28 जनवरी की आधी रात को दो नकाबपोशों ने बंदूकों से लैस होकर जयपुर के जी-क्लब के गेट पर दस्तक दी. अगले पांच मिनट तक बैरल से कम से कम 17 राउंड गोलियां चलाई गईं. इससे पहले कि नाइट क्लब के निदेशक, 29 वर्षीय अक्षय गुरानी और गार्ड जवाबी कार्रवाई कर पाते, शूटर हवा की तेजी से गायब हो गए.
लेकिन उनलोगों के गायब होने से पहले, उन्होंने एक पर्ची छोड़ी जिसमें लिखा था: “यह सिर्फ एक संदेश है, अगर तुम एक करोड़ नहीं दोगे, तो हम तुम्हें मार देंगे.”
गुरानी, जो जयपुर डेज होटल के भी मालिक हैं, 20 दिनों से खौफ के साए में रहे.
8 जनवरी को उन्हें एक व्हाट्सएप कॉल और एक वॉयस नोट मिला, जिसने उन्हें पूरी तरह से सुन्न कर दिया.
कॉलर ने लगभग धमकी देते हुआ कहा, “रोहित गोदारा बोल रहा हूं. 5 करोड़ रुपये दो या अपनी जान गंवा दो. ”
कुछ घंटे बाद फिर से गुरानी का फोन बजा. इस बार, कॉल करने वाले ने खुद को खूंखार उत्तर भारतीय अपराधी लॉरेंस बिश्नोई होने का दावा किया: “आपको रोहित गोदारा का फोन आया होगा. वह करो जो उसने तुमसे करने के लिए कहा है.”
बिश्नोई तिहाड़ जेल में है. गोदारा यूरोप में रहता है. लेकिन राजस्थान के गिरोह युद्ध उनके नाम पर जारी हैं – बंदूक, ग्लैमर, खून खराबा और महिमा की तलाश में युवाओं का क्रेज क्राइम की ओर बढ़ रहा है.
“कानून और व्यवस्था, कानून और व्यवस्था,” विपक्षी पार्टी के नेताओं ने जी-क्लब की शूटिंग के बाद राग अलापा. शांत सुंदर जयपुर पर खूंखार गैंगस्टरों का कब्जा हा रहा है. समाचार की सुर्खियों में भी छा गए. एक उच्च-स्तरीय बैठक बुलाई गई, और 31 जनवरी को गोलीबारी के तीन दिनों के भीतर, राजस्थान पुलिस ने यूपी के आगरा से तीन नाबालिगों: पीसी जाट*, जीतू* और प्रताप मिश्रा* को गिरफ्तार कर लिया. तेज-तर्रार, कट्टर अपराधी-सुर्खियां चलती रहीं, लेकिन यह हकीकत से कोसों दूर थीं.
जीतू डीजे के रूप में काम करने वाला मुश्किल से 15 साल का एक स्कूल ड्रॉपआउट था; 16 वर्षीय पीसी जाट ग्यारहवीं तक पढ़ाई कर बाद में सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा था.
दोनों गैंग के टोटेम पोल में सबसे नीचे हैं.
राजस्थान की गिरोह संस्कृति एक बहुस्तरीय, अनिश्चित रूप से तैयार शादी के केक की तरह बनाई गई है. ऊपर वाला जेल में है. नंबर दो और नंबर तीन भारत में भी नहीं हैं. सबसे निचले स्तर पर युवा और किशोर हैं जो यह भी नहीं जानते कि वे किसके लिए काम कर रहे हैं लेकिन वे अपने पड़ोस में डर पैदा करना चाहते हैं.
यह फैला हुआ है, लेकिन इसमें कोई भर्ती नहीं हो रही हैं. यह कश्मीर में आतंकवाद के हाइब्रिड मॉडल की तरह सोशल मीडिया पर बढ़ता है. पीसी जाट ने जीतू से मुलाकात की, और जोड़ी फिर मिश्रा के साथ जयपुर जाने के लिए एक बॉलीवुड-स्टाइल में एंट्री की.
जबरन वसूली की धमकी के विवरण के साथ एफआईआर दर्ज की गई, और भारतीय दंड संहिता और शस्त्र अधिनियम की धारा 307 (हत्या का प्रयास), 384 और 386 (जबरन वसूली से संबंधित), और 506 (आपराधिक धमकी) जैसी धाराओं को लागू किया गया.
