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Thursday, 16 May, 2024
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‘निकलेंगे, फिर आगे की सोचेंगे’, आनंद मोहन के बयान पर मारे गए IAS की पत्नी बोलीं- दोहरा अन्याय हुआ

आईएएस अधिकारी जी. कृष्णय्या की हत्या 5 दिसंबर 1994 को मुजफ्फरपुर में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर कर दी गई थी. इस मामले में आनंद मोहन को निचली अदालत ने फांसी का सजा सुनाई थी, लेकिन पटना हाईकोर्ट ने उसे उम्रकैद में बदल दिया.

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नई दिल्ली: पूर्व लोकसभा सांसद और बीते 15 सालों से आईएएस हत्याकांड में जेल में बंद बाहुबली नेता आनंद मोहन सिंह जेल से रिहा होने वाले हैं. आनंद मोहन सिंह सहित 27 कैदियों, जो विभिन्न अपराधों के लिए जेल में बंद थे, की रिहाई को लेकर बिहार सरकार ने सोमवार को अधिसूचना जारी की थी. आनंद मोहन अपने बेटे और राजद विधायक चेतन आनंद की सगाई को लेकर पैरोल पर बाहर थे, लेकिन आज उनका पैरोल खत्म हो गया. हालांकि, संभावना है कि आनंद मोहन एक-दो दिन में कागजी कार्रवाई पूरी करने के बाद वापस जेल से बाहर आ जाएंगे. लेकिन आनंद मोहन के जेल से बाहर लाने के फैसले पर कई दलित नेताओं, आईएएस एसोसिएशन और मारे गए आईएएस अधिकारी जी. कृष्णय्या की पत्नी उमा देवी ने आपत्ति जताई है.

‘जेल से रिहा होने के बाद ही कुछ बोलेंगे’

पैरोल खत्म होने के बाद पूर्व सांसद आनंद मोहन वापस जेल जाने से पहले मीडिया से बातचीत में कहा कि अब जो कुछ भी बोलेंगे जेल से निकलने के बाद ही बोलेंगे. उन्होंने कहा, ‘सभी सियासी सवालों का जवाब जेल से वापस आने के बाद दिया जाएगा. रिहा होने के बाद पटना में बात किया जाएगा.’

बीते दिन मीडिया से बातचीत के दौरान मारे गए आईएएस अधिकारी जी. कृष्णय्या के बारे में पूछने पर आनंद मोहन ने कहा था कि इस घटना ने दो परिवारों को बरबाद कर रख दिया. एक लवली आनंद का परिवार और दूसरा उमा देवी का परिवार. बता दें की लवली आनंद आनंद मोहन की पत्नी हैं और बिहार के वैशाली से लोकसभा सांसद रह चुकी हैं.

जब आनंद मोहन से पूछा गया कि वह जेल से पूरी तरह रिहा होने के बाद किस पार्टी के साथ जाएंगे तो उन्होंने कहा कि इस जानकारी भी जेल से निकलने के बाद ही दी जाएगी.

उन्होंने कहा, ‘अभी तो मांगलिक कार्यों के लिए पैरोल पर बाहर आए थे. वापस सहरसा जेल जाना है. वहां कागजी प्रक्रिया जब पूरी हो जाएगी तो बाहर आएंगे. उसके बाद सभी पुराने साथियों के साथ बैठेंगे. उन लोगों को भी बुलाएंगे जो संघर्ष के दिनों में साथ थे. फिर इस पर विचार किया जाएगा. राजनीति तो करनी ही है.’

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‘मेरे साथ अन्याय हुआ’

आनंद मोहन की रिहाई पर दिप्रिंट से बातचीत में मारे गए आईएएस अधिकारी जी. कृष्णय्या की पत्नी उमा देवी ने कहा, ‘मेर साथ घोर अन्याय हुआ है.’

उन्होंने कहा, ‘मैं पीड़ित थी और अब और भी पीड़ित हूं. मेरी दो बेटियों को अकेले पालना दर्दनाक था. त्रासदी के समय मेरी छोटी बेटी इतनी छोटी थी कि उसे अपने पिता का चेहरा तक याद नहीं है. मेरी सबसे बड़ी बेटी, जो अब एक बैंक अधिकारी है, को अपने पिता के बारे में कुछ बातें याद हैं. मेरी दोनों लड़कियों की अब शादी हो चुकी है.’

बता दें कि आईएएस अधिकारी जी. कृष्णय्या की पत्नी उमा देवी हैदराबाद के एक सरकारी डिग्री कॉलेज में लेक्चरर थी और 2017 में अपने नौकरी से सेवानिवृत्त हो गईं. जब आईएएस अधिकारी जी. कृष्णय्या की हत्या हुई थी, उसके बाद बिहार सरकार ने उन्हें सेकेंड ग्रेड की नौकरी का ऑफर दिया था लेकिन उन्होंने अपना घर वापस आना मुनासिब समझा.

