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Friday, 22 November, 2024
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मोरबी ब्रिज के रखरखाव में लगा गुजरात का बिजनेस ग्रुप ओरेवा क्यों सुर्खियों में है

‘मोरबी का गौरव’ कहे जाने वाले पुल की मरम्मत और रखरखाव का जिम्मा ओरेवा समूह ही संभाल रहा था. समूह क्षेत्र में एक अस्पताल और स्कूल संचालित करने के अलावा स्थानीय और राज्य सिंचाई योजनाओं में भी योगदान देता रहा है.

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मोरबी, गुजरात: गुजरात का एक बिजनेस ग्रुप ओरेवा मोरबी के सस्पेंशन ब्रिज की मरम्मत और रखरखाव में अपनी भूमिका को लेकर आजकल सुर्खियों में है. यह पुल रविवार को ध्वस्त हो जाने के कारण कम से कम 135 लोगों की मौत हो गई. कुछ रिपोर्टों में तो मरने वालों की संख्या 141 तक बताई गई है.

जैसा कि मोरबी के मुख्य नगरपालिका अधिकारी संदीप झाला ने सोमवार को दावा किया था, सस्पेंशन ब्रिज हादसा ये सवाल खड़े कर करता है कि आखिर जिस पुल की पिछले सात महीनों से मरम्मत चल रही थी, उसे नगरपालिका की तरफ से ‘फिटनेस सर्टिफिकेट’ जारी किए जाने से पहले ही सार्वजनिक उपयोग के लिए क्यों खोला गया.

समूह को मार्च 2022 में मोरबी नगरपालिका के साथ अनुबंध के तहत अगले 15 वर्षों तक पुल के रखरखाव और प्रबंधन का जिम्मा सौंपा गया था. इस संबंध में स्थानीय लोगों और कारोबार मालिकों का कहना है कि एक परोपकारी कंपनी के तौर पर ओरेवा ने मोरबी में कई कल्याणकारी प्रोजेक्ट में योगदान दिया है और ब्रिटिशकालीन इस पुल के रखरखाव और प्रबंधन की जिम्मेदारी भी उसने इसी भावना के साथ संभाली थी.

26 अक्टूबर को (गुजराती नव वर्ष पर) पुल फिर खोले जाते समय समूह के अध्यक्ष जयसुख पटेल ने मीडिया को बताया था कि इसकी मरम्मत पर ओरेवा ने 2 करोड़ रुपये खर्च किए हैं.

दिप्रिंट ने फोन कॉल के जरिये ओरेवा के राजकोट और अहमदाबाद स्थित कार्यालयों से संपर्क साधा लेकिन यह रिपोर्ट प्रकाशित किए जाते समय तक कंपनी की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. उनकी प्रतिक्रिया मिलने पर रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.

ओरेवा आज भले ही इस त्रासद घटना के कारण सुर्खियों में हो लेकिन इसे बड़े पैमाने पर उद्योगों की स्थापना और स्थानीय लोगों को रोजगार देकर मोरबी को एक सामान्य गांव से काफी चहल-पहल वाला कस्बा बनाने में मदद करने का श्रेय जाता है.

नाम न छापने की शर्त पर एक स्थानीय व्यवसायी ने दावा किया कि मोरबी नगरपालिका के पास पुल के रखरखाव के लिए पर्याप्त धन नहीं होने की वजह से ही ओरेवा समूह आगे आया और उसने यह जिम्मा अपने हाथ में ले लिया.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘एक धरोहर स्थल के नाते इस पुल को गांव का गौरव माना जाता था, यही वजह है कि ओरेवा ने इसके रखरखाव का खर्च उठाने का फैसला किया. चूंकि पुल मोरबी और आसपास के गांवों के लोगों के लिए एक आकर्षक पर्यटक केंद्र था, इसलिए वे (ओरेवा) इसे चालू रखना चाहते थे.’

व्यवसायी ने आगे बताया कि 2008 में ओरेवा को पहली बार पुल के रखरखाव का ठेका दिए जाने से पहले इसे 2007 में पूरे एक साल बंद रखा गया था. एक रिपोर्ट के मुताबिक, ओरेवा समूह ने जनवरी 2020 में मोरबी के जिला कलेक्टर को पत्र लिखकर मच्छू नदी पर बने सस्पेंशन ब्रिज के रखरखाव और प्रबंधन के लिए स्थायी अनुबंध देने की मांग की थी.

ओरेवा ने इसी साल मार्च में मोरबी नगरपालिका के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत कंपनी को एंट्री फीस में सालाना 2 रुपये की वृद्धि का अधिकार मिला था.

एक स्थानीय व्यवसायी ने कहा, ‘टिकटों की कीमत 15-20 रुपये थी, जो एक ऐसी राशि है जिससे इतनी बड़ी कंपनी के मालिकों को शायद ही कोई फर्क पड़ता हो. वो तो बस मोरबी के लोगों को मनोरंजन और गौरव का अहसास कराने वाली एक जगह देना चाहते थे.’