हिंसा से भरे हरियाणवी और राजस्थानी पॉप गीतों से प्रभावित युवाओं की स्व-प्रेरित महत्वाकांक्षाओं द्वारा अक्सर जबरन वसूली, जेल से धमकी भरे कॉल और कभी-कभी गोलीबारी की जाती है. यह बढ़ती बेरोजगारी, ग्रामीण निराशा और लोकप्रिय संस्कृति का नतीजा है जो बंदूक हिंसा को ग्लैमराइज करता है.
रोहित गोदारा का उदय
दिसंबर 2022 में खूंखार गैंगस्टर राजू ठेठ की सीकर में उसके घर के बाहर गोली मारकर हत्या किए जाने के कुछ घंटों बाद कुख्यात गोदारा, जो मूल रूप से बीकानेर के शेखावाटी क्षेत्र का रहने वाला था, ने एक फेसबुक पोस्ट में इसका श्रेय लिया.
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि ठेठ को शेखावाटी क्षेत्र के जबरन वसूली और बूटलेगिंग रैकेट में अपना प्रभुत्व जमाने के लिए नए गिरोहों द्वारा जैसे को तैसा हत्या में मार गिराया गया था.
मामले से परिचित एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “यह गोदारा की योजना थी. जब से उसने इस हत्या का श्रेय लिया है, राजस्थान में हर कोई उसका नाम जानता है, ”
जयपुर में एक अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (आतंकवाद-विरोधी दस्ते और विशेष अभियान समूह) अशोक राठौर द्वारा हाल ही में एक प्रजेंटेशन से पता चला कि 21 से 23 जनवरी के बीच विभिन्न स्थानीय व्यवसायियों को किए गए आठ जबरन वसूली कॉलों में से छह कथित रूप से गोदारा से थे.
पुलिस महानिदेशक उमेश मिश्रा ने कहा, “दो साल पहले गोदारा को कोई नहीं जानता था. “वह भारत के बाहर काम कर रहा है, और हम उसका पता लगाने और उसे विभिन्न चैनलों के माध्यम से वापस लाने की कोशिश कर रहे हैं. हमने विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों को भी लिखा है.” वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को संदेह है कि वह यूरोप भाग गया था. इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गोदारा के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था.
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दिशाहीन युवा
जबकि गोदारा यहां से वहां भाग रहा है, जीतू और पीसी जाट का जीवन एक परिचित पैटर्न पर चल रहा है -कोई पढ़ाई लिखाई नहीं, मेहनती और बेसब्र
जीतू के माता-पिता सुनीता और नारायण करीब 25 साल पहले बीकानेर में बस गए थे. वह तीन बच्चों में दूसरे नंबर का है. 65 फीसदी अंकों के साथ दसवीं कक्षा पास करने में कामयाब रहे जीतू ने अपनी शिक्षा जारी रखने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. उनके परिवार ने उनके लिए दिल्ली और फिर देहरादून जाने की व्यवस्था की, जहां उसने कुछ महीने वेटर की तरह काम किया.
उसने अपनी मां सुनीता से कहा, “मम्मी, हर अच्छे काम के लिए, वे कंप्यूटर डिप्लोमा मांगते हैं.” निराश लेकिन इंस्टाग्राम रील्स के साथ हाई फाई जिंदगी जीने की इच्छा के साथ उसने दिसंबर 2022 में 500 रुपये प्रति गिग के लिए डीजे के रूप में नौकरी की. यह उस समय के आसपास था जब उसकी सबसे बड़ी बहन की शादी हुई थी.
जी-क्लब गोलीबारी मामले में उसकी कथित संलिप्तता के लिए गिरफ्तार किए जाने से पहले उसने मुश्किल से 15 दिनों तक काम किया था.
जीतू की इंस्टाग्राम रील्स उनकी फाइनेंशियल स्थिति से बहुत अलग हैं. उनके 924 फॉलोअर्स हैं जो उसकी रील्स में बदमाशी से भरे गाने, बदला लेने वाली शायरी और क्रिकेटर हार्दिक पांड्या की सावधानीपूर्वक तैयार की गई दुनिया देखते हैं, जिनकी जीवनशैली की वह नकल करने की कोशिश करते हैं.
उसकी मां ने कहा, “उसे फंसाया जा रहा है. वह गोली नहीं मार सकता. ” सुनीता और नारायण अपने बेटे के लिए ऐसा जीवन नहीं चाहते थे.
