवक्ता भट्टाचार्य ने जज के सामने पिछले साल 17 नवंबर की पुलिस द्वारा उस वक्त कमरे से जब्त किए गए सामग्री को लेकर एक रिपोर्ट रखी, जिसमें हॉस्टल के कमरे से एमप्लुरा या सोडियम नाइट्रेट की एक बोतल बरामद होने का जिक्र है. भट्टाचार्य ने कहा, इस रसायन का इस्तेमाल आमतौर पर मांस को संरक्षित करने के लिए किया जाता है.
अदालत में भट्टाचार्य ने कहा कि फॉरेंसिक जांच के दौरान डॉ. गुप्ता और जांच टीम को कमरा सी-205 में कुछ पीले अवशेषों के साथ एक बाल्टी मिली.
कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया है, ‘यह बताया गया है कि जब कोई शरीर सड़ जाता है, तो यह असंभव है कि छात्रावास के बाकि छात्रों को इसका पता नहीं लगेगा. तीन दिनों तक रहस्यमय तरीके से शरीर से कोई गंध नहीं आ रही थी. जो रसायन एम्प्लुरा (सोडियम नाइट्रेट) की उपस्थिति मृत्यु के समय के संबंध में गंभीर प्रश्न उठाती है और क्या पीड़ित की मृत्यु के बाद शरीर को संरक्षित करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है.’
2 एफआईआर, संदिग्ध जमानत पर बाहर
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल पुलिस से कहा है कि वह असम पुलिस के साथ समन्वय करे और फैजान के शव को उसके गृहनगर तिनसुकिया में, जहां उसे दफनाया गया था, खोदकर निकालने की प्रक्रिया में तेजी लाए. कोर्ट ने डॉक्टर गुप्ता को कोलकाता में पहला ऑपरेशन करने वाले डॉक्टरों की मौजूदगी में दूसरा पोस्टमॉर्टम करने की जिम्मेदारी दी है.
फैजान के परिवार की ओर से केस लड़ रहे वकील अनिरुद्ध मित्रा ने कहा, ‘शव को बाहर निकालने के लिए असम में कुछ कानूनी औपचारिकताओं का पालन करने की आवश्यकता है, लेकिन कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक पूरी कार्यवाही को एक महीने में पूरा किया जाना है.’
अब तक, राज्य की पश्चिम मेदिनीपुर पुलिस ने मामले में दो प्राथमिकी दर्ज की हैं जिसमें पहली पिछले साल 16 अक्टूबर को हत्या के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 के तहत और दूसरी धारा 323 (स्वेच्छा से) के तहत इस साल 18 फरवरी को, 506 (आपराधिक धमकी), 201 (झूठी जानकारी देना या सबूत मिटाना), 34 (सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने के लिए कई व्यक्तियों द्वारा किया गया आपराधिक कार्य), 188 (एक लोक सेवक द्वारा कानूनी रूप से घोषित आदेश की अवज्ञा) और धारा 341 (गलत तरीके से किसी भी व्यक्ति को रोकता है) के तहत की है.
पुलिस ने दूसरी एफआईआर में ‘वेस्ट बंगाल प्रोहिबिशन ऑफ रैगिंग इन एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस एक्ट 2002’ को लागू किया है.
दिप्रिंट के पास दोनों एफआईआर की कॉपी है.
जबकि हत्या की पहली प्राथमिकी अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज की गई थी, दूसरी प्राथमिकी आईआईटी खड़गपुर के पांच छात्रों, आईआईटी खड़गपुर के राजेंद्र प्रसाद हॉल के पूर्व वार्डन और संस्थान के एक सहायक प्रोफेसर, जो सहायक वार्डन (रखरखाव) थे, के खिलाफ दायर की गई है.
सभी सात फिलहाल जमानत पर बाहर हैं.
(संपादन: ऋषभ राज)
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