नई दिल्ली: यदि आप किसी विज्ञापन कॉपीराइटर की कल्पनाओं में समा सके, तो आप शायद उसे नाइके के ‘जस्ट डू इट’ के रूप में प्रतिष्ठित और कालातीत टैगलाइन जैसी एक पंक्ति बनाने का सपना देखते पाएंगे. एक मौत की सजा देने वाले दस्ते का सामना करने वाले एक हत्यारे के अंतिम शब्दों से प्रेरित होकर रचे गए इन तीन शब्दों ने इस ब्रांड की पहचान को काफी ऊंचाई दी और उपभोक्ताओं की भीड़ जुटाने के लिए एक नारे के रूप में कार्य किया.
उस टैगलाइन के पीछे के दिमाग और अमेरिकी विज्ञापन जगत के किंवदंती माने जाने वाले डैन विडेन का पिछले 30 सितंबर को 77 वर्ष की आयु में पोर्टलैंड स्थित अपने गृहनगर ओरेगन में निधन हो गया. उनकी मृत्यु इनके व्यापार में भागीदार रहे डेविड एफ. कैनेडी, जो उनकी विज्ञापन एजेंसी विडेन+केनेडी के सह-संस्थापक भी थे, की मौत के लगभग एक साल बाद हुई.
विडेन की मृत्यु, विडेन+कैनेडी की कहानी में उस अध्याय के समापन का प्रतीक है, जो तब शुरू हुआ था जब कॉपीराइटर विडेन कला निर्देशक कैनेडी से विज्ञापन जगत की दिग्गज कंपनी मैककैन-एरिकसन के पोर्टलैंड स्थित कार्यालय में मिले थे और इस जोड़ी ने फैसला किया था कि वे चीजों को अपने तरीके से करना चाहते हैं. और उन्होंने अमेरिका में विज्ञापन की दुनिया को फिर से परिभाषित कर डाला.
साल 1982 के ‘अप्रैल फूल डे’ (पहली अप्रैल) पर उन्होंने न्यूयॉर्क के मैडिसन एवेन्यू स्थित अमेरिकी विज्ञापन उद्योग के ‘नर्व सेंटर’ से अपने आप को विलग कर लिया और एक मालगोदाम से एक स्वतंत्र एजेंसी की शुरुआत की, जो ‘इस विज्ञापन की दुनिया पड़ चढ़े आवरण की धज्जिया उड़ाने’ के लिए बेताब था. उनका पहला ग्राहक था नाइके जो उस समय एक स्नीकर बनाने वाला स्टार्ट-अप था.
विडेन+कैनेडी आज के दिन भी स्वतंत्र ही है और अपनी मृत्यु से पहले, विडेन ने कथित तौर पर इसके स्वामित्व को एक ट्रस्ट में स्थानांतरित कर दिया ताकि वह इसी तरह से बना रह सके.
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टेम्पल ऑफ ऑउटरजॉउसनेस
जब विडेन+केनेडी की शुरुआत हुई थी, तो इसका उद्देश्य विज्ञापन दुनिया को बाधित करना, उद्योग की संस्कृति को बदलना और रचनात्मकता को पनपने देना था. जब यह शुरू हुआ था तो इस एजेंसी में, जैसा कि व्यापक रूप से बताया गया है, एक डेस्क (मेज) के रूप में एक कार्ड टेबल और हॉल के सुदूर किनारे में बने एक पेफोन का इस्तेमाल किया जाता था. लेकिन आज इसके पास वैश्विक उपस्थिति और एक ऐसी संस्कृति है जहां ‘फेल हार्ड (मेहनत करते हुए असफल होना)’ एक मार्गदर्शक सिद्धांत माना जाता है.’
विडेन ने ‘एड एज’ नामक पत्रिका के साथ साल 2016 के एक साक्षात्कार में कहा था, ‘यह सिर्फ पोर्टलैंड, ओरेगन में नहीं है. यह न्यूयॉर्क में है और यह यूरोप में है और यह एशिया, दक्षिण अमेरिका और भारत में भी है. यदि आप हमारे किसी कार्यालय में जाते हैं, तो आप पाएंगे कि कुछ ऐसा ही चल रहा है. मुझे नहीं पता कि यह कैसे होता है, लेकिन यह स्वतंत्रता की भावना और वास्तव में कुछ अद्भुत करने के लिए एक खिंचाव जैसा है.’
अपनी शुरआत से ही, विडेन+कैनेडी ने अपरंपरागत तरीके से काम किया है.
न्यूयॉर्क टाइम्स मैगज़ीन ने अक्टूबर 1991 के अपने एक लेख में इस एड एजेंसी को ‘टेम्पल ऑफ ऑउटरजॉउसनेस‘ के रूप में वर्णित किया था, जो कि जापानी कार निर्माता सुबारू के लिए इसकी पिचिंग (अपने आप की पेश करने) की प्रक्रिया थी.