सात साल पहले जब पी.सी. जाट की मां सुमन ने नागौर से बीकानेर में अपना ठिकाना बनाया था, तब भी ऐसा नहीं था, ताकि उनके बेटे को बेहतर शिक्षा और नौकरी मिल सके.
आंखों में आंसू लिए उनकी मां सुमन ने कहा, “ मेंटल हेल्थ की वजह से उसके पिता को जल्दी ही रिटायरमेंट लेना पड़ा. मैं बीकानेर चली आई ताकि वह अच्छी तरह से पढ़ सके और एक सरकारी कर्मचारी बन सके, ” सुमन का पति बीमार है और पीसी जाट उनकी इकलौती संतान है.
बीकानेर की मुक्ता प्रसाद कॉलोनी में रहने वाली सुमन ने कहा, “उनकी दो चचेरी बहनें पुलिस में हैं.”
नया शहर थाने में इस साल 10 जनवरी को दर्ज केस नंबर 23 से पीसी जाट का आपराधिक रिकॉर्ड शुरू होता है. एक समूह लड़ाई में मुख्य आरोपी नामित उसे छह दिनों के लिए एक बाल सुधार गृह भेजा गया था, जिसके बाद उसकी मां ने उसे छुड़ाया.
लेकिन उन छह दिनों में पीसी जाट की मुलाकात महाराष्ट्र के सोनू मराठा से हुई. पुलिस का दावा है कि पुणे के एक नाबालिग को लॉरेंस गिरोह ने भर्ती किया था.
स्टेशन हाउस ऑफिसर वेद पाल ने कहा, “उसके [सोनू मराठा की] जीवन की एकमात्र इच्छा लॉरेंस से बात करने की थी, और वह उसके लिए कुछ भी करेगा.” पुलिस के अनुसार, सोनू मराठा को लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के सदस्य आशीष बिश्नोई ने बीकानेर के एक व्यवसायी को धमकाने और उससे 50 लाख रुपये वसूलने का काम सौंपा था.
पाल ने कहा, “इसके लिए उसने पुणे से पूरे की यात्रा की, लेकिन उसे गिरफ्तार कर लिया गया और किशोर गृह भेज दिया गया.”
बीकानेर में, सोनू मराठा कथित रूप से आशीष बिश्नोई के माध्यम से एक ऋतिक बॉक्सर के संपर्क में आया, जिसने कथित तौर पर उसे जी-क्लब कार्य के लिए “नए चेहरों” की भर्ती करने का निर्देश दिया था. कम से कम पुलिस को तो यही शक है. इसलिए जब पीसी जाट को एक अन्य मामले में बाल सुधार गृह भेजा गया तो मराठा को एक सहयोगी मिल गया.
जयपुर जाने से पहले जीतू ने अपनी मां से कहा कि वह 31 जनवरी को लौटेगा. उसने 1 फरवरी को कंप्यूटर कोर्स में दाखिला लेने का वादा किया क्योंकि तब तक उसके पास पर्याप्त पैसा होगा.
वह अपनी बाइक अपने साथ ले गया.
केस नंबर 23 में जब पीसी जाट को गिरफ्तार किया गया तो उसका सिर मुंडवा दिया गया था. इसी से बीकानेर पुलिस के साइबर सेल प्रभारी दीपक यादव को जी क्लब शूटिंग की जांच के दौरान उसकी पहचान करने में मदद मिली. उनके विशिष्ट छोटे बाल, जिससे पता चलता है कि उन्होंने एक किशोर गृह में समय बिताया था.
एक पुलिस टीम ने बीकानेर की एक शराब की दुकान के मालिक उसके चाचा को उठाया, जिसके साथ पीसी जाट और उसकी मां रह रहे थे. मोबाइल फोन के रिकॉर्ड से पता चलता है कि उसने अपने चाचा के बैंक खाते की जानकारी के लिए शूटिंग के बाद तीन से चार बार अपने चाचा को फोन किया था.
पीसी जाट ने कथित तौर पर अपने चाचा से छुपते हुए कहा, “मामा, आपको पैसे मिलेंगे,” राजस्थान पुलिस ने जाट, मिश्रा और जीतू को आगरा तक ट्रैक किया. मोबाइल फोन रिकॉर्ड के अलावा, जीतू की बाइक एक और ब्रेडक्रंब ट्रेल थी जिसे टीम ने फॉलो किया.
