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Friday, 22 November, 2024
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एक के बाद एक करके कैसे योगी ने ढहा दिया अतीक अहमद का साम्राज्य

गैंगस्टर से राजनेता बने अतीक अहमद, आदित्यनाथ सरकार को यूपी भर में उनकी कानूनी और अवैध बेनामी संपत्तियों को जब्त कर लोगों को वापस सौंपते हुए देख रहे हैं.

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अतीक अहमद कभी भी उस संपत्ति से पीछे नहीं हटा जहां जो उसको चाहिए थी- सिवाए एक बार के, जब वह अपनी ताकत के चरम पर था. “यह मेरे जीवन में पहली बार है कि मैंने कहीं कदम रखा है और फिर पीछे हट गया,” यह बात उसने उत्तर प्रदेश के संगम सिटी प्रयागराज के हार्ट में स्थित ‘पैलेस टॉकीज’ की मालकिन वेरा गांधी को चाभी लौटाते हुए कहा. लेकिन वह 2008 की बात है.

कैसे बदल गईं परिस्थितियां

प्रयागराज के लूकरगंज क्षेत्र में, एक सरकारी संपत्ति पर बने 76 फ्लैट, जिसे अहमद ने एक दशक से अधिक समय पहले अवैध रूप से अधिगृहीत किया था और जिसे 2021 में मुक्त कर दिया गया था, अप्रैल के अंत तक पीएम आवास योजना के तहत तैयार हो जाएगा. यदि सब कुछ योजना के अनुसार रहा, तो यूपी सरकार जल्द ही गरीब परिवारों को चाभियां सौंप देगी- जो कि सांकेतिक रूप से ‘आतंक के शासन’ से मुक्ति के बाद नई शुरुआत का प्रतीक होगी.

पांच बार के विधायक अतीक अहमद की ताकत 2017 में योगी आदित्यनाथ सरकार के आने के साथ ही शुरू हो गया. इसके बाद प्रशासन द्वारा उसकी संपत्तियों पर छापेमारी और बुलडोजर चलाए जाने का सिलसिला शुरू हुआ.

यूपी पुलिस एडीजी (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार के मुताबिक, अहमद और उसके सहयोगियों से संबंधित 1,168 करोड़ रुपये मूल्य की राज्य भर में कानूनी और अवैध बेनामी संपत्ति अब तक जब्त और ध्वस्त की जा चुकी है.

एकमात्र झटका

केवल कुछ ही लोग थे जो अहमद की बराबरी करने की स्थिति में थे, खासकर तब जब वह 2004 और 2009 के बीच समाजवादी पार्टी का सांसद था. उसके खिलाफ – अपहरण से लेकर हत्या तक जबरन वसूली – जैसे कम से कम 130 मामले दर्ज हैं. यहां तक कि भारी-भरकम शरीर वाले इस आदमी की अंदर तक भेद देने वाली आंखें जेल अधिकारियों को भी सुन्न कर देती थीं. और उसकी छवि कुछ ऐसी थी कि कोई भी जेल उन्हें अपने यहां नहीं रखना चाहती थी.

1990 के दशक में शहर में नियुक्त सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक लालजी शुक्ला ने कहा कि संगम सिटी में, अतीक अहमद ने व्यापारियों, भू-मालिकों, किसानों और यहां तक कि सरकार की कई संपत्तियों पर जबरन कब्जा कर लिया था.

शुक्ला कहते हैं, “कॉन्सट्रक्शन, बिल्डिंग, बिजली, इलाहाबाद विकास प्राधिकरण और रेलवे इत्यादि सभी विभागों के ठेके पाने में वह कामयाब रहा.”

अतीक केवल एक बार वेरा गांधी के पैलेस टॉकीज के मामले में पीछे हटा था. लगभग 80 साल की उम्र की हो चुकीं वेरा गांधी को वह दिन आज भी याद है जब 16 साल पहले अतीक अपने 8 गुर्गों के साथ उनके पास पहुंचा और पैलेस टॉकीज की चाभियां लौटाई थीं. गांधी प्रयागराज के लाल बहादुर शास्त्री मार्ग पर रहती हैं.