उन्होंने कहा कि अब उन्हें आईएएस एसोसिएशन और जी. कृष्णय्या के बैचमेट से उम्मीदें हैं.

आईएएस अधिकारी जी. कृष्णय्या की पत्नी उमा देवी | फोटो: ANI

यह भी पढ़ें: क्या नीतीश ‘चुपचाप’ आनंद मोहन की वापसी का रास्ता साफ कर रहे हैं ? जेल मैनुअल में बदलाव से बढ़ा विवाद


1994 में हुई थी जी. कृष्णैया की हत्या

दलित आईएएस अधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या 5 दिसंबर 1994 को मुजफ्फरपुर में हुई थी जब वह पटना से वापस गोपालगंज आ रहे थे. हत्या के वक्त जी. कृष्णैया गोपालगंज के डीएम थे. दरअसल, उससे एक दिन पहले ही ‘गैंगस्टर’ छोटन शुक्ला की हत्या हो गई थी. मुजफ्फरपुर में उसके अंतिम संस्कार के दौरान जुलूस निकाला जा रहा था जिसमें हजारों लोग शामिल हुए थे. उसी वक्त आईएएस अधिकारी वहां से गुजर रहे थे, तभी भीड़ ने उन्हें उनकी सरकारी गाड़ी से खींचकर बाहर निकाला और पीट-पीटकर हत्या कर दी थी.

डीएम हत्याकांड में पूर्व सांसद आनंद मोहन, अरुण कुमार और अखलाक अहमद को निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी, जबकि उनकी पत्नी लवली आनंद और छोटन शुक्ला के भाई मुन्ना शुक्ला को उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी. हालांकि, साल 2008 में पटना हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया. लवली आनंद और मुन्ना शुक्ला को सबूतों के अभाव में रिहा कर दिया गया. इसके बाद आनंद मोहन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी पटना हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए उन्हें उम्र कैद की सजा सुनाई.

लेकिन अब बिहार सरकार कुछ दिन पहले ही नियमावली में संशोधन किया गया था तभी से कयास लगाए जा रहे थे कि आनंद मोहन का निकलने का रास्ता साफ हो गया है.

‘कुछ विरोध में तो कुछ समर्थन में’

आनंद मोहन की रिहाई को लेकर सत्ताधारी और विपक्षी, दोनों पार्टियां कुछ भी बोलने से परहेज कर रही है. बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘आनंद मोहन ने अपनी सजा पूरी की है. वह लीगल तरीके से बाहर आ रहे हैं. इसमें विवाद क्या है.’

हालांकि बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने इसपर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि सरकार आनंद मोहन के बहाने माई समीकरण वाले अपराधियों पर मेहरबान है.

उन्होंने कहा, ‘2016 में सीएम नीतीश कुमार ने ही कानून में संशोधन किया और इसमें शामिल किया कि ‘सरकारी अधिकारी की हत्या के दोषी पाए जाने वालों’ को कभी भी छूट का लाभ नहीं दिया जाएगा. अब आपने अपने फायदे के लिए फिर से कानून में संशोधन किया है ताकि आप चुनाव जीत सकें.’

इसपर बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि सुशील कुमार मोदी ही सबसे पहले मांग कर रहे थे कि आनंद मोहन को ‘छोड़ दो- छोड़ दो’, अब वहीं अपनी बात से पलट गए हैं.

इससे पहले बिहार के फायरब्रांड बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने आनंद मोहन का समर्थन करते हुए कहा कि उनको ‘बलि का बकरा’ बनाया गया.

उन्होंने कहा, ‘उनकी रिहाई पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए. उन्होंने सजा भोगी है. उन्हें तो राजनीतिक तरीके से फंसाया गया था.’

बता दें कि आनंद मोहन की रिहाई को लेकर आईएएस एसोसिएशन ने भी बिहार सरकार को एक पत्र लिखा है. एसोसिएशन ने बिहार सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा है.

इससे पहले उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती ने आनंद मोहन की रिहाई पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि बिहार सरकार द्वारा, आन्ध्र प्रदेश (अब तेलंगाना) के महबूबनगर के रहने वाले गरीब दलित समाज से आईएएस बने बेहद ईमानदार जी. कृष्णैया की निर्दयता से की गई हत्या मामले में आनन्द मोहन को नियम बदल कर रिहा करने पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विचार करना चाहिए.


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