नयी दिल्ली, छह दिसंबर (भाषा) नीति आयोग ने विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) के मौजूदा कानून की जगह लेने के लिए प्रस्तावित उद्यम एवं सेवा केंद्र विकास (डेश) विधेयक के कुछ प्रावधानों को लेकर आपत्ति जताई है।
सूत्रों ने मंगलवार को कहा कि नीति आयोग ने प्रस्तावित विधेयक में एसईजेड को आंशिक रूप से गैर-अधिसूचित करने और ‘शुद्ध विदेशी मुद्रा आय’ (एनएफई) शर्त खत्म करने से संबंधित प्रावधानों को लेकर चिंता जताई है।
वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में सरकार ने एसईजेड के नियमन के लिए एक नया कानून लाने का प्रस्ताव रखा था। उसी सिलसिले में ‘उद्यम एवं सेवा केंद्र विकास’ विधेयक प्रस्तावित है जो एसईजेड संबंधी मौजूदा कानून की जगह लेगा। मौजूदा एसईजेड अधिनियम वर्ष 2006 में लागू हुआ था।
सूत्रों के मुताबिक, एनएफई जरूरत के संदर्भ में शुल्क रियायत देना मुश्किल होगा और जमीन नजदीक न होने की स्थिति में सीमा-शुल्क विभाग के लिए एसईजेड की गतिविधियों पर नजर रख पाना मुश्किल होगा।
नीति आयोग ने वाणिज्य मंत्रालय को सुझाव दिया है कि वह इन प्रावधानों पर एक बार फिर विचार करे। एक सूत्र ने कहा कि राजस्व विभाग की तरफ से भी इसे लेकर आपत्तियां जताई गई हैं।
वाणिज्य मंत्रालय ने नए कानून के जरिये एसईजेड को नया स्वरूप देने के लिए निर्यात करों से छूट देने और आयात शु्ल्कों को स्थगित करने जैसे कई कदम उठाने का प्रस्ताव रखा है।
भाषा
प्रेम रमण
रमण
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.
