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Sunday, 24 November, 2024
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जवाबी छापेमारी- आक्रामक होती BJP से पदमपुर विधानसभा सीट को बचाने के लड़ाई में जुटी BJD

भाजपा पदमपुर के मौजूदा विधायक की मृत्यु के कारण हो रहे उपचुनाव में इस सीट पर जीत हासिल करने के लिए भरपूर जोर लगा रही है. बीजद भी डटकर उसका मुकाबला कर रही है.

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नई दिल्ली: हाल फिलहाल में ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने राज्य के अंदरूनी हिस्सों में शायद ही कभी कदम रखा हो और उन्होंने वोट हासिल करने के लिए लगातार अपनी अपार लोकप्रियता पर ही भरोसा किया है, लेकिन उनका यह सियासी अल्पविराम शुक्रवार को तब समाप्त हो गया जब उन्होंने बरगढ़ जिले में पड़ने वाले पदमपुर विधानसभा क्षेत्र में पांच दिसंबर हो रहे उपचुनाव के लिए प्रचार अभियान में हिस्सा लिया.

इस बार,पटनायक के नेतृत्व वाला बीजू जनता दल (बीजद) तेजी से आक्रामक हो रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ कोई जोखिम नहीं लेना चाहता है, जो अक्टूबर में हुए धामनगर उपचुनाव में अपनी जीत से तरोताजा महसूस कर रही है उस सीट को अपने पास बरकरार रखने में सफल होने के बाद, बीजेपी अब पदमपुर सीट को बीजेडी से छीनने की भरपूर कोशिश कर रही है.

यहां जीत हासिल करने से 2024 के विधानसभा और लोकसभा चुनावों से पहले के समयकाल के दौरान ओडिशा में बीजेपी की साख और चमक सकती है, साथ ही बीजेडी,जो राज्य में अपने लगातार छठे कार्यकाल पर नजर गड़ाए हुए है, उसकी चमक भी फीकी पड़ सकती है.

इस तरह के ऊंचे दांव के साथ,दोनों पार्टियां अपने तरकश के सभी तीरों को आज़मा रही हैं-कल्याणकारी योजनाओं से लेकर केंद्रीय एजेंसियों की छापेमारी के प्रतिशोध के तौर पर राज्य की एजेंसियों की जवाबी छापेमारी के साथ-साथ किसानों के मुद्दों और एक रेलवे परियोजना को लेकर एक दूसरे पर उंगलियां उठाई जा रहीं हैं.

बीजद सूत्रों ने बताया कि पार्टी ने पदमपुर में करीब 30 विधायकों और राज्य के 10 मंत्रियों को तैनात किया है.इस मामले में पीछे न रहते हुए भाजपा ने भी केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को गुजरात में उनके चुनावी दायित्वों से सिर्फ ओडिशा के प्रचार अभियान पर नज़र रखने के लिए छूट दी है.

दिप्रिंट ने जिन वरिष्ठ भाजपा और बीजद नेताओं से बात की, वह सभी एक साथ इस बात पर अड़े थे कि जीत उनके पक्ष की ही होगी.

एक ओर जहां बीजद के राज्यसभा सांसद प्रसन्ना आचार्य ने दिप्रिंट को बताया कि अगर भाजपा सोचती है कि वह पदमपुर में जीत सकती है तो वह दिवास्वप्न देख रही है,वहीं बरगढ़ से भाजपा सांसद सुरेश पुजारी ने जोर देते हुए कहा कि धामनगर की जीत ने ओडिशा में पार्टी के लिए एक ‘मूमेंट’ की शुरुआत कर दी है.


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मौजूदा विधायक की मौत और कर चोरी का मामला

पदमपुर उपचुनाव इस सीट से बीजद के मौजूदा विधायक बिजय रंजन सिंह बरिहा की अक्टूबर में हुई मृत्यु के कारण जरूरी हो गया था. पार्टी ने दिवंगत नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट देने की अपनी परंपरा को कायम रखते हुए उनकी बेटी बर्षा सिंह बरिहा को यहां से टिकट दिया है.

वह मुख्यमंत्री पटनायक की मौजूदगी में शुक्रवार के दिए गए अपने भाषण सहित कई मौंकों पर अपने पिता को भावभीनी श्रद्धांजलि देती रही हैं.उनके एक उम्मीदवार के रूप में खड़े होने के साथ ही बीजद आदिवासी बिंझल समुदाय के वोटों और उनके प्रति संभावित सहानुभूति लहर से कुछ लाभ मिलने पर नज़र गड़ाए हुए है.लेकिन लगभग 2.48 लाख मतदाताओं वाला एक ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र पदमपुर अलग-अलग चुनावों में अलग-अलग दिशाओं में झूलने के लिए जाना जाता है.

