नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सरकार के ‘ई-श्रम’ पोर्टल पर रजिस्टर्ड प्रवासी मजदूरों को 3 महीने के भीतर राशन कार्ड उपलब्ध कराने को कहा है, ताकि वे नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट (एनएफएसए) के तहत लाभ उठा सकें.
जस्टिस एमआर शाह और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत प्रवासी मजदूरों को राशन कार्ड देने का बड़े स्तर पर प्रचार किया जाए. पीठ ने अपने आदेश में इसका जिक्र किया है और मामले की अगली सुनवाई 3 अक्टूबर, 2024 तक टाल दिया है.
अदालत का यह आदेश अंजलि भारद्वाज, हर्ष मंदर और जगदीप छोक्कर द्वारा फाइल की याचिका के बाद आया है. जिन्होंने मांग की थी एनएफएसए के तहत मजदूरों का कोटा होने के बावजूद उन्हें राशन दिया जाए.
17 अप्रैल को शीर्ष अदालत ने कहा था कि केंद्र और राज्य सरकारें केवल इस आधार पर प्रवासी श्रमिकों को राशन कार्ड देने से इनकार नहीं कर सकती हैं कि एनएफएसए के तहत जनसंख्या अनुपात ठीक बनाए नहीं रखा गया है.
इसने कहा कि हर नागरिक को जनकल्याण की योजनाओं का फायदा मिलना चाहिए और कहा कि एक कल्याणकारी राज्य में यह सरकार की ड्यूटी है कि सरकार लोगों तक पहुंचे.
इस साल फरवरी में, शीर्ष अदालत ने यह बताए जाने के बाद कि देशभर में लगभग 38 करोड़ प्रवासी श्रमिकों में से लगभग 28 करोड़ केंद्र द्वारा संचालित एक ऑनलाइन पोर्टल ई-श्रम पर पंजीकृत हैं, लिहाजा अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों से यह पूछा था कि एनएफएसए के तहत प्रवासी मजदूरों को भोजन और उनकी संख्या और कई सारी सरकार की योजनाओं के तहत उन्हें दिए गए लाभ के बारे में बताए.
कोविड-19 महामारी के दौरान SC ने प्रवासी, और असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के सामने आने वाली समस्याओं और परेशानियों पर विचार करने के लिए स्वत: संज्ञान लेते हुए एक मामला शुरू किया था, जो महामारी के कारण लॉक़डाउन के कारण गरीबी में धकेल दिए गए थे और रोजगार के किसी स्रोत के बिना अपने गांवों में बसने को मजबूर हो गए थे.
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