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Sunday, 24 November, 2024
होमदेश'मेरिट को सिर्फ 20% वेटेज’: हरियाणा में आर्थिक-सामाजिक स्थिति देखकर हो रही संविदा पर टीचर्स की भर्ती

‘मेरिट को सिर्फ 20% वेटेज’: हरियाणा में आर्थिक-सामाजिक स्थिति देखकर हो रही संविदा पर टीचर्स की भर्ती

जहां विपक्ष ने खट्टर सरकार पर 'शिक्षित और योग्य युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़' करने का आरोप लगाया है, वहीँ हरियाणा के मुख्यमंत्री का कहना है कि 'भर्ती प्रक्रिया' को और अधिक पारदर्शी बनाया गया है.

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चंडीगढ़: क्या आपने कभी सुना है कि कोई नियोक्ता शैक्षिक योग्यता और कौशल सहित अन्य योग्यताओं के लिए केवल 20 प्रतिशत अंक आरक्षित रखता है, जबकि 80 प्रतिशत में आर्थिक, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, आयु और निवास का जिला जैसे अन्य चीजों पर किया गया विचार शामिल होता है?

मगर यही वह तरीका है जिसके जरिए हरियाणा सरकार अपनी भर्ती संस्था, हरियाणा कौशल रोजगार निगम (एचकेआरएन), के माध्यम से राज्य के स्कूलों के लिए प्रशिक्षित स्नातक शिक्षकों (ट्रेनड ग्रेजुएट टीचर- टीजीटी) और प्रशिक्षित स्नातकोत्तर शिक्षकों (ट्रेनड पोस्ट ग्रेजुएट टीचर- टीजीटीपीजीटी) की भर्ती करने जा रही है.

एचकेआरएन की वेबसाइट के अनुसार, इस संस्था की स्थापना ‘राज्य की सभी सरकारी संस्थाओं को पारदर्शी, टिकाऊ और न्यायसंगत तरीके से संविदात्मक आधार पर मानव शक्ति (मैनपावर) उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से’ की गई थी. इस बीच सरकारी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि इस निगम के माध्यम से मुहैया करवाई गई संविदा आधारित सरकारी नौकरियों में गरीब परिवारों और मुख्यमंत्री अंत्योदय परिवार उत्थान योजना (एमएमएपीयूवाई) के लाभार्थी परिवारों को वरीयता मिलेगी.

पिछले साल 30 दिसंबर को निकाले गए एक विज्ञापन में एचकेआरएन द्वारा अनुबंध के आधार पर टीजीटी और पीजीटी शिक्षकों की रिक्तियों (खाली पदों) को भरने के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे.

हालांकि विज्ञापन में ऐसी रिक्तियों की कुल संख्या का उल्लेख नहीं था, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने 7 दिसंबर को घोषणा की थी कि 4,144 उम्मीदवारों को एचकेआरएन के माध्यम से पीजीटी और टीजीटी शिक्षकों की नौकरियां प्रदान की गई थीं, और ऐसे 4,800 और पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू की गई थी.

किसी उम्मीदवार द्वारा जो अंक अर्जित किए जा सकते हैं, उसका विवरण इसी विज्ञापन के अनुलग्नक ‘ए’ के तहत सूचीबद्ध है, जो ‘टीजीटी और पीजीटी की तैनाती के लिए चयन और स्कोरिंग (अंक प्राप्त करने) मानदंड’ की रूपरेखा तैयार करता है.

कुल 150 अंकों में से, केवल 30 अंक ही कौशल या शैक्षिक योग्यता से संबंधित हैं: 20 अंक हरियाणा शिक्षक पात्रता परीक्षा (हरियाणा टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट – एचटीईटी) को पास करने के लिए हैं और अन्य 10 अंक शैक्षणिक योग्यता के लिए आरक्षित हैं. बता दें कि एचटीईटी प्रमाणपत्र पास होने के दिन से सात साल के लिए वैध होता है. टीजीटी के लिए अंडरग्रेजुएट डिग्री कोर्स और पीजीटी के लिए पोस्टग्रेजुएट डिग्री कोर्स में प्राप्त प्रतिशत से अंकों की गणना करने का एक फॉर्मूला भी दिया गया है.

फिर, उम्मीदवार की वार्षिक पारिवारिक आय उसे अधिकतम 40 अंक प्राप्त करवा सकती है. 1.80 लाख रुपये तक की वार्षिक पारिवारिक आय के 40 अंक मिलेंगे; 1.80 लाख रुपये से 2.50 लाख रुपये के बीच 30 अंक मिलेंगे; 2,50,001 रुपये और 4 लाख रुपये के बीच 20 अंक दिए जाएंगे और 4 लाख रुपये से 6 लाख रुपये के बीच की पारिवारिक आय के लिए सिर्फ 10 अंक मिलेंगे.

पांच अंक सामाजिक-आर्थिक स्थिति के लिए आरक्षित किए गए हैं – विधवाओं को दिए जाने के लिए; यदि आवेदक के पिता की मृत्यु 42 वर्ष की आयु प्राप्त करने से पहले हो गई है तो उसके पहले या दूसरे बच्चे के लिए; और अगर पिता की मृत्यु उम्मीदवार के 15 साल के होने से पहले हो जाती है तो उसके पहले या दूसरे बच्चे के लिए.