इस खबर में बताया गया है कि कैसे लगभग एक दर्जन एजेंसियां इस अकाउंट के लिए पिच कर रही थीं. उनमें से, विडेन+कैनेडी एक बड़ी खराब शुरुआत के साथ उतरे और शुरू में अव्यवस्थित और अप्रस्तुत के रूप में सामने आए. यह इतना अधिक बुरा था कि विडेन ने स्पष्ट रूप से घबराते हुए यह कह कर समझाया कि ‘हम बहुत अधिक प्रेजेंटेशन नहीं करते हैं’. लेकिन, कम संपन्न उपभोक्ताओं की लक्षित करते हुए उनके आउट-ऑफ-द-बॉक्स (लीक से हटकर) विचारों ने अन्य सभी की पैकेजिंग को पीछे छोड़ दिया और कंपनी ने वह एड अकाउंट जीत लिया.
इस कंपनी के टीवी विज्ञापनों में एक फैक्ट्री में कारों के पुर्जे जोड़े जाने का फुटेज दिखाए गए थे, जिसमें एक उद्घोषक ने घोषणा की थी कि अगर कोई कार ‘पड़ोसियों के साथ आपकी हैसियत में सुधार करती है, तो आप विकृत मूल्यों वाले नकचढ़े लोगों के बीच रहते हैं.’ इसके प्रिंट मीडिया के विज्ञापनों में यह एलान शामिल था कि बम्पर-टू-बम्पर ट्रैफिक (एक दूसरे से सटी गाड़ियों वाले यातायात) में एक सुबारू ‘उतनी ही तेज़ चलती है जितनी कि एक महंगी कार’.
एकदम शुरुआत से ही विडेन और कैनेडी ने सुनिश्चित किया कि उनका ‘विघटनकारी कार्य’ बयानबाजी तक ही सीमित न रहे. काफी प्रसिद्ध रूप से, इस एजेंसी ने ऐसे लोगों को काम पर रखा है जो आमतौर पर विज्ञापन की दुनिया से संबंधित नहीं थे.
सैन फ्रांसिस्को स्थित विज्ञापन एजेंसी गुडबी, सिल्वरस्टीन एंड पार्टनर्स के सह-अध्यक्ष जेफ गुडबी ने याद किया कि विडेन+कैनेडी के शुरुआती दिनों में विडेन के साथ काम करना कैसा था. वे कहते हैं: ‘हम अपने माता-पिता की गैर-मौजूदगी में पार्टी की योजना बना रहे किशोरों की तरह थे और विडेन उस आदमी की तरह बात करते थे जिसके पास नकली पहचान पत्र था.’
गुडबी ने आगे बताया कि कैसे विडेन ने अनगिनत पेशेवरों को उनकी रचनात्मकता की वास्तविक क्षमता का एहसास करने में मदद की. उन्होंने ‘एड एज’ के लिए एक लेख में लिखा था.’ अगर यह (रचनात्मकता) वहां थी, तो वह इसे आप के अंदर से बाहर निकाल सकते थे. और वे इसे बड़े प्यार से करते थे. विडेन के लिए, यह हमेशा से अन्य लोगों के बारे में था.’
विडेन की मृत्यु के साथ, सोशल मीडिया पर आई श्रद्धांजलि की बाढ़ ने इन्हीं विशेषताओं का जश्न मनाया.
Wanted to give a shout out to this man—Dan Wieden. His vision to take a chance on 12 extremely creative individuals & me (for some reason) changed the trajectory of both my career & my life. I can’t express enough gratitude to Dan, Dave, Jim Riswold, 12.9, & everyone I met at W+K pic.twitter.com/9j9hkochZf
— Vince Largoza (@theycallmevince) October 1, 2022
दिप्रिंट के साथ बात करते हुए, विडेन+कैनेडी इंडिया के प्रवक्ता ने कहा: ‘भले ही हम में से बहुत से लोग, जो वर्तमान में डब्ल्यू+के भारत में कार्यरत हैं, डैन विडेन से नहीं मिले थे, मगर यह कार्यालय उन सभी चीजों पर आधारित है जो उन्हें और डेविड कैनेडी को प्रिय था. डब्ल्यू+के के संचालन के तरीके के लिए कभी कोई नियम पुस्तिका नही रही है और न ही कभी होगी, फिर भी निश्चित रूप से डब्ल्यू+के का एक अपना तरीका है.’
प्रवक्ता ने कहा कि इस ‘तरीके’ में ज्ञान का हासिल करने के बजाय ‘बेवकूफ के रूप में सामने आने’ की क्षमता शामिल है.
डब्ल्यू+के एक कर्मचारी ने कहा, ‘डैन विडेन के शब्दों में, ‘जब आप किसी चीज को नहीं जानते हैं, तो आप पता लगाने की पूरी कोशिश करते हैं. लेकिन जिस पल आपको लगता है कि आप इसे जानते हैं, जिस पल आप सोचते हैं- ओह, हां, हम यह पहले भी कर चुके हैं, पहिये के फिर से खोज का कोई मतलब नहीं है. आप सीखना बंद कर देते हैं, सवाल करना बंद कर देते हैं और अपनी बुद्धिमता पर विश्वास करना शुरू कर देते हैं, आप (रचनात्मक रूप से) मर चुके होते हैं’. मेरा मानना है कि इस कार्यालय ने जो सबसे अच्छे काम किये है, वह इसी रवैये के उत्पाद हैं.’
