शाम के करीब 6 बजे हैं और पड़ोस का यह मुंबई पार्क लोगों की चहल-पहल से गुलजार है. कुछ लोग टहल रहे है, कुछ आराम फरमा रहे तो वहीं कुछ स्ट्रेचिंग करने में व्यस्त हैं. बुजुर्ग बेंच पर बैठकर एक-दूसरे को किस्से सुनाते हुए आपस में हंसी-ठिठोली करने में लगे हैं. महिलाओं के बीच किसी बात को लेकर गरमागरम बहस छिड़ी हुई हैं. कुछ किशोर गिटार बजा रहे हैं और गा रहे हैं तो कोई जन एक कोने में चुपचाप किताब पर ध्यान गड़ाए हुए बैठा है.
पार्क में ये नजारा बेहद आम हो सकता है लेकिन यहां कुछ ऐसा है जो इसे बाकी से अलग करता है और वो इसका आकार और जगह.
दरअसल ये भारत के ज्यादातर शहरों के उन छोटे पार्कों में से एक है, जिन्हें फ्लाईओवर के नीचे बनाया गया है. पार्कों के निर्माण का एक अनूठा प्रयोग, जो लोगों का काफी पसंद आ रहा है. किंग्स सर्किल जंक्शन और रुइया जंक्शन के बीच का पार्क सिर्फ 660 मीटर लंबा और 12 मीटर चौड़ा है. खुली जगहों की कमी के लिए बदनाम शहर में, योजनाकार इसे ‘सुनियोजित शहरीकरण’ बता रहे हैं. बीएमसी 2016 से वर्टिकल गार्डन, बस स्टॉप ग्रीनिंग और कई बोन्साई फ्लाईओवर पार्क विकसित करने की कवायद में जुटी हुई है.
पार्क के पास में रहने वाले 40 साल के सुनील कदम कहते हैं, ‘मुंबई में आप जहां भी जाएंगे, वहां ट्रैफिक और प्रदूषण ही मिलेगा. यह कम से कम सुरक्षित तो है. क्योंकि अब हमें उन फुटपाथों या सड़कों पर चलने की जरूरत नहीं है जहां हर समय वाहन आते-जाते रहते हैं.’
नानालाल डी मेहता फ्लाईओवर गार्डन बीएमसी गार्डन, बी एन माहेश्वरी उद्यान और दूसरी तरफ फाइव गार्डन के बीच स्थित है.
नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि 2016 में यहां रहने वाले लोगों की मदद से बीएमसी ने इस पहले फ्लाईओवर गार्डन को तैयार किया था.
बीएमसी में पूर्व प्लानिंग कमिश्नर किरण दिघवकर कहते हैं, ‘यह टैक्टिकल अर्बनिज्म का हिस्सा है.’ वह हाल तक टैक्टिकल अर्बनिज्म प्रोजेक्ट का नेतृत्व कर रहे थे. उन्होंने कहा, ‘सुनियोजित शहरीकरण’ की थीम वो खाली जगहें हैं जिन्हें प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाएं खाली छोड़ देती हैं. इन्हीं छोटी-छोटी खुली जगहों पर लोगों को साथ लेकर उन्हें सामुदायिक स्थलों में बदलना टैक्टिकल अर्बनिज्म है.’
बीएमसी में उद्यान विभाग के अधीक्षक जितेंद्र परदेशी याद करते हुए बताते हैं कि उन फ्लाईओवर के नीचे अतिक्रमण की समस्या बढ़ती जा रही थी और उसका इस्तेमाल कार पार्किंग के लिए किया जाने लगा था. इसलिए हमने सौंदर्यीकरण की यह योजना शुरू की क्योंकि शहर में हरियाली की भी जरूरत थी.
परदेशी ने कहा, ‘इससे हमारे कई उद्देश्य पूरे हो रहे हैं. शहर में हरियाली बढ़ेगी, लोगों को मनोरंजन करने वाली ज्यादा जगहें मिलेंगी. और सबसे बड़ी बीत पार्किंग अतिक्रमण से छुटकारा मिल जाएगा. यह सुरक्षा के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण था.’
