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Friday, 19 April, 2024
होमराजनीतिगुजरात के पूर्व CM ने कहा- 'BJP सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है, लेकिन विपक्ष का ग्राफ बढ़ नहीं रहा'

गुजरात के पूर्व CM ने कहा- ‘BJP सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है, लेकिन विपक्ष का ग्राफ बढ़ नहीं रहा’

पूर्व मुख्यमंत्री का कहना है कि सत्ताधारी पार्टी की सबसे बड़ी ताकत यह है कि विपक्षी दल एक विश्वसनीय चुनौती देने के लिए तैयार नहीं हैं. कांग्रेस ने ऐन मौके पर उम्मीदवारों का चयन शुरू किया है.

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गांधीनगर: पूर्व मुख्यमंत्री शंकरसिंह वाघेला ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी गुजरात में ‘बड़े पैमाने पर सत्ता विरोधी लहर’ का सामना कर रही है, लेकिन कोई भी विपक्षी दल उस लहर को वोट में तब्दील करने में सक्षम नहीं है.

उनका मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैक-टू-बैक जनसभाएं सत्ता विरोधी लहर की स्वीकृति है, जो गुजरात में 27 साल से अधिक समय तक सत्ता पर काबिज रही भाजपा के खिलाफ बन रही है.

दिप्रिंट के साथ एक इंटरव्यू में वाघेला – जो गुजरात में तीसरे मोर्चे के गठन का प्रयास करने वाले कुछ लोगों में से एक हैं- ने भाजपा की चुनावी संभावनाओं और कांग्रेस के धीमे अभियान के बारे में बात की. उनका मानना है कि मतदाता अभी तक आम आदमी पार्टी पर भरोसा करने के लिए तैयार नहीं हैं.

अक्टूबर 1996 में 40 से ज्यादा भाजपा विधायकों के विद्रोह का नेतृत्व करने वाले वाघेला ने दिलीप पारेख सहित साथी विद्रोहियों के साथ मिलकर राष्ट्रीय जनता पार्टी (आरजेपी) का गठन किया. उन्होंने एक साल और चार दिनों तक मुख्यमंत्री के पद पर रहकर काम किया. 2019 में वह एनसीपी में शामिल हो गए. लेकिन उससे पहले उन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) शासन के दौरान केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्य किया था. लेकिन सिर्फ एक साल बाद वह शरद पवार से अलग हो गए.

गांधीनगर के बाहरी इलाके में अपने आलीशान घर में बैठे वाघेला ने कांग्रेस की तुलना एक ऐसे छात्र से की जो एग्जाम से ठीक पहले तैयारी करना शुरू करता है. ‘कांग्रेस ने लोगों के साथ संपर्क खो दिया है, यही वजह है कि राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ो यात्रा पर हैं.’

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वाघेला कहते हैं ‘लेकिन कांग्रेस बड़ी समस्या नहीं है’. उनके अनुसार, यह मोदी ‘राजनीति की शैली’ है, जिसका एकमात्र उद्देश्य राजनीतिक विरोधियों को किसी भी तरह से खत्म करना है. ‘वह (मोदी) अपने विरोधियों को खत्म करने के लिए कमर के नीचे वार करते हैं. यह एक बड़ी बात है, जो अपने आप में काफी महत्वपूर्ण है और साथ ही चिंता का विषय भी.’

वाघेला के अनुसार, भाजपा की सबसे बड़ी ताकत यह है कि विपक्षी दल एक विश्वसनीय चुनौती देने के लिए तैयार नहीं हैं.

उन्होंने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि भाजपा राम राज्य ले आई है. अगर पिछले 25 सालों में पार्टी ने बहुत अच्छा काम किया होता, तो वोट मांगने के लिए हर मोहल्ले और गली में जाने की जरूरत ही नहीं होती. इसका मतलब साफ है कि उन्होंने राज्य में 27 साल रहते हुए जो वादा किया, वह पूरा नहीं हुआ… गुजरात में विपक्ष कमजोर है, इसलिए भाजपा मजबूत दिखती है.

‘औसत दर्जे के लोगों से भरी आज की बीजेपी’

दिल्ली में बीजेपी आलाकमान पर राजनीति में एक ‘अनसेड रूल’ (यानी कमर नीचे विरोधी पर वार न करना) तोड़ने का आरोप लगाते हुए वाघेला कहते हैं, ‘बीजेपी आज औसत दर्जे के लोगों से भरी हुई है.’

उन्होंने कहा, ‘भाजपा कांग्रेस विधायकों को क्यों खरीद रही है? राहुल (गांधी) गंदी राजनीति से परे हैं. बहुत कम उम्र से इसे देखने के बाद उनका राजनीति से मोहभंग हो गया. राजनीति मनोबल और सिद्धांतों पर चलनी चाहिए.’

पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना या तमिलनाडु में भाजपा सत्ता में क्यों नहीं है, इस बारे में अपना आकलन साझा करते हुए वाघेला ने दिप्रिंट को बताया, ‘आज पूरे देश में भाजपा विरोधी लहर पैदा हो रही है, लेकिन (भाजपा शासित राज्यों में) कोई भी पार्टी ऐसी नहीं है, जो उस लहर को वोटों में तब्दील करने में सक्षम हो.’

वह आगे कहते हैं, ‘भाजपा नेता सोचते हैं कि भारत में हर जगह मतदाता उन्हें प्यार करते हैं. अगर ऐसा है तो आप गंदी राजनीति क्यों कर रहे हैं? इस देश की जनता नाखुश है. प्रधानमंत्री ने अपने पद का महत्व कम कर दिया है और गृह मंत्री (अमित शाह) के जरिए साजिशों को अंजाम दिया जा रहा है. यह लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है. लोग बार-बार झूठ बोलने वाले पीएम की इज्जत नहीं करते हैं.’

मोदी के साथ अपने संबंधों के बारे में पूछे जाने पर वाघेला ने कहा कि उन्हें इस बारे में कुछ भी कहना पसंद नहीं हैं. ‘मोदी से मेरा रिश्ता है और रहेगा, लेकिन राजनीतिक विरोधियों को खत्म करने के लिए राजनीति नहीं होनी चाहिए.’

उन्होंने कहा, ‘यह भाजपा तीसरी दर्जे के लोगों, हत्यारों, बलात्कारियों से भरी हुई है. वे आतंक और जासूसी की राजनीति में लिप्त हैं. यह पार्टी के फायदे के लिए नहीं बल्कि लोगों के व्यक्तिगत फायदे के लिए है. अब इस लूट में विहिप, आरएसएस सभी शामिल हैं.’

उस समय को याद करते हुए जब अटल बिहारी वाजपेयी और एल.के. आडवाणी भाजपा के शीर्ष पर थे, 82 वर्षीय पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘आतंक की राजनीति नहीं थी. आप उनके (वाजपेयी) पास जा सकते थे और विचार साझा कर सकते थे. लेकिन आज बीजेपी में कोई मर्द (पुरुष) नहीं है. मोदी के आसपास की मंडली आतंक की तरह काम कर रही है. यूज एंड थ्रो की राजनीति भाजपा की नई ग्रामर है.

वाघेला का मानना है कि संघ भाजपा की ताकत में इजाफा करता है. उन्होंने बताया, ‘भाजपा में आरएसएस पृष्ठभूमि वाले लोग एकजुट होकर काम करते हैं. चुनाव के दौरान जब आरएसएस कार्यकर्ता मैदान में आते हैं तो भाजपा के दो हाथ बारह हो जाते हैं. जब बारह हाथ एक ही दिशा में काम करते हैं, तो आपको वह परिणाम मिलता है जिसकी आप उम्मीद कर रहे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘आरएसएस कहता है कि देश विचारधारा से अधिक महत्वपूर्ण है, लेकिन वे (संघ और भाजपा) मिलकर प्रचार करते हैं कि विचारधारा देश से अधिक महत्वपूर्ण है.’


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कांग्रेस ‘ढीली’, राहुल पर ‘भरोसा टूटा ‘

गुजरात में कांग्रेस के प्रचार अभियान पर उनका क्या कहना है? इस पर वाघेला ने कहा, कांग्रेस ने ‘ईमानदार छात्र’ की तरह काम नहीं किया है. उसने चुनावी मैदान में उतारने के लिए उम्मीदवारों का चयन करने की प्रक्रिया आखिरी वक्त में शुरू की.

उन्होंने कहा, ‘यह एक सिस्टम फेलियर है. उन्हें चुनाव से पहले होमवर्क करना चाहिए था. ऐसे में पार्टी उन ईमानदार कार्यकर्ताओं की उपेक्षा करती है जिन्हें टिकट नहीं मिलता है. ये कुंठित कार्यकर्ता फिर पार्टी कार्यालयों पर हमला करते हैं.’

गुजरात में कांग्रेस के चुनाव प्रचार में राहुल गांधी की सीमित भूमिका पर वाघेला कहते हैं: ‘राहुल गुजरात कांग्रेस के नेताओं से बहुत निराश हैं. मैंने महसूस किया कि उसका भरोसा टूट गया है. उन्होंने गुजरात में कई नेताओं पर भरोसा किया, लेकिन उन्होंने उस भरोसे के बदले में कुछ नहीं मिला.

उन्होंने कहा, ‘चाहे मैं या कोई अन्य विधायक बीच में ही चला गया हो, वह (राहुल गांधी)कभी नहीं चाहते कि विधायक इस तरह से पार्टी छोड़ कर जाने के लिए तैयार हों. इसलिए उन्होंने गुजरात के लिए आदरभाव खो दिया है. उनका भरोसा टूट गया है.’

हालांकि वाघेला का कहना है कि वह इस तरह के तर्क से ‘आश्वस्त नहीं’ हैं.