तीनों ‘फूट सोल्जर’ ऐसे लोग जिन्हें जिम्मेदारी तो दी गई लेकिन वो ऑर्गेनाइजेशन के मोहताज हैं. ये तीनों जयपुर की केंद्रीय जेल में मुकदमे का इंतजार कर रहे हैं, जबकि उनके परिवार जमानत पाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं.
सोशल मीडिया की फटकार
लेकिन पुलिस किसी सुराग का अपने आप अपनी झोली में आकर गिरने का इंतजार नहीं कर रही है. वे जानते हैं कि यह सब कहां से शुरू होता है और स्रोत पर प्रहार करना चाहते हैं. एक प्रिवेंटिव मेज़र के रूप में, वे क्षेत्र में युवाओं के फेसबुक और इंस्टाग्राम रीलों को भी खंगालते हैं.
इन पोस्ट में कई शुरुआती चेतावनी के संकेत भी मिलते हैं.
17 मार्च की रात करीब 8 बजे पुलिस 19 वर्षीय बाइक मैकेनिक निखिल सोनी को लेने पहुंची. उन्होंने अपनी एक इंस्टाग्राम स्टोरी में सभी को हिंदू नव वर्ष की बधाई देते हुए गोदारा की तस्वीर पोस्ट की थी. 13,000 से ज्यादा फॉलोअर्स वाला उनका हैंडल यादव के रडार पर था.
सोनी को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 151 के तहत उठाया गया था, जो पुलिस को वारंट के बिना निवारक गिरफ्तारी करने का पावर देती है. उठाए गए व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के आदेश या वारंट के बिना 24 घंटे तक हिरासत में रखा जा सकता है.
सोशल मीडिया पर युवाओं को भर्ती करने का प्रयास करने वाले गिरोहों के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई करते हुए, राजस्थान पुलिस पिछले साल से इंस्टाग्राम, फेसबुक और अन्य प्लेटफार्मों पर बिश्नोई और गोदारा जैसे अपराधियों के साथ जुड़ने वाले लोगों की प्रोफाइलिंग कर रही है.
जयपुर पुलिस की एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, राज्य में गैंगस्टरों और गिरोह संस्कृति के खिलाफ चलाए जा रहे युद्ध स्तर की जांच के तहत अकेले मार्च में हिस्ट्रीशीटरों सहित 20,000 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया और हिरासत में लिया गया.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को राजस्थान पुलिस स्थापना दिवस (16 अप्रैल) का इस्तेमाल गैंगवार, अपराध और सजा को संबोधित करने के लिए किया.
उन्होंने 15 अप्रैल को यूपी में गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ की हत्याओं का भी जिक्र किया, “लोकतंत्र में, तत्काल न्याय समाधान नहीं हो सकता. हमें कानून के दायरे में रहकर अपराधियों से सख्ती से निपटना होगा. ”
“देश देख रहा है कि यूपी में क्या हो रहा है … यह आसान है. कानून का शासन स्थापित करना कठिन है.”
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि पिछले साल बीकानेर में 250 से अधिक युवाओं को हिरासत में लिया गया और उनकी काउंसलिंग की गई और बाद में उन्हें चेतावनी देकर छोड़ दिया गया.
प्रत्येक गिरोह – यहां तक कि नाम कमाने की चाहत रखने वाले स्थानीय लोगों ने भी – सोशल मीडिया पर विशेष हैशटैग और कैप्शन के साथ अपनी भाषा विकसित की है. और वे प्रेरणा के लिए बड़े गिरोह के सरगनाओं की ओर देखते हैं.
एक तस्वीर में आशीष बिश्नोई अपनी पीठ पर बने टैटू को प्रदर्शित कर रहा है. जिसमें उसने ‘Notorious’ को ‘कुख्यात’ कहा है जिसमें ‘i’ अक्षर को बंदूक से बदल दिया है. और इसका शीर्षक है: ‘हर सफल भाग्य के पीछे एक अपराध होता है’.
अन्य गैंगस्टर्स के साथ तस्वीरें अक्सर कैप्शन के साथ पोस्ट की जाती हैं जैसे ‘असली दोस्तों के वही दुश्मन’. यहां तक कि उनकी जिला अदालत की यात्राओं को भी रूमानी बना दिया जाता है. अन्य लोग अपने सोशल-मीडिया बायो में खुद को ‘बजरंग बली’ या ‘शिव भगवान’ भक्त बताते हैं.