वह याद करते हुए कहती हैं, “उसने मुझसे कहा कि अगर मैंने उसे सीधे फोन किया होता, तो भी वह मुझे चाभियां सौंप देता. मैंने पूछा कि तो उसने मेरी जगह पर कब्जा करने की धमकी क्यों दी,”

आगे उन्होंने कहा, ‘अहमद कथित तौर पर सिविल लाइंस इलाके के एक जाने-माने कारोबारी परिवार से जबरदस्ती हासिल की गई जमीन पर प्रॉपर्टी बना रहा था. पैलेस टॉकीज साइट के ठीक सामने था, और अहमद निर्माण कार्य की देखरेख के दौरान इसका इस्तेमाल करना चाहता था.’

गांधी एक कोलोस्टॉमी रिवर्सल सर्जरी से रिकवर कर रही थीं और अस्पताल में थीं जब उनके मैनेजर ने उन्हें फोन करके कहा कि अतीक उनके कार्यालय की चाभी मांग रहा है.

गांधी ने दिप्रिंट को बताया, “अतीक कह रहा था कि उसे निर्माण कार्य की देखरेख करते समय धूप में खड़ा होना पड़ता है और इसलिए उसे हमारी बिल्डिंग की जगह चाहिए थी. जब मेरे मैनेजर ने इसके लिए मना किया तो वह उनके साथ जबरदस्ती करने लगा. एक दिन, उसके आदमियों ने उन्हें यह कहकर धमकी दी कि अगर उन्होंने चाभियां नहीं दीं, तो वे कभी भी घर नहीं पहुंच पाएंगे,”

डरे हुए मैनेजर ने उन्हें फोन किया, जिसके बाद उन्होंने मैनेजर को कार्यालय में एक दीवार बनाने और अहमद के लिए एक छोटा कमरा बनाने का निर्देश दिया.

उन्होंने कहा, “मैंने सोचा कि उसे एक कमरा देना बेहतर होगा. अन्यथा, वह पूरी संपत्ति पर कब्जा कर लेता,”

लेकिन चाभियां वापस पाना नामुमकिन साबित हो रहा था. याद करते हुए वह कहती हैं, उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव, सोनिया गांधी और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी को पत्र भेजे थे. यह पांच महीने उसके लिए काफी दर्दनाक रहे.

गांधी दूसरों की तुलना में भाग्यशाली थीं. उनके दिवंगत पति पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी के दूर के रिश्तेदार थे.

उन्होंने कहा, “सोनियाजी जी की बहुत कृपा रही कि उन्होंने इस मुद्दे को उठाया और रीता बहुगुणा जोशी (भाजपा सांसद और पूर्व कांग्रेस नेता) से मामले को देखने के लिए कहा. इसके बाद रीता ने अतीक को फोन किया जिसके बाद उसने हमें चाभियां लौटा दीं.”


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प्रॉपर्टी पर कब्जा करना था उद्देश्य

अपने करियर के चरम के दौरान अतीक के लिए शायद यही एकमात्र झटका था. शुक्ला के मुताबिक 2020 में तोड़ा गया चकिया स्थित उनका मकान नगर निगम की जमीन पर बना हुआ था.

शुक्ला ने कहा, “वह पार्टियों के शीर्ष नेताओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलता था.”

शुक्ला ने आरोप लगाया, “उसने करेली, धूमनगंज, शाहगंज, कोतवाली, पुरा मुफ्ती, खुल्दाबाद और पिपरी जैसे इलाकों में कई संपत्तियों पर कब्जा किया.” दिप्रिंट ने जिन पुलिस अधिकारियों और परिवारों से बात की, उनका कहना था कि वह एक ऐसा व्यक्ति था जिसे लगभग सभी राजनीतिक पार्टियों का संरक्षण प्राप्त था.