उन्होंने कहा, ‘राजनीति में वफादारी या विचारधारा जैसी कोई चीज नहीं होती. जब चुनाव आते हैं तो, वफादारी से ज्यादा जरूरी योग्यता हो जाती है. मैं कांग्रेस के शुरूआती संकट की गहराई में नहीं उतरना चाहता, लेकिन वफादारी योग्यता पर हावी हो जाती है और कभी-कभी एक वफादार कार्यकर्ता का पक्ष लेने के लिए पार्टियां योग्य उम्मीदवारों की अनदेखी कर देती है. ऐसा नहीं होना चाहिए. पार्टियों को ऐसे उम्मीदवारों का चयन करना चाहिए जो अपने समुदाय में लोकप्रिय हों और उनके हितों के लिए काम करें.

वाघेला के बेटे और बयाद के पूर्व विधायक महेंद्र सिंह ने इस महीने की शुरुआत में भाजपा छोड़ दी और कांग्रेस में शामिल हो गए. वह कांग्रेस के टिकट पर बयाद से चुनाव लड़ेंगे.

‘आप’ गुजरात चुनाव में करोड़ों रुपये लगा रही है’

आप के बारे में बात करते हुए वाघेला ने माना कि अरविंद केजरीवाल की पार्टी गुजरात में सफल हो सकती है. उन्होंने कहा, ‘गुजरात की राजनीति में एक शून्य है. भाजपा बड़े पैमाने पर सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है, लेकिन इससे अन्य दलों, खासकर कांग्रेस के ग्राफ में कोई उछाल नहीं आया है.

AAP के फंड के स्रोत पर सवाल उठाते हुए वाघेला का कहना है कि AAP ‘मार्केटिंग’ पर केंद्रित है और चुनाव में ‘सैकड़ों करोड़’ का निवेश कर रही है. ‘मुझे नहीं पता कि वे गुजरात में कितना पैसा लगा रहे हैं… 200 करोड़, 300 करोड़ … उन्हें सभी को बताना चाहिए कि पैसा कहां से आ रहा है.’

लेकिन ‘आप’ के लिए ‘ट्रस्ट फैक्टर’ एक बड़ी चीज है. वाघेला ने गुजरात में केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी के शीर्ष पायदान का जिक्र करते हुए कहा कि इस दल में लगभग पूरी तरह से नए चेहरे शामिल हैं.

उन्होंने कहा, ‘राजनीति में लोग अनुभवी नेताओं पर भरोसा करते हैं. आप गुजरात में इसी कमी का सामना कर रही है.’

‘कांग्रेस के पास प्रणब मुखर्जी थे जिन पर लोगों ने भरोसा किया, भाजपा के पास वाजपेयी थे. आप के नेतृत्व में इस भरोसे की कमी है. एक कहावत है – लोग पुरानी व्हिस्की, पुराने डॉक्टर और अनुभवी नेता को पसंद करते हैं.’

यह पूछे जाने पर कि क्या गुजरात में तीसरे मोर्चे के लिए जगह है, जैसा कि उन्होंने 1996 में प्रयास किया था, वाघेला ने दिप्रिंट को बताया, ‘ऐसा नहीं है कि गुजरात में तीसरे मोर्चे की राजनीति कभी सफल नहीं हो सकती. तीसरे मोर्चे की पार्टियां भारत के आधे हिस्से पर शासन कर रही हैं – चाहे वह बंगाल में ममता हों, तमिलनाडु में स्टालिन हों, तेलंगाना में केसीआर हों, आंध्र प्रदेश में वाईएसआर हों और बिहार में नीतीश कुमार-राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का गठबंधन हो.

यह पूछे जाने पर कि क्या ‘आप’ की मुफ्त की रेवड़ियां की राजनीति का चुनाव परिणाम पर कोई असर पड़ेगा, वाघेला कहते हैं, ‘पार्टी चलाने के लिए आपको काफी पैसे की जरूरत होती है.’

‘गुजराती व्यवसाय-उन्मुख हैं. वे भुगतान किए बिना कुछ भी नहीं लेते हैं. वैसे तो फ्री में कुछ भी नहीं आता. कोई भी राजनेता परियोजनाओं को अंजाम देने के लिए अपना पैसा नहीं देता है. सारा पैसा (सरकारी योजनाओं को लागू करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला) लोगों की जेब से आता है.’

आप की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि ‘ऐसे वादे करने वाला कोई भी व्यक्ति, दरअसल लोगों को बेवकूफ बनाना चाहता है.’

वाघेला ने जोर देकर कहा कि चुनाव आयोग को इन चुनावी वादों पर नजर रखनी चाहिए. ‘यह टाइम पास के लिए किया जा रहा है. उन्हें एक नियम बनाना चाहिए कि अगर कोई भी पार्टी पांच साल के भीतर चुनावी वादे पूरे नहीं करती है, तो एक राजनीतिक दल के रूप में उसका पंजीकरण रद्द कर दिया जाएगा.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

(अनुवादः संघप्रिया मौर्य)


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