गन कल्चर को ग्लैमराइज करने वाले नए गानों की धुन पर राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में गैंगवार छिड़ गई है. गायक मासूम शर्मा द्वारा हाल ही में हिट किए गए ट्यूशन बदमाशी का सेंटर ने रिलीज़ होने के केवल दो महीनों में YouTube पर 5.2 मिलियन से अधिक बार देखा गया है. इस बीच, वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर राहुल पुती और आशु ट्विंकल की कोर्ट में गोली को 33 मिलियन व्यूज मिले हैं.
पुलिस ने एक प्रेस विज्ञप्ति में दावा किया कि उनका प्रयास एक हद तक सफल रहा है. बीकानेर के मोनू समूह के अभियान से पहले के 36,537 अनुयायियों की तुलना में अब केवल 9,189 अनुयायी हैं. इसी तरह, गोदारा के हैंडल पर फॉलोअर्स की संख्या 38,862 से घटकर 6,558 हो गई.
लेकिन कई अपराधी नहीं हैं और सामान्य जीवन जीते हैं. वे गैंगस्टरों के बारे में सिर्फ जानने को लेकर भूखे हैं.
अकेली मां के द्वारा पाले गए सोनी ने पढ़ाई में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई.
सोनी ने कहा, “कक्षा V के बाद, मैंने स्कूल छोड़ दिया. मेरे एक चाचा ने मुझे एक ज्वैलरी शॉप पर नौकरी दिलवा दी. लेकिन मैं मैकेनिक क्षेत्र में चला गया. मैं एक दिन अपनी खुद की दुकान खोलना चाहता हूं.” सोनी ने बताया कि बजरंग दल राम नवमी के जुलूस में भाग लेने से उन्हें विशेष खुशी मिलती है. उन्हें 24 घंटे के बाद रिहा कर दिया गया था लेकिन अब उन्हें नियमित रूप से स्थानीय पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करना पड़ता है.
सोनी की इंस्टाग्राम लाइफ शेर-ओ-शायरी और स्वैग से भरी हुई है. जब पुलिस ने उसका इंस्टाग्राम बायो पढ़ा, तो उन्हें एहसास हुआ कि वह सिद्धू मूस वाला का बहुत बड़ा प्रशंसक है. पिछले साल पंजाब में कथित तौर पर लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के सदस्यों द्वारा रैपर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
नया शहर पुलिस थाने के एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “हमने उसे बताया कि वह जिस आदमी [गोदारा] को अपना आदर्श बनाने की कोशिश कर रहा है, उसके हाथों से उसके पसंदीदा गायक का खून हुआ है.”
पुलिस अभियान के तहत, बी.कॉम अंतिम वर्ष के छात्र 27 वर्षीय मोहित खत्री को 12 मार्च को उठाया गया था. पुलिस का दावा है कि वह राजू मंजू गैंग के फेसबुक ग्रुप का सदस्य था और लगातार कमेंट सेक्शन में पोस्ट करता था. पुलिस के साथ अपने ‘मुठभेड़’ के बाद से, उसने अपने फेसबुक पेज को प्राइवेट कर दिया है और गैंगस्टर के पेजों और समूहों को ब्लॉक कर दिया है.
ये वे हैं जो शुरुआत में ही गोदारा-उन्माद से अस्थायी रूप से ठीक हो गए थे.
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‘हर किस्मत के पीछे एक जुर्म होता है’
छुटभैये काम करते हैं और गिरफ्तार हो जाते हैं, लेकिन सरगनाओं का बाप अभी भी रोहित गोदारा है. उसकी विद्रोही, बैड-बॉय कहानी युवा, वफादार सैनिकों की सेना को रिमोट से नियंत्रित करने वाली है जो उसके लिए कुछ भी कर सकती है.
एक गरीब किसान के बेटे से राजस्थान के मोस्ट वांटेड क्रिमिनल तक का उसका सफर सीधे एक फिल्म से निकला है. बीकानेर में किसान संत दास के घर रावत दास स्वामी के रूप में जन्मे गोदारा के सिर पर अब एक लाख रुपये का इनाम है.
बीकानेर में अपने गांव से लगभग 20 किलोमीटर दूर लूणकरणसर पुलिस थाने में बैठे 56 वर्षीय संत दास ने कहा, “हम उन्हें रावता कहते थे.” अपने बेटे की पसंद के कारण, वह अक्सर खुद को पुलिस थानों में पाता है.