भाजपा प्रत्याशी प्रदीप पुरोहित दिवंगत विधायक बरिहा के साथ एक से अधिक मौंकों पर कांटे की टक्कर में शामिल रहें है.साल 2019 में पुरोहित करीब पांच हज़ार वोटों से बरिहा से हार गए थे,लेकिन साल 2014 में भाजपा नेता 4,500 वोटों के अंतर से जीते भी थे.

इस क्षेत्र में एक प्रसिद्ध चेहरा साथ पुरोहित पहली बार 1980 के दशक में भारत एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड (बाल्को), जिसने पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील गंधमर्दन पहाड़ियों में बॉक्साइट के लिए खनन करने की योजना बनाई थी,उसके खिलाफ सफल आंदोलन के नेताओं में से एक के रूप में प्रमुखता के साथ सामने आए थे.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया कि उन्हें (जीत का) पूरा विश्वास है क्योंकि उनके पास किसानों और आदिवासियों का समर्थन है.

पदमपुर से बीजेपी प्रत्याशी व पूर्व विधायक प्रदीप पुरोहित प्रचार में | ट्विटर/@PradipPurohit_

हालांकि, इस साल की चुनावी लड़ाई का तेवर इस निर्वाचन क्षेत्र द्वारा पहले देखी गई किसी भी लड़ाई से अधिक उग्र रहा है.

सोमवार को भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के आयकर विभाग ने तीन ऐसे स्थानीय व्यापार मालिकों के आवासों पर छापेमारी की, जिनके बारे में माना जाता है कि उनके बिजय रंजन सिंह बरिहा के साथ घनिष्ठ संबंध थे. केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों को सिर्फ इसी काम के लिए विशेष रूप से छत्तीसगढ़ से यहां लाया गया था.

इसके तुरंत बाद, राज्य सरकार के जीएसटी विभाग ने भाजपा के कथित समर्थकों के स्वामित्व वाली एक फार्मेसी और पेट्रोल पंप सहित कई स्थानीय व्यवसायों पर छापा मारा- यह एक एक ऐसा कदम था जिसे आयकर विभाग वाले छापे के प्रतिशोध के रूप में देखा जा रहा है.

कुछ दिनों बाद, दोनों दलों के प्रतिनिधिमंडलों ने कानूनविहीन आचरण के आरोपों के साथ राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) से संपर्क किया.

गुरुवार को, बीजद के एक प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान द्वारा कथित तौर पर एक महिला टीवी पत्रकार को राज्य के मंत्री रणेंद्र प्रताप ‘राजा’ स्वेन को ‘चोट पहुंचाने’ के लिए उकसाने के ‘सबूत’ एक पेन ड्राइव में प्रस्तुत किए. प्रतिनिधिमंडल ने प्रधान के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की है.

भाजपा ने भी, सीईओ को एक याचिका दी है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि ‘एक विधायक के निर्देश पर बीजद के गुंडों के हमले में एक महिला कार्यकर्ता घायल हो गई थी.’


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रियायतें, किसान, रेल लाइन की कनेक्टिविटी वाला विवाद

बरगढ़ जिले में आने वाले पदमपुर के लिए हो रहे प्रचार अभियान को भाजपा और बीजद द्वारा सूखा के खतरे वाले इस क्षेत्र के पिछड़ेपन के लिए एक-दूसरे पर प्रहार करने के रूप में परिभाषित किया है.

लेकिन उपचुनाव की तारीख की घोषणा से ठीक पहले, मुख्यमंत्री पटनायक ने इस निर्वाचन क्षेत्र के लिए 488 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की घोषणा की और वर्चुअल रूप से शिलान्यास समारोहों में भी भाग लिया.

तब से, पटनायक ने सूखा प्रभावित किसानों के कल्याण के लिए 200 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की,तेंदू के पत्तों-जिनका उपयोग बीड़ी बनाने के लिए किया जाता है उसके ऊपर जीएसटी हटाने के लिए केंद्र सरकार को याचिका दी और कुल्टा और मेहर समुदाय परियोजनाओं के लिए ज़मीन और धनराशि स्वीकृत की.उनके इन सभी उपायों को पदमपुर की जनता को लुभाने को ध्यान में रखते हुए उठाया गया देखा जा रहा है.