वह उन संपत्तियों के बारे में बताते हैं जिन पर दावा किया जा रहा था कि अहमद ने कब्जा कर लिया था: जॉनसन गंज में एक वर्कशॉप; शाहगंज थाने के सामने सोनकर परिवार का एक होटल; पाहूजा ब्रदर्स से संबंधित सिविल लाइंस में एक मोटर वर्कशॉप.” उसने सिविल लाइंस में रॉयल होटल क भी अधिग्रहण करने का प्रयास किया लेकिन अदालत के हस्तक्षेप के कारण ऐसा नहीं हो सका.”

पैंसठ वर्षीय सूरजकली अपने पति बृजमोहन के लापता होने के लिए अहमद को दोषी ठहराती है. मामला अभी विचाराधीन है.

सूरजकली जिन्होंने पिछली बार 1990 में अंतिम बार अपने पति को अहमद के ऑफिस में देखा था, बताती हैं, “हमारे पास 12.5 बीघा ज़मीन थी जिस पर उन्होंने कब्ज़ा कर लिया. अब वहां कई घर बन चुके हैं. मेरे पति अनपढ़ थे, हम नहीं जानते कि उसने [अहमद] उनके साथ क्या किया. हमें उनका शरीर भी नहीं मिला,”

उन्होंने आरोप लगाया, “अतीक के करीबी लोगों ने शिवकोटि सहकारी समिति के नाम से एक सोसाइटी बनाई थी. मेरे पति ने कागजात पर अंगूठा लगाने से मना कर दिया. इसके बाद उनका अपहरण कर लिया गया था और वह कभी वापस नहीं आए,”

सूरजकली को बाद में एहसास हुआ कि उनके साथ क्या हुआ था जब अहमद के गुर्गे जमीन की मार्किंग के लिए आए थे. उन्होंने दिप्रिंट से बताया, “वे मेरे पति के हस्ताक्षर के साथ एक फर्जी डीड बनाने के बाद हमारी जमीन पर कब्जा कर रहे थे. इसके बाद, मैंने एक एफआईआर दर्ज की,”

2008 में, जिस साल अहमद ने वेरा गांधी की संपत्ति पर कब्जा करने के लिए सारा नाटक रचा था, सूरजकली को उसके आदमियों ने अगवा कर लिया था, जिन्होंने कथित तौर पर उससे कहा था कि “उसे चिकन की तरह टुकड़े-टुकड़े कर दिया जाएगा.”

सूरजकली उस वक्त सहमत हो गई लेकिन एक बार उसकी कैद से छूटने के बाद, उसने अदालत का रुख किया, “उन्होंने अतीक अहमद को मुख्तारनामा देने के लिए मुझ पर दबाव डाला. उन्होंने मुझे पीटा और कहा कि अगर मैंने जमीन खाली नहीं की तो मेरा हश्र मेरे पति जैसा होगा.”

उस पर कम से कम तीन बार जानलेवा हमले भी हुए थे जिनसे वह बच गई थी.

2016 में, करीब सात लोग झुंड में उसके घर के सामने एक कार और चार मोटर साइकिलों पर सवार होकर आए और फायरिंग शुरू कर दी. सूरजकली को दो गोलियां लगीं, जबकि उनके बेटे नरेंद्र के पैर में गोली लगी. 2018 में दो कारों में सवार करीब 10-12 लोगों ने उसके घर पर गोलियां चलाईं. मामला विशेष एमपी/एमएलए कोर्ट में लंबित है. फिर 2020 में उनके परिवार पर बम फेंके गए.

सूरजकली के वकील केके मिश्रा ने दिप्रिंट को बताया, “हर बार एफआईआर दर्ज की गई. परिवार गैंग के खिलाफ कुल पांच केस लड़ रहा है.’