लेकिन पिता का कहना है कि 2013 में जब गोदारा पर चोरी और अनधिकार प्रवेश के आरोप लगाए गए थे, तब उन्होंने एक अखबार के विज्ञापन के माध्यम से उनसे नाता तोड़ लिया था.
संत का दावा है कि समय के साथ दो पुलिस अधीक्षकों ने उनसे कहा: “भूल जाओ कि तुम्हारे दो बेटे थे. उसे मरा हुआ समझो. वह इसे इस चेतावनी के रूप में देखता है कि अगर उसका बेटा भारत लाया गया तो उसे मुठभेड़ में मार दिया जाएगा.
मैकेनिक और डीजे की तरह, जो गोदारा की बदनामी की यात्रा की शुरुआत बीकानेर के जैन मार्केट में दुकान नंबर 47 है, जिसे उन्होंने मोबाइल रिपेयरिंग की दुकान शुरू करने के लिए किराए पर लिया था. उनकी मां गीता देवी ने कहा कि दसवीं कक्षा के बाद पढ़ाई में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं थी.
निर्मल चौधरी ने कहा, “वह एक चुपचाप रहने वाला लेकिन तेज आदमी था. उन्हें मोबाइल की अच्छी जानकारी थी. हम में से कई लोग उनकी मदद लेते थे,” निर्मल 2006 से उसी बाजार में उसके साथ काम करते थे.
यहीं पर उसके खिलाफ सदर थाने में 7 अप्रैल 2010 को पहला केस (हमला व हत्या के प्रयास) दर्ज हुआ था. हालांकि, एक साल बाद उन्हें बरी कर दिया गया था.
उनके परिवार का दावा है कि यह दूसरा मामला था जिसने उनकी जिंदगी हमेशा के लिए बदल दी. गीता देवी के अनुसार, गोदारा की पत्नी, जो अपने पहले बच्चे के साथ गर्भवती थी, उसका गर्भपात हो गया और उसने 2012 में उसके और उसके पिता के खिलाफ घरेलू हिंसा और दहेज का मामला दर्ज कराया.
पिता-पुत्र दोनों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया, लेकिन परिजनों ने पिता को जमानत पर छुड़ा लिया. मामला अभी कोर्ट में लंबित है.
दास ने कहा, “उसकी जमानत उसके दोस्तों ने सुरक्षित कर ली थी. अब तक, हम उसकी शादी और उसके व्यवहार से आजिज आ चुके थे.”
इस बाजार ने केस दर केस गैंगस्टर गोदारा को बढ़ते हुए देखा है.
वर्तमान में, गोदारा पर आर्म्स एक्ट के तहत 29 गंभीर अपराधों के साथ-साथ हत्या, चोरी, धमकी और जबरन वसूली का आरोप है. वह बीकानेर के कालू थाने में हिस्ट्रीशीटर है और उसकी फाइल का वजन 5 किलो से ज्यादा है.
उनके परिवार ने उन्हें आखिरी बार 3 मार्च 2022 को देखा था जब वे अपने ‘दोस्त’ राजू सिंह, तेजू माली और दाना राम के साथ आए थे.
वह रात भर रुका.
गीता देवी ने कहा,“मैंने उसे हमें मारने के लिए कहा. उसने कहा कि रहने से उसकी मौत हो जाएगी. ”
तब से परिवार पुलिस और प्रतिद्वंद्वी गिरोहों के खौफ में जी रहा है.
जब भी उनके गेट पर सादे कपड़ों में कोई व्यक्ति दिखाई देता है, तो घर के पुरुष छिपने के लिए खेतों में चले जाते हैं.
लेकिन उसके मामले पर नज़र रखने वाले पुलिसकर्मियों का कहना है कि गोदारा लॉरेंस के मॉडल का अनुसरण कर रहा है और गिरफ्तार होने से पहले पैसा कमाना चाहता है. शेखावाटी क्षेत्र के एक पुलिस अधिकारी ने इसकी पुष्टि की है.
“अगर उसके पास पर्याप्त पैसा है तो वह जेलों से बाहर काम करेगा.”
(*व्यक्तियों के अवयस्क होने के कारण उनकी पहचान सुरक्षित रखने के लिए उनके नाम बदल दिए गए हैं.)
(संपादन: पूजा मेहरोत्रा)
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