scorecardresearch
Thursday, 21 November, 2024
होमBud Expectationआर्थिक सर्वेक्षण में मोदी सरकार के आकांक्षी जिला कार्यक्रम - 'सुशासन' टेम्पलेट की सराहना की गई है

आर्थिक सर्वेक्षण में मोदी सरकार के आकांक्षी जिला कार्यक्रम – ‘सुशासन’ टेम्पलेट की सराहना की गई है

सबसे कम विकसित 117 जिलों में जीवन स्तर में सुधार के लिए 2018 में शुरू किए गए सर्वेक्षण में कहा गया है कि स्वास्थ्य, वित्तीय समावेशन के परिणाम कई गैर-आकांक्षी जिलों की तुलना में बेहतर हैं.

Text Size:

नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश की जिसमें उन्होंने कहा है कि देश के दूरस्थ और कठिन क्षेत्रों में स्थित 117 सबसे कम विकसित जिलों में जीवन स्तर में सुधार हुआ है. यह योजना 2018 में लॉन्च की गई थी.

यह मोदी सरकार का एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स प्रोग्राम (ADP) “सुशासन के एक खाका” के रूप में उभरा है.

सर्वेक्षण में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि कैसे कार्यक्रम शुरू होने के चार वर्षों में, कई चिन्हित आकांक्षी जिलों ने न केवल स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा जैसे कई जिलों में औसत राज्यों की स्थिति से अच्छा प्रदर्शन किया है, बल्कि वित्तीय समावेशन परिणामों पर भी उनमें से कई ने औसत राज्य मूल्यों को पार कर लिया है. एक ही राज्य में गैर-आकांक्षी जिलों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया.

28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 117 आकांक्षी जिलों की पहचान थिंक टैंक नीति आयोग द्वारा की गई थी, जो स्वास्थ्य और पोषण, शिक्षा, कृषि और जल संसाधन, वित्तीय समावेशन और कौशल विकास, और बुनियादी ढांचे से लेकर समग्र संकेतकों पर आधारित थी, जो मानव विकास सूचकांक पर प्रभाव डालता है.

संसद में 2019 में पेश किए गए वार्षिक दस्तावेज में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उल्लेख किया गया था कि केंद्र सरकार और राज्यों द्वारा कैसे पिछड़े ब्लॉकों की पहचान करने और देश में सबसे कम विकसित ब्लॉकों को बेहतर बनाने के लिए समान डेटा निगरानी और प्रतिस्पर्धा-आधारित कार्यक्रमों के लिए टेम्पलेट का उपयोग किया जा रहा है.

उदाहरण के लिए, स्वास्थ्य की दृष्टि से 10 इंडीकेटरों में से 73 आकांक्षी जिलों ने राज्य के औसत को पार कर लिया है, जैसा कि सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है. इसी तरह सभी जिलों ने विभिन्न संकेतकों में उल्लेखनीय सुधार किया है.

आर्थिक सर्वेक्षण में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया कि कैसे, “…स्वास्थ्य और पोषण के तहत, 46 जिलों में 45% तक सुधार हुआ है, और 23 जिलों में गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य से संबंधित महत्वपूर्ण संकेतकों में 69% तक सुधार हुआ है, जिसका प्रभाव मातृ और शिशु मृत्यु दर की फ्रिक्वेंसी पर पड़ता है. वहीं प्रसव पूर्व देखभाल जांच का कवरेज; गर्भवती महिलाओं द्वारा सप्लीमेंट्री न्यट्रीशन में रेगुलैरिटी और समय पर एनीमिया का पता लगाने के साथ ट्रीटमेंट रेट पर भी नजर रखी गई है. ”

शिक्षा के तहत, 46 जिलों में 34 प्रतिशत तक सुधार हुआ है और 29 जिलों में महत्वपूर्ण इंडीकेटरों में से 49 प्रतिशत तक सुधार हुआ है, जो छात्रों द्वारा सीखने के रिजल्ट को भी प्रभावित करते हैं – जैसे छात्र-शिक्षक अनुपात का अनुपालन करने वाले प्राथमिक विद्यालयों का प्रतिशत शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 द्वारा निर्दिष्ट, कार्यात्मक पेयजल सुविधा वाले स्कूलों का प्रतिशत और कार्यात्मक लड़कियों के शौचालयों वाले स्कूलों का प्रतिशत.

जब वित्तीय समावेशन की बात आती है तो कई आकांक्षी जिलों ने गैर-आकांक्षी जिलों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है. सर्वेक्षण में कहा गया है, “इसका मतलब है कि अधिक लोगों की बैंक खातों तक पहुंच हुई है, अधिक लोगों को सरकारी बीमा योजनाओं के तहत कवर किया गया है और अधिक लोग आकांक्षी जिलों में (केंद्र के) मुद्रा लोन ले सकते हैं.”

117 आकांक्षी जिलों में से कई ने बिजली कनेक्शन वाले परिवारों का प्रतिशत, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत बारह मासी सड़कों (ऐसी सड़कें जो पूरे साल सभी मौसम में चालू रहती हैं ) तक पहुंच वाले घरों का प्रतिशत, जितनी कही गईं थी पूरी कर ली गई हैं. पीएमजीएसवाई के तहत जिले में कुल स्वीकृत किलोमीटर के प्रतिशत के रूप में पूरा किया गया मौसम सड़क का काम और व्यक्तिगत घरेलू शौचालय वाले परिवारों का प्रतिशत.


यह भी पढ़ें: घट रहा ड्रॉपआउट रेट, जेंडर गैप हो रहा कमः शिक्षा के बारे में क्या कहता है आर्थिक सर्वेक्षण


share & View comments