बीएमसी अधिकारियों का कहना है कि घरों के आस-पास बने होने के कारण ये पार्क लोगों को खासे पसंद आ रहे हैं. खासकर वरिष्ठ नागरिकों को इनसे काफी फायदा हुआ है, जिन्हें अब दूर जाने की जरूरत नहीं है.
थिंक टैंक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की अप्रैल 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, लंदन के 31.68 वर्ग मीटर, न्यूयॉर्क शहर के 26.4 वर्ग मीटर और टोक्यो के 3.96 वर्ग मीटर की तुलना में मुंबई में प्रति व्यक्ति 1.24 वर्ग मीटर खुली जगह उपलब्ध है.
मुंबई विकास योजना 2034 के अनुसार, बीएमसी ने इस अनुपात को बढ़ाकर 3.37 वर्ग मीटर प्रति व्यक्ति करने की योजना बनाई है.
और टैक्टिकल अर्बनिज्म उस योजना का एक हिस्सा है.
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नानालाल मेहता फ्लाईओवर गार्डन
जैसे ही आप इस पार्क के अंदर जाएंगे, स्विमिंग पूल के फर्श जैसा दिखने वाला नीला मोज़ेक वॉकवे आपका अपनी ओर खींच लेगा. पार्क को नर्मदा थीम पर डिज़ाइन किया गया है, जिसमें नदी और उसके घाटों का जिक्र करने वाली सूचना प्लेट लगाई गई है. ब्लू वॉकवे एक नदी का अहसास देता है जिसके दोनों किनारों पर चट्टानें और हरियाली है. यहां बनी सीढ़ियां एक नदी के घाट जैसी दिखती है.
पास ही के माटुंगा में रहने वाली कल्याणी वेंकटेश और नजमा शेख पहले शाम की सैर के लिए फाइव गार्डन जाया करती थीं. लेकिन अब फ्लाईओवर गार्डन उनकी पसंद बन गया है.
वेंकटेश बताती हैं, ‘यह पार्क काफी सुरक्षित और साफ है. दूसरे छोर पर एक पुलिस चौकी है’ वहीं शेख ने कहा, ‘सड़क उबड़-खाबड़ नहीं है. हमारे जैसे वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह ठीक है. पैरों और घुटनों में दर्द नहीं होता है. यहां फाइव गार्डन के विपरीत सड़क का भी रखरखाव किया जाता है.’
पिछले छह महीनों से इस पार्क में आ रहे सुनील कदम का कहना है कि बारिश के मौसम में भी यह पार्क व्यायाम करने के लिए एक अच्छी जगह है क्योंकि फ्लाईओवर बारिश से कुछ हद तक तो बचा ही देता है. कदम, वास्तव में पार्क के आसपास के ट्रैफिक से परेशान नहीं हैं. उन्होंने कहा, ‘मुंबई में आप जहां भी जाते हैं, वहां ट्रैफिक और प्रदूषण होता है. यह कम से कम सुरक्षित है. हमें फुटपाथों या सड़कों पर चलने की जरूरत नहीं है, जहां हर समय गाड़ियां आती-जाती रहती हैं.’
फ्लाईओवर पार्क स्टील की बाड़ से ढका हुआ है और फर्श पर पर्याप्त रोशनी है. यह सुबह 8 से रात 10 बजे के बीच खुला रहता है. वैसे बारिश के दौरान फ्लाईओवर के दो कैरिज वे के बीच की दरारों से रिसने वाला पानी कई बार परेशानी का कारण बन जाता है.
वेंकटेश कहते हैं, ‘केवल मानसून के दौरान ही यह पार्क गन्दा और मैला नजर आता है. इस वजह से इस पर चलना मुश्किल हो जाता है.’
सूरज ढलने लगा तो, शाम के टहलने वालों की भीड़ यहां आने लगी. बोलार्ड गेट से अंदर-बाहर आते-जाते लोग और लोगों का जमावड़ा. सुबह और शाम यही नजारा देखने को मिलेगा.
शहर के खालसा कॉलेज में मास मीडिया विषय में स्नातक कर रही 19 साल की छात्रा परवेज शेख अपनी दोस्त दिव्या के साथ बैठकर बातें कर रही थीं. उनका कॉलेज पार्क से महज 500 मीटर की दूरी पर है.
