नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा द्वारा राज्य इकाइयों को ‘गुजरात मॉडल या संगठन’ से सीख लेने के लिए कहने के एक दिन बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी की प्रजा संग्राम यात्रा के लिए तेलंगाना बीजेपी प्रमुख बंदी संजय कुमार की तारीफ की, जो पिछले महीने संपन्न हुआ था.
यह यात्रा तेलंगाना में केसीआर के नेतृत्व वाली भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) सरकार को हटाने के बीजेपी के सभी प्रयासों का हिस्सा थी. इसमें बड़ी संख्या में आम जनता की भागीदारी देखी गई.
मोदी ने दिल्ली में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के पहले दिन में बताया कि कैसे संजय के नेतृत्व में बीजेपी की तेलंगाना इकाई ने गैर-बीजेपी शासित राज्य में चुनौतियों का सामना करने के बावजूद पैदल मार्च पूरा किया.
प्रजा संग्राम यात्रा जो एक विपक्ष शासित राज्य में चलाया गया इसे पार्टी यूनिट के लिए अनमोल सबक बताते हुए मोदी ने कहा कि राज्य के नेताओं को आगे बढ़कर नेतृत्व करना चाहिए. बैठक में शामिल हुए बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने मोदी के बयान को कुछ इस तरह से बताया,”वह (संजय) नहीं चाहते थे कि भाषा उनकी यात्रा में बाधा बने. चूंकि वह अंतरमन से इस यात्रा को लेकर समर्पित थे इसलिए उन्होंने इसे पूरा करने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी”.
मोदी ने नड्डा से यह देखने के लिए तेलंगाना में पार्टी के विभिन्न मोर्चों से पांच-पांच सदस्य भेजने को कहा कि कैसे संजय की टीम ने इतनी बड़ी यात्रा का आयोजन किया. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि इस तरह के कदम से तेलंगाना इकाई का मनोबल भी बढ़ेगा.
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “तेलंगाना पर चर्चा के दौरान, बंदी संजय ने प्रजा संग्राम यात्रा पर एक प्रस्तुति दी और बताया कि कैसे राज्य इकाई ने लगातार बाधाओं के बावजूद पैदल मार्च की योजना बनाई. 116 दिनों में 18 जिलों में पांच चरणों से होकर गुज़री इस यात्रा के लिए, पार्टी को 42,940 मिस्ड कॉल प्राप्त हुए (उन लोगों से जो यात्रा से जुड़ना चाहते थे). यात्रा के तुरंत बाद तेलंगाना में बदलाव की लहर भी दिखाई दे रही है.”
बीजेपी नेता ने दिप्रिंट से कहा, घंटे भर की अपनी प्रेजेंटेशन में, तेलंगाना बीजेपी प्रमुख ने वरिष्ठ नेताओं से कहा कि राज्य में मतदाताओं ने मौजूदा सरकार को उखाड़ फेंकने का मन बना लिया है. संजय ने कहा कि यात्रा को मतदाताओं के बीच सफलता मिली और केसीआर के नेतृत्व वाली सरकार की कमियों के बारे में जागरूकता पैदा हुई.
संजय ने आगे कहा कि यह विचार जाति समूहों के साथ परामर्श करने और मंदिर-मंदिर घूमने के अलावा छोटी और बड़ी जनसभाएं करने का था. उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी की तेलंगाना इकाई “बहुत जल्द” एक बस यात्रा शुरू करेगी क्योंकि यह हज़ारों लोगों के लिए परिवहन का पसंदीदा साधन है.
जब संजय ने हिंदी में अपनी प्रेजेंटेशन शुरू की, तो मोदी ने उन्हें इसे तेलुगु में करने के लिए कहा क्योंकि इससे उन्हें अपनी भावनाओं को अधिक स्पष्ट रूप से व्यक्त करने की अनुमति मिलेगी. बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ, जो तेलंगाना के प्रभारी भी हैं, उन्होंने संजय के लिए अनुवादक के रूप में काम किया.
हालांकि, मोदी ने राजस्थान या छत्तीसगढ़ का नाम नहीं लिया, जहां इस साल चुनाव होने हैं. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि प्रजा संग्राम यात्रा के लिए उनकी प्रशंसा दोनों विपक्षी शासित राज्यों में इकाइयों के लिए एक संकेत था जहां उनके प्रयास कम रहे हैं. उदाहरण के लिए, जन आक्रोश यात्रा राजस्थान-बीजेपी को जिस तरह के समर्थन की उम्मीद थी, वैसा समर्थन नहीं मिला.
संजय ने दिप्रिंट को बताया, “मैंने एक प्रेजेंटेशन दी है और प्रधानमंत्री ने हमारी यात्रा की तारीफ की है और सुझाव दिया है कि अन्य राज्यों के नेताओं को इस पहल पर ध्यान देना चाहिए.”