लेकिन कई स्थानीय कारोबारियों का कहना कि हैरानी की बात है कि ओरेवा के सुपरविजन वाले किसी काम का नतीजा ऐसी किसी त्रासदी के तौर पर सामने आया. मोरबी में सिरेमिक के सामानों के एक डीलर ने कहा, ‘हम जानते हैं कि (पटेल) परिवार के इरादे हमेशा नेक रहे हैं, लेकिन यह तथ्य हम सभी को हैरत में डालता है कि पुल पर कोई सुरक्षा गार्ड तैनात नहीं था. हमें उनसे ऐसे खराब प्रबंधन की उम्मीद नहीं थी.’


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स्थानीय लोगों को रोजगार का मौका मुहैया कराया

अजंता मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड के नाम से भी जाने जाने वाले ओरेवा समूह की स्थापना 1971 में उधवजी आर. पटेल ने की थी, जिसका काम मुख्य तौर पर दीवार घड़ियां बनाने का था और अंततः इस समूह ने इलेक्ट्रॉनिक्स, सिरेमिक, कपड़ा, परिवहन और मशीनरी जैसे कई क्षेत्रों में प्रवेश किया. मोरबी में शुरुआती दौर में कुछ मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट लगाने वाले इस समूह की कमान अब उधवजी के बेटे जयसुख पटेल के हाथ में हैं, जिन्हें परिवार के करीबी उद्योगपति एक ‘मीडिया सैवी’ व्यवसायी करार देते हैं.

2013 तक दीवार घड़ी, कैलकुलेटर और ई-बाइक बिजनेस से इस समूह का कारोबार कथित तौर पर 1,000 करोड़ रुपये से अधिक का हो गया था. 2008 में ओरेवा ने टाटा नैनो को टक्कर देने के लिए एक कॉम्पैक्ट चार-पहिया गाड़ी के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया लेकिन ये परियोजना सिरे नहीं चढ़ पाई.

उद्योग सूत्रों के मुताबिक, ओरेवा ने 2007 से 2011 के बीच मोरबी में फलते-फूलते सिरेमिक उद्योग में निवेश की कोशिश की लेकिन ज्यादा समय तक इसमें टिक नहीं पाई.

मोरबी सिरेमिक एसोसिएशन के अध्यक्ष मुकेश के. ने 90 के दशक की शुरुआत का समय— जब स्थानीय महिलाओं के पास आय का कोई साधन नहीं हुआ करता था— याद करते हुए कहा कि ओरेवा समूह ने अपनी प्राइमरी फैक्टरियों में से एक का प्रबंधन संभालने के लिए सिर्फ महिलाओं की टीम को काम पर रखा था.

उन्होंने कहा, ‘मुझे याद है कि उन्होंने (ओरेवा ने) अपनी महिला कर्मचारियों के लिए पिक एंड ड्रॉप बस सेवा शुरू की और अपने सभी कर्मचारियों की शादी में मदद भी की. यह सब ऐसे समय हुआ जब पानी की किल्लत के कारण किसान सबसे ज्यादा प्रभावित थे. इससे पहले यहां किसी ने इस तरह पहल नहीं की थी और उन्हें इन कार्यों के लिए गांव में काफी सराहना मिली.’

समूह ने मोरबी में सद्भावना अस्पताल और टंकारा में ओरेवा निजी स्कूल भी स्थापित किया था. मुकेश ने बताया कि सालों तक ओरेवा मोरबी के किसानों के लिए स्थानीय और राज्य सिंचाई योजनाओं में भी योगदान देता रहा है.

जुलाई 2019 में रण सरोवर प्रोजेक्ट पर चर्चा के लिए केंद्रीय जल आयोग, प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और 18 अन्य विभागों की एक बैठक बुलाई गई थी, जिसकी परिकल्पना ओरेवा के अध्यक्ष जयसुख पटेल ने ही की थी. इस परियोजना का उद्देश्य कच्छ के छोटे रण (एलआरके) में समुद्री जल घुसने से रोकना है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि संचित किया गया ताजा पानी खारा न हो जाए.


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‘भाजपा ने जोर देकर ओरेवा से कहा था कि पुल जल्द चालू करे’

वहीं, टंकारा से विधायक और गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष ललित कागथरा पुल ढहने की इस घटना के लिए सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को जिम्मेदार ठहराते हैं. उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘भाजपा आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर अपने अभियान को गति देने के लिए दिवाली पर पुल का उद्घाटन कराकर मोरबी को एक संदेश देना चाहती थी. वे इस पर जोर देते रहे कि समूह (ओरेवा) जल्द से जल्द पुल चालू करे. अगर उन्होंने इस पर जोर नहीं दिया होता और उन्हें काम पूरा करने के लिए समय दिया होता, तो यह घटना नहीं होती.’

दिप्रिंट ने इस पर प्रतिक्रिया के लिए मोरबी से भाजपा विधायक बृजेश मेरजा से फोन कॉल के जरिये संपर्क साधा लेकिन वह उपलब्ध नहीं हुए. उनका जवाब मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.

इस बीच, गुजरात पुलिस ने पुल ढहने के मामले में जवाबदेही तय करने के लिए जांच शुरू कर दी है लेकिन मोरबी के स्थानीय लोगों का मानना है कि इस त्रासद घटना ने ओरेवा के संस्थापक और स्थानीय समाजसेवी ऊधवजी पटेल की विरासत को धूमिल कर दिया है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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