एमएमएपीयूवाई के लाभार्थियों के लिए भी 50 अंक अलग से सुरक्षित रखे गए हैं. एमएमएपीयूवाई की वेबसाइट के अनुसार, यह योजना एक ऐसी पहल है, जिसके तहत सरकार ने राज्य में ऐसे सबसे गरीब लोगों की पहचान की है जिनकी पारिवारिक आय कौशल विकास और स्वरोजगार के माध्यम से प्रति वर्ष 1.80 लाख रुपये तक बढ़ाई जाएगी.

आयु संबंधी मानदंड को पूरा करने के लिए भी उम्मीदवार 15 अंक तक प्राप्त कर सकते हैं.

18-25 आयु वर्ग के उम्मीदवारों के लिए पांच अंक आरक्षित हैं; 24-30 वर्षों के लिए 10; 30-36 वर्षों के लिए 15; 36-42 साल के उम्मीदवारों लिए 10; और 42 वर्ष से अधिक आयु वालों के लिए शून्य अंक निर्धारित किये गए हैं.

इसके अलावा, 10 अंक ‘उसी जिले में तैनाती की आसानी के लिए उसके निवासी हेतु एज ऑफ़ डिप्लॉयमेंट वाले वेटेज’ के रूप में आरक्षित किए गए हैं.


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विपक्ष द्वारा की जा रही आलोचना

शिक्षकों के चयन के लिए सरकार द्वारा निर्दिष्ट इन मानदंड को विपक्षी नेताओं की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है, जो यह आरोप लगा रहे हैं कि चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है और एचकेआरएन के माध्यम से भर्ती किया जाना राज्य में नियमित भर्तियों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का एक प्रयास है.

राज्य के नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए इस मुद्दे को उठाया भी था. दिप्रिंट के साथ बात करते हुए, हुड्डा सीनियर ने कहा, ‘एचकेआरएन का उद्देश्य पक्की नौकरियों, योग्यता और आरक्षण व्यस्था को समाप्त करना और भर्ती संस्थानों को बेमानी बनाकर अनुबंध आधारित भर्ती की परिपाटी को बढ़ावा देना है. सरकार शिक्षित और योग्य युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है. इसने मेरिट (प्रतिभा व योग्यता) को दरकिनार कर परिवार की आय को भर्ती का आधार बना लिया है.’

उन्होंने इस तरफ इशारा किया कि परिवार के पहचान पत्र में दर्ज आय को भी क्रॉस-चेक (दुबारा से जांचा- परखा) नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि यह जानकारी लोगों द्वारा स्वयं प्रदान की जाती है और इसकी पड़ताल के लिए कोई पुख्ता तंत्र नहीं है.

27 दिसंबर को विपक्ष द्वारा पेश किये गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का जवाब देते हुए, खट्टर ने कहा था कि ठेकेदारों के माध्यम से दिए जाने वाले रोजगार के मामलों में शोषण की शिकायतें सामने आने के बाद ही एचकेआरएन की स्थापना की गई थी.

हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कहा था, ’एचकेआरएन के माध्यम से एक वर्ष की अवधि के लिए अनुबंध के आधार पर अस्थायी रोजगार की पेशकश की जाती है. हरियाणा लोक सेवा आयोग (एचपीएससी) और हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (एचएससीसी) के माध्यम से उनके स्थान पर किसी नियमित व्यक्ति (कर्मचारी) की भर्ती होते ही यह संविदा आधारित रोजगार समाप्त हो जाता है. हालांकि, इस तरह से हटाया गया कर्मचारी भी नियमित भर्ती के लिए भी आवेदन कर सकता है.‘

खट्टर ने आगे बताया कि एचकेआरएन के माध्यम से उच्च शैक्षणिक योग्यता वालों को प्राथमिकता दी जाती है. उन्होंने कहा कि इस निगम के माध्यम से अब तक 4,000-5,000 टीजीटी, पीजीटी शिक्षकों की भर्तियां की जा चुकी हैं.

उन्होंने कहा कि निजी एजेंसियों के माध्यम से काम पर लगाए गए 90,000 से अधिक कर्मचारियों को एचकेआरएन के द्वारा समायोजित किया गया है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि निगम द्वारा अपनाए जा रहे भर्ती मानदंड एचकेआरएन वेबसाइट पर उपलब्ध हैं, जिससे यह प्रक्रिया और पारदर्शी हो गई है, क्योंकि उम्मीदवार कट-ऑफ मेरिट के अनुसार अपने अंकों की गणना स्वयं कर सकते हैं.

उन्होंने कहा कि जब भी उनकी सरकार व्यवस्था में कोई आमूलचूल परिवर्तन लाती है तो विपक्ष हमेशा उसका विरोध करता है.

उन्होंने इस तरफ ध्यान दिलाया कि पहले की भर्ती प्रणाली निजी एजेंसियों के माध्यम से चलाई जाती थी, जहां से सरकारी विभागों और निगमों में मानव शक्ति (मैन पावर) को काम पर रखा जाता था. उन्होंने कहा कि एचकेआरएन के साथ सरकार ने एक पारदर्शी मंच तैयार किया है.

हालांकि, एचकेआरएन को अक्टूबर 2021 में कंपनी अधिनियम के तहत स्थापित किया गया था, लेकिन इसने हाल ही में भर्तियों में तेजी लाई है. यह निगम, एचपीएससी – जो विभिन्न सिविल सेवाओं और विभागीय पदों के लिए पात्र उम्मीदवारों का चयन करने के लिए सिविल सेवा परीक्षा और प्रतियोगी परीक्षा आयोजित करता है – और विभिन्न सरकारी विभागों में कर्मचारियों की भर्ती के लिए परीक्षा लेने वाले एचएससीसी, के अतिरिक्त अस्तित्व में है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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