नई दिल्ली: भारतीय महिला फुटबॉल टीम की पूर्व कप्तान और तीन बार अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) की महिला ‘फुटबॉलर ऑफ द ईयर’ का खिताब जीतने वाली नंगंगोम बाला देवी को शुक्रवार को मणिपुर पुलिस विभाग में इंस्पेक्टर के रूप में नियुक्त किया गया.
इंफाल में शीर्ष अधिकारियों की उपस्थिति में मुख्यमंत्री सचिवालय में आयोजित एक छोटे से समारोह में मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने भाग लिया और 30 वर्षीय महिला खिलाड़ी को रैंक देकर सम्मानित किया.
सीएम सिंह ने शुक्रवार को ट्वीट किया, ‘अंतर्राष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी नंगंगोम बाला देवी को मणिपुर पुलिस इंस्पेक्टर के पद पर नियुक्त किया गया और भारतीय फुटबॉल टीम के गोलकीपर एलंगबम पंथोई चानू को सम्मानित किया गया. हम राष्ट्र और राज्य (एसआईसी) को गौरव दिलाने वाले एथलीटों का सम्मान कर रहे हैं.
यह पहली बार नहीं है जब फुटबॉल खिलाड़ी बाला ने अपनी चमक बिखेरी है. बाला देवी यूरोपीय फुटबॉल क्लब के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर करने वाली पहली भारतीय महिला थीं. उन्होंने जनवरी 2020 में रेंजर्स एफसी के साथ करार किया था और उन्हें नंबर 10 की जर्सी दी गई. वह स्कॉटिश क्लब का प्रतिनिधित्व करने वाली पहली एशियाई फुटबॉलर बनी थीं.
रिपोर्ट के मुताबिक, अपने घरेलू करियर के 37वें मैच में 26वां गोल करने के बाद उन्हें विदेशी क्लब ने नोटिस किया था. महिला राष्ट्रीय टीम के लिए खेलते हुए देश के लिए सबसे अधिक गोल (52) करने वाली खिलाड़ी आज भी वही हैं.
एक अन्य भारतीय पेशेवर फुटबॉल खिलाड़ी लोइतोंगबाम आशालता देवी ने कथित तौर पर कहा था, ‘बाला दी रेंजर्स के लिए खेल रही हैं, यह एक बहुत बड़ा अवसर है क्योंकि यह हमें विदेशों में खेलने और अगली पीढ़ी के लिए रास्ते दिखाता है. मुझे उम्मीद है कि युवा पीढ़ी उनसे प्रेरित होगी…’
बाला देवी ने अनुबंध से पहले 2010, 2014 और 2016 में तीन दक्षिण एशियाई फुटबॉल महासंघ (SAFF) चैंपियनशिप ट्रॉफी भी जीती थीं.
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बाला का मैदान में जलवा
मणिपुर की राजधानी शहर से 22 किमी दूर एक छोटे से गांव इरेंगबाम में जन्मी बाला देवी 15 साल की उम्र से भारत के लिए खेल रही हैं. वह रोनाल्डो और रोनाल्डिन्हो जैसे ब्राजीलियाई सितारों को देखते हुए बड़ी हुई हैं. लेकिन मणिपुरी महिला फुटबॉल खिलाड़ी ओइनम बेमबेम देवी में उन्हें अपना असली आदर्श मिला. देवी को ‘भारतीय फुटबॉल की दुर्गा’ के रूप में जाना जाता है.
ICSA क्लब के लिए जिला स्तर की प्रतियोगिताओं में खेलने के एक छोटे से कार्यकाल के बाद बाला को नेशनल गेम्स ऑफ इंडिया-2002 में बेमबेम देवी के साथ खेलने का अवसर मिला. उस समय उनकी उम्र महज 11 साल थी. राष्ट्रीय चैंपियनशिप में लगातार अच्छा प्रदर्शन करने के बाद बाला 2005 में भारतीय राष्ट्रीय अंडर -17 टीम में शामिल हो गई. उन्होंने दक्षिण कोरिया में प्री-ओलंपिक क्वालीफायर खेला और हैट्रिक स्कोर करने में सफल रही.
उन्होंने 2020 में टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए गए अपने एक साक्षात्कार कहा था, ‘जब मैं छोटी थी तो लड़कों के साथ खेला करती थी. बाद में मेरे इलाके (इरेंगबाम में) में लड़कियों के लिए एक नया क्लब आईसीएसए शुरू किया गया. मैं क्लब में शामिल हो गई. और फिर धीरे-धीरे राष्ट्रीय टीम में शामिल होने के लिए सीढ़ी दर सीढ़ी ऊपर चढ़ती चली गई.’
बाला को एआईएफएफ ने 2015, 2016 और 2020 में तीन बार विमेंस ऑफ द ईयर के खिताब से नवाजा है.
पहले की एक रिपोर्ट बताती है कि बाला देवी के उदय का कारण ‘मणिपुर में महिलाओं की मजबूत फुटबॉल संस्कृति’ थी, जो 1976 की शुरुआत से ही थी. उसी समय पहली राज्य स्तरीय महिला फुटबॉल लीग टूर्नामेंट का आयोजन किया गया था.
एआईएफएफ ने 1991 में भारतीय महिला फुटबॉल चैम्पियनशिप शुरू करने के बाद से, मणिपुर फुटबॉल टीम इसे 17 बार अभूतपूर्व रूप से जीतती आई है. अलग-अलग एज ग्रुप के लिए आयोजित होने वाले टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए महिलाओं को छोटी उम्र से ही इस खेल का लिए प्रोत्साहित किया जाता है.
(संपादन: ऋषभ राज | अनुवाद: संघप्रिया मौर्या)
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