पार्टी नेताओं के साथ अपनी बातचीत में, मोदी ने ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सरकार के खिलाफ अभियान के लिए पश्चिम बंगाल इकाई की भी प्रशंसा की. उन्होंने कहा, “राज्य में बीजेपी की संभावनाओं को बदलने के लिए जितनी भी तारीफ की जाए कम है.”
इस बीच, बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने सर्वसम्मति से जून 2024 तक बीजेपी अध्यक्ष के रूप में नड्डा के कार्यकाल को बढ़ाने का फैसला किया.
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सांस्कृतिक आदान-प्रदान की पहल पर जोर
काशी तमिल संगमम जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रम, पिछले साल स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में बीजेपी कैडरों द्वारा की गई तिरंगा यात्राओं के साथ, उन पहलों में शामिल थे, जिन्हें बैठक के पहले दिन पारित राजनीतिक प्रस्ताव में उल्लेख किया गया था.
इस बीच, मोदी ने बीजेपी नेताओं से राज्यों के बीच सांस्कृतिक अंतर को पाटने के लिए अधिक सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम और उत्सव आयोजित करने को कहा है. उनकी टिप्पणी काशी तमिल संगमम की सफलता पर तमिलनाडु बीजेपी प्रमुख के. अन्नामलाई द्वारा एक प्रस्तुति के दौरान एक हस्तक्षेप के रूप में आई, जिसमें उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में राज्य के एक लाख से अधिक लोगों ने भाग लिया.
दिसंबर में भाजपा के पदाधिकारियों की एक बैठक के दौरान, मोदी ने पार्टी नेताओं को सलाह दी थी कि वे अपने राज्यों में अन्य राज्यों के स्थापना दिवस मनाएं. उन्होंने कहा था कि इससे अधिक लोगों को दूसरे राज्य में रहने वाले अपने साथी भारतीयों के मूल के साथ जुड़ने में मदद मिलेगी.
केंद्रीय बजट नजदीक आने के साथ ही राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान इसके व्यापक संदेश को ज़मीनी स्तर पर प्रसारित करने के प्रयासों पर भी चर्चा की गई. मोदी ने सुझाव दिया कि पार्टी राज्य, जिला और बूथ स्तरों पर नीति-निर्माताओं और गैर-राजनीतिक हस्तियों को बजट को सरल शब्दों में विभाजित करने के लिए तैयार करती है. उन्होंने कहा कि इन व्यक्तियों को यह भी तुलना करनी चाहिए कि केंद्र सरकार ने बजट में राज्यों को क्या दिया है क्योंकि विपक्षी दल कभी-कभी तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करते हैं.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को संसद में केंद्रीय बजट पेश करेंगी.
राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दूसरे दिन अपनाए गए सामाजिक-आर्थिक संकल्प में, बीजेपी ने कहा कि मोदी द्वारा संचालित नीतियों ने देश को “संतृप्ति की राजनीति और संतृप्ति के शासन” में जकड़ लिया है. इसमें कहा गया है कि मोदी सरकार के हस्तक्षेप ने भारतीय अर्थव्यवस्था को ‘नाजुक पांच’ के प्लेसहोल्डर से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में बदल दिया.
इस बीच, पार्टी ने एक अन्य प्रस्ताव में जी20 की अध्यक्षता और राम मंदिर के निर्माण से संबंधित प्रयासों के लिए मोदी सरकार की सराहना की. यह प्रस्ताव महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा पेश किया गया था और केंद्रीय मंत्री वी. मुरलीधरन और हरियाणा बीजेपी सांसद सुनीता दुग्गल ने इसका समर्थन किया था.
मंगलवार को संवाददाताओं को जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि विपक्ष ने पहले अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए एक स्पष्ट समयरेखा स्थापित करने में विफल रहने के लिए बीजेपी का मजाक उड़ाया था.
उन्होंने कहा, “अब, एक समयरेखा की घोषणा की गई है. यह हमारे लिए बहुत गर्व की बात है कि सरकार सांस्कृतिक और धार्मिक पुनर्जागरण की शुरुआत करने के उद्देश्य से प्रयास कर रही है.”
प्रधान ने यह भी कहा कि पहले केंद्र सरकार की आर्थिक नीति चंद हकदार लोगों के लिए ही होती थी.
उन्होंने कहा, “2014 के बाद से, पीएम ने सभी के लिए नीतियां बनाई हैं. यह संतृप्ति का शासन बन गया है जहां सरकारी योजनाएं सभी के लिए हैं और पिरामिड के निचले भाग में लोगों को (सरकारी सेवाओं का) वितरण हो रहा है, चाहे डिजिटल लेनदेन हो या गरीब-कल्याण-योजना.”
(संपादनः फाल्गुनी शर्मा)
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