हालांकि नाइके के लिए किया गया विडेन का काम उनके लिए सबसे प्रसिद्ध उपलब्धि है, कई अन्य ऐसे प्रचार अभियान भी हैं जो अमेरिकी विज्ञापन दुनिया के ‘क्लासिक्स’ बन गए. ओल्ड स्पाइस के ‘द मैन योर मैन कैन स्मेल लाइक’ और स्पोर्ट्स सेंटर के ‘इफ यू कैन लेट एमएम प्ले’ के पीछे भी उनका ही दिमाग था.
इन वर्षों में, विडेन को कान्स लायंस इंटरनेशनल फेस्टिवल ऑफ क्रिएटिविटी के प्रतिष्ठित लायन ऑफ सेंट मार्क और डिजाइन एंड आर्ट डायरेक्शन (डी एंड एडी) से मिले राष्ट्रपति पुरस्कार सहित कई पुरस्कार मिले.
उन्हें वन क्लब हॉल ऑफ फ़ेम, आर्ट डायरेक्टर्स क्लब हॉल ऑफ़ फ़ेम और अमेरिकन एडवरटाइजिंग फेडरेशन हॉल ऑफ फेम में भी शामिल किया गया है.
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‘जस्ट डू इट’
‘जस्ट डू इट’ शायद दुनिया में सबसे लोकप्रिय ब्रांड टैगलाइन है. यह एक एंथम (गान) की तरह है, जो एक वैश्विक भाषा का एक हिस्सा है.
एक अच्छी टैगलाइन वह होती है जो सरल, यादगार और बिना किसी बंधन वाली हो. ‘जस्ट डू इट’ में वह सब कुछ है और नाइके ने इसके आधार पर कई इनाम जीतने वाले विज्ञापन बनाए हैं.
सबसे पहले विज्ञापन में सैन फ़्रांसिस्को में एक दौड़ने वाले आइकन वॉल्ट स्टैक को दिखाया गया था.
यहां तक कि उन आंदोलनकारियों ने भी इस टैगलाइन का इस्तेमाल किया जिन्होंने कॉलिन कैपरनिक- एक फुटबॉल क्वार्टरबैक जिसने पुलिस की बर्बरता का विरोध करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रगान के दौरान खड़े होने से इनकार कर दिया था- के साथ बनाये गए एक विज्ञापन के बाद नाइके के जूते जलाए थे.
साल 2009 में बनी एक डॉक्यूमेंट्री, ‘आर्ट एंड कॉपी’, में विडेन ने इस टैगलाइन की रचना के पीछे की कहानी को बताया था. इसका विचार उन्हें साल 1987 में नाइके के सामने दी जाने वाली एक बड़ी प्रस्तुति से एक रात पहले यह आया था. इसका असंभाव्य सा स्रोत वह लेख था जिसे विडेन ने एक सजायाफ्ता हत्यारे गैरी गिलमोर के बारे में पढ़ा था. गिलमोर ने कथित तौर पर उसकी मौत की सजा के लिए उसके सामने खड़े फायरिंग स्क्वाड से कहा था, ‘लेट’स डू इट.’
मगर, जैसा कि कोई कल्पना कर सकता है, इसे पहले पहल शाबाशियां और तालियां नहीं मिली थे, बल्कि इसे आशंका और कंधे उचकाए जाने का सामना करना पड़ा था.
लेकिन विडेन जोर देते रहे और वास्तव में उन्होंने न केवल एक अच्छे प्रचार अभियान को अंजाम दिया बल्कि विज्ञापनदाताओं की एक पूरी पीढ़ी को पाठ पढ़ने में कामयाब रहे.
एक पत्रकारिता स्नातक के रूप में जिसे ‘हिप्पी’ होने के कारण अपनी पहली नौकरी से निकाल दिया गया था, उस शख्स की अपरंपरागतता और साथ ही उनकी हठधर्मिता भी- उनका मुख्य ‘कॉलिंग कार्ड’ बन गयी.
इस मामले में एक उदाहरण विडेन का उस वक्त दिया जवाब है जब कार निर्माता सुबारू ने एजेंसियों से पूछा कि वे कैसे जानते हैं कि कोई भी चीज सबसे अच्छा हो सकती है? विडेन ने लेखक विलियम फॉल्कनर का हवाला देते हुए कहा था कि अगर उन्होंने कभी एकदम सटीक रूप से वही व्यक्त किया जो वह व्यक्त करना चाहते थे, तो वे ‘अपनी पेंसिल तोड़ देंगे’ और मर जाएंगे. राइडर- ‘फाल्कनर अपने साथ एक बिना टूटी हुई पेंसिल लिए मर गए.’ शायद, विडेन के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ.’
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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