यहां के 2.48 लाख मतदाताओं में से 44 प्रतिशत से अधिक अनुसूचित जनजाति (एसटी) और लगभग 29 प्रतिशत अनुसूचित जाति (एसटी) से संबंध रखते हैं. कथित तौर पर लगभग 40,000 मतदाता बिंझल समुदाय (जिससे बीजद उम्मीदवार बरशा सिंह बरिहा भी आती है) के हैं, जबकि कुलतास और मेहर समुदायों के पास क्रमशः 30,000 और 20,000 वोट हैं.

इस बीच भाजपा के केंद्रीय मंत्री प्रधान ने भी किसानों के मुद्दों को पूरे जोश के साथ उठाया है. पिछले महीने, उन्होंने केंद्र की प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के राज्य सरकार द्वारा कार्यान्वयन की जांच की मांग की और किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मिलाने के लिए अपने साथ दिल्ली भी लाए थे.

ओडिशा में केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता धर्मेंद्र प्रधान | ट्विटर/@dpradhanbjp

पदमपुर में ऐसे किसानों का विरोध देखा गया है जिन्होंने आरोप लगाया है कि पीएमएफबीवाई के तहत पिछले साल पड़े सूखे से संबंधित फसल के नुकसान के लिए उनके बीमा दावों का निपटान अभी तक नहीं किया गया.

एक अन्य मुद्दा जो प्रचार अभियान के दौरान केंद्र में रहा,वह पदमपुर के रास्ते प्रस्तावित बरगढ़-नुआपाड़ा रेल लाइन है. इस परियोजना की मंजूरी की तारीख को लेकर भाजपा और बीजद के बीच विवाद हो गया है और इस के काम की प्रगति में आई कमी के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराया गया है.

बीजेडी ने आरोप लगाया है कि ओडिशा सरकार द्वारा इस परियोजना के लिए 300 करोड़ रुपये और जमीन देने का फैसला किये जाने के बाद भी रेलवे ने काम शुरू नहीं किया है और इसके बजाय राज्य को एक और सर्वेक्षण करने के लिए कहा है.

इसके बाद, खुद केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव 27 नवंबर को प्रचार करने के लिए पदमपुर पहुंचे, जहां उन्होंने दावा किया कि राज्य सरकार की तरफ से ज़मीन उपलब्ध करवाने में हो रहे विलंब के कारण परियोजना में देरी हुई है.

उन्होंने कहा कि रेल मंत्रालय ने दिसंबर 2021 में ही राज्य सरकार के अधीन आने वाले ओडिशा रेल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट लिमिटेड (ओआरआईडीएल) को अपनी सैद्धांतिक मंजूरी दे दी थी, लेकिन इस एजेंसी ने सर्वेक्षण और भूमि के अधिग्रहण के लिए अपने संक्षिप्त विवरण (ब्रीफींग) को पूरा नहीं किया.

वैष्णव ने ओडिशा सरकार को ज़मीन उपलब्ध कराने की चुनौती दी और दावा किया,’हम उसके एक दिन बाद काम शुरू कर देंगें.’

दिप्रिंट से बातचीत में बरगढ़ के सांसद और भाजपा नेता सुरेश पुजारी ने कहा कि पदमपुर उपचुनाव में रेलवे लाइन ही ‘सबसे बड़ा मुद्दा’है.

पुजारी ने कहा,’राज्य सरकार ने सिर्फ केंद्र पर आरोप लगाया है,लेकिन उन्होंने अब तक सर्वे भी शुरू नहीं किया है. बिना ज़मीन के रेलवे काम कैसे शुरू करेगा? बीजद सिर्फ झूठा प्रचार कर रही है, लेकिन वे यह नहीं बता रहे हैं कि उन्हें रेल बजट में कितना पैसा मिला?’

दूसरी ओर, बीजद के प्रसन्ना आचार्य ने कहा कि भाजपा राज्य सरकार को दोष देकर रेल लाइन को पूरा करने में ‘अपनी अक्षमता को छिपाने के लिए रणनीति’ का इस्तेमाल कर रही थी.

आचार्य ने कहा, ‘हम पदमपुर सीट को खोने का जोखिम नहीं उठा सकते, इसलिए मुख्यमंत्री खुद चुनाव प्रचार कर रहे हैं, लेकिन यहां हम सहज स्थिति में हैं.’

(अनुवाद: रामलाल खन्ना | संपादन: फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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