शेख कहती हैं, ‘यह काफी सुरक्षित है और शाम को भी यहां अच्छी-खासी रोशनी होती है. हम अक्सर यहां पढ़ने आते हैं. प्रकृति की गोद में बैठकर पढ़ना एक अलग ही अनुभव है. यह एक अच्छी जगह है.’
दिव्या ने बताया, ‘कई कॉलेजों के मैदानों या लाइब्रेरी में बैठने तक की जगह नहीं होती है. इसलिए बेहतर रहेगा अगर आपके आस-पास ऐसे बगीचे बने हों.’
परवेज और दिव्या अकेले नहीं हैं. उनके जैसे कई कॉलेज छात्र इस पार्क में गाहे-बगाहे आते रहते हैं. उनके मुताबिक, ऐसे शहर में जहां सार्वजनिक स्थानों की कमी है, इस तरह की पहल की बेहद जरूरत है.
फ्लाईओवर के नीचे की जगह
मुंबई सबसे घने शहरों में से एक है. दिघवकर कहते हैं, अमीर लोगों के पास पहले से ही अपने गेटेड सोसायटी या रहने की जगह हैं. जहां उन्हें काफी खुली जगह मिल जाती है. लेकिन बाकी बचे लोगों खासतौर से निचले तबके के लोगों के पास वह विलासिता नहीं है.
दिघवकर ने कहा, ‘यह खुशी और रहने योग्यता सूचकांक से संबंधित है. अधिक खुली जगहों का मतलब है कि एक शहर कहीं ज्यादा रहने लायक है. और खुशी को बढ़ाने के लिए ज्यादा से ज्यादा खुली जगहों की जरूरत होती है.’
यह नानालाल डी मेहता फ्लाईओवर पार्क की सफलता थी जिसने बीएमसी को शहर के अन्य हिस्सों में इस मॉडल को दोहराने के लिए प्रेरित किया.
परदेशी के मुताबिक, बीएमसी के उद्यान विभाग ने ऐसे करीब 20 फ्लाईओवर का सौंदर्यीकरण किया है. लेकिन सभी को पार्कों में विकसित नहीं किया गया है.
कुल मिलाकर, लगभग 12 पार्क बनाए गए हैं. बाकी को आर्टवर्क, पेंटिंग आदि से सजाया गया है.
फ्लावर मार्केट और कमला मिल्स के बीच के दादर टीटी फ्लाईओवर और एलफिंस्टन फ्लाईओवर में पार्क बनाए गए है. जबकि उपनगर में मौजूद गोरेगांव फ्लाईओवर एक वर्टिकल गार्डन के रूप में सजाया गया है. चेंबूर में फ्लाईओवर में आपको पुस्तकालय का चित्रण करता हुआ एक भित्तिचित्र नजर आएगा. मानो किताबें किसी शेल्फ पर रखी गई हों.
फ्लाईओवर के नीचे ऐसे पार्क विकसित करने के लिए कम से कम 300 मीटर जगह की जरूरत होती है.
परदेशी ने बताया, ‘हम पहले लोगों की जरूरतों और वहां उपलब्ध जगह को देखते हैं. फिर आगे बढ़ने से पहले सड़कों और फ्लाईओवर विभाग से सलाह लेते हैं.’
परदेशी ने कहा, ‘क्योंकि प्रोजेक्ट पूरा होने वाला है तो अब हम मेट्रो लाइनों पर भी खाली जगहों की तलाश करेंगे. एमएसआरडीसी, बीएमसी, एमएमआरडीए, इन सभी को उन्हें विकसित करने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है’
औसतन, बीएमसी ऐसे जगहों का सौंदर्यीकरण करने के लिए 1.5 से 2 करोड़ रुपये के बीच खर्च करती है.
लेकिन ट्रैफिक के बीचों बीच बने इन पार्कों के अपने नुकसान भी हैं. गाड़ियों से निकलता धुंआ और शोर किसी को भी परेशान करने के लिए काफी है. लेकिन हर कोई अपने तरीके से इसका हल निकाल ही लेता है. बहुत से लोग आपको इयरफोन लगाकर, ट्रैफिक के शोर से बचते हुए हरियाली का आनंद लेते हुए मिल जाएंगे.
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