सूरजकली प्रयागराज के झलवा इलाके में अपने पति की जमीन के एक छोटे से हिस्से पर अपने तीन बेटों और उनकी पत्नियों व परिवारों के साथ रहती हैं, लेकिन वे लगातार डरे हुए हैं. जमीन के एक बड़े हिस्से पर एक छोटी सी कॉलोनी बस गई है.

अहमद का खतरा उनके जीवन में हमेशा मौजूद रहता है. विडंबना यह है कि उसके बच्चे उसे मामू या चाचा कहने लगे.

अतीक के खिलाफ कई मामलों में उसका केस लड़ने वाले वकील दयाशंकर मिश्रा ने दिप्रिंट को बताया कि ज्यादातर मामलों में, अतीक अहमद और उसके भाई पर साजिश के लिए मामला दर्ज किया गया था. कचहरी वकील हत्याकांड और चकिया हत्याकांड का जिक्र करते हुए उन्होंने दावा किया कि “उनके नाम बाद में एफआईआर में डाले जाएंगे,”

ध्वस्त कर दिया साम्राज्य

जब से योगी सरकार सत्ता में आई है, तब से अतीक की किस्मत पलट गई. और 24 फरवरी को उमेश पाल की हत्या—एक वकील गवाह जो 2005 में बसपा विधायक राजू पाल की हत्या में मुकर गया था— के बाद अधिकारियों को अहमद और उसके सहयोगियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए एक उत्साहित हो उठे. अतीक राजू पाल मामले में भी एक आरोपी था.

मार्च में, प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए) के अधिकारियों ने चकिया और धूमनगंज में कम से कम पांच घरों को ध्वस्त कर दिया, जिनकी पहचान उन्होंने “अतीक के सहयोगियों” के रूप में की थी. अभी और भी अधिक बिल्डिंग्स को ध्वस्त किए जाने की उम्मीद है.

माफियाओं की बेनामी संपत्तियों पर यूपी सरकार की कार्रवाई का जमीनी स्तर पर कुछ असर दिखने लगा है, कम से कम लूकरगंज में. वहीं लोग फ्लैट की मांग कर रहे हैं.

लूकरगंज परियोजना के ठेकेदार गोविंद मिश्रा ने कहा, “एक घर के लिए सौ लोगों ने आवेदन किया है. यह सरकारी जमीन थी जिस पर 17 मीटर x 21 मीटर का एक घर बनाया गया था और एक सरकारी अधिकारी को आवंटित किया गया था. हालांकि, एक दशक पहले, अहमद ने जमीन पर कब्जा कर लिया था,”

संपत्ति के दूसरी साइड रहने वाली एक पड़ोसी सोनिका पांडेय ने उस वक्त को याद करते हुए कहा जब अहमद घर से एक कार्यालय चलाते थे, लेकिन ज्यादातर भाग खाली था. उन्होंने कहा कि बाहर समाजवादी पार्टी का बोर्ड लगा रहता था.

उन्होंने कहा, “घर उजाड़ और सुनसान था, और शायद ही कोई वहां गया हो,”

आज, अतीक अहमद को प्रयागराज में एक विशेष एमपी/एमएलए अदालत के सामने उमेश पाल किडनैपिंग मामले में पेश किया गया. और दोषसिद्ध करार दिए जाने के साथ ही यह पहला मामला है जिसमे उसको दोषसिद्ध पाया गया है.

लेकिन सूरजकली जैसे परिवारों के लिए डर बना रहता है क्योंकि वे सरकार से सुरक्षा की मांग करते हैं.

2016 में गोलियां लगने की वजह से गर्दन के पीछे बने 10 सेंटीमीटर के निशान को दिखाते हुए वह कहती हैं, “इतने सारे मर गए हैं. राजू पाल, उमेश भी… मुझे अपनी जान का डर है, मेरे बच्चों. वे मुझे भी मरवा सकते हैं,”

सूरजकली जैसे लोगों के लिए अतीक अहमद के लिए सजा केवल पल भर की राहत है.

(संपादन : शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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