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Friday, 22 November, 2024
होमदेशअर्थजगतभारत को टॉप-3 ग्लोबल इकॉनमी में पहुंचाने के लिए मंत्रालयों के कैपेक्स बढ़ाने पर जोर दे रही मोदी सरकार

भारत को टॉप-3 ग्लोबल इकॉनमी में पहुंचाने के लिए मंत्रालयों के कैपेक्स बढ़ाने पर जोर दे रही मोदी सरकार

सरकार के मंत्रालयों और विभागों से कहा गया है कि ग्रोथ बढ़ाने और अधिक रोजगार सृजित करने में मदद के उद्देश्य से पूंजीगत व्यय बढ़ाया जाए. यह जोर ऐसे समय दिया जा रहा है जब खुदरा मुद्रास्फीति उच्च स्तर पर हैं और वैश्विक ब्याज दरें बढ़ रही हैं.

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नई दिल्ली: केंद्र ने अपने मंत्रालयों और विभागों को फिर से पूंजीगत व्यय बढ़ाने का निर्देश दिया है ताकि न केवल ग्रोथ को बढ़ावा मिले बल्कि अधिक रोजगार सृजित करने में भी मदद मिल सके. दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक यह निर्देश ऐसे समय पर आया है जब राज्यों का पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) काफी कम हो गया है.

पूंजीगत व्यय पर यह निर्देश कैबिनेट सचिव राजीव गौबा की तरफ से 12 अगस्त को विजन इंडिया 2047 की तैयारी पर चर्चा के लिए एक रिव्यू मीटिंग के दौरान दिया गया. विजन इंडिया 2047 दरअसल भारत को अपनी आजादी के 100वें वर्ष तक शीर्ष-3 वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में शामिल कराने और एक विकसित राष्ट्र की स्थिति के और करीब पहुंचाने का प्लान है.

दिप्रिंट को मिले रिव्यू मीटिंग के मिनट्स के मुताबिक, गौबा ने मंत्रालयों और विभागों से कहा कि ‘कैपेक्स बढ़ाएं और पूंजीगत व्यय की लगातार निगरानी कर यह सुनिश्चित करें कि ये (अनुमानित) जरूरतों के मुताबिक हो.

पूंजीगत व्यय वह धन होता है जो सरकार दीर्घकालिक संपत्ति निर्माण पर खर्च करती है. इसे अन्य चीजों के अलावा मशीनरी, भवन, स्वास्थ्य सेवा और बुनियादी ढांचे में निवेश आदि के तौर पर व्यय किया जा सकता है.

बजट 2022-23 बताता है कि केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 में पूंजी निर्माण में रिकॉर्ड 7.5 लाख करोड़ रुपये खर्च का अनुमान लगाया है. इसमें से एक लाख करोड़ रुपये को सहायता के रूप में अलग रखा गया है जो कि राज्यों की पूंजीगत व्यय योजनाओं को फंड करने के लिए 50 साल के ब्याज मुक्त ऋण के तौर पर दिया जाएगा.

लेखा मामलों पर केंद्र सरकार के प्रमुख सलाहकार यानी लेखा महानियंत्रक (सीजीए) के मुताबिक, जुलाई तक मोदी सरकार ने पूंजीगत व्यय पर 2,08,670 करोड़ रुपये खर्च किए थे जो अप्रैल-जुलाई 2021 में खर्च 1,28,428 रुपये की तुलना में 62.5 प्रतिशत अधिक है.

राज्यों को ब्याज मुक्त कर्ज से इतर केंद्र सरकार को पूंजीगत व्यय का लक्ष्य को पूरा करने के लिए अगले आठ महीने में औसतन 55,000 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे.

पूंजीगत व्यय पर सरकार ऐसे समय पर जोर दे रही है जब खुदरा मुद्रास्फीति (जुलाई में 6.7 प्रतिशत रही) और वैश्विक ब्याज दरों में वृद्धि बनी हुई है, जिसने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को मांग दबाने के लिए ब्याज दरों में वृद्धि को प्रेरित किया है.

बहरहाल, इस पर जोर की वजह से सकल अचल पूंजी निर्माण—जो अर्थव्यवस्था में निवेश के स्तर का एक प्रॉक्सी है—में 2022-23 की पहली तिमाही में पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 20.1 प्रतिशत की स्वस्थ वृद्धि दर्ज की गई है.

सीजीए के आंकड़ों से पता चलता है कि सड़क परिवहन और राजमार्ग और रेलवे मंत्रालयों ने अप्रैल-जुलाई में पूंजीगत व्यय में अच्छी वृद्धि देखी है, दोनों मंत्रालयों के पूंजीगत व्यय में जुलाई तक 40 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई है.


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‘विशेष अभियान’ चलाकर लंबित मामलों को निपटाएं

बैठक में यह निर्णय भी लिया गया कि सभी मंत्रालयों और विभागों को केंद्र सरकार की पहल पर इस साल 2 अक्टूबर से 31 अक्टूबर के बीच प्रस्तावित ‘विशेष अभियान’ के जरिये लंबित मामलों को निपटाने पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है.

बैठक के मिनट्स में कहा गया है, ‘ऐसे मामलों के निपटारे के लिए हर हफ्ते कुछ घंटे अलग से निर्धारित किए जा सकते हैं. लंबित मामलों की निगरानी नियमित आधार पर की जानी है.’

मंत्रालयों और विभागों को इस साल के शुरू में संसद में पेश सीएजी रिपोर्ट में शामिल टिप्पणियों की तुरंत समीक्षा करने और सुधार/समाधान से जुड़ी आवश्यक कार्रवाई करने के लिए भी कहा गया है.

मिनट्स में कहा गया है, ‘हर स्तर पर अधिकारियों को सीएजी के ऑब्जर्वेशन की अहमियत के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए ताकि सिस्टम में सुधार के उपायों को समयबद्ध तरीके से लागू किया जा सके.’

विभिन्न मंत्रालयों और सरकारी विभागों में सीधी भर्ती वाले रिक्त पदों पर नियुक्ति के अलावा पदोन्नति वाले पदों और सेवानिवृत्ति के कारण होने वाली रिक्तियों को भरने के लिए त्वरित कार्रवाई के निर्देश भी जारी किए गए हैं.

बैठक में कैबिनेट सचिव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस के संबोधन को रेखांकित करते हुए इस पर जोर दिया कि भारत को अगले 25 वर्षों में क्या-क्या हासिल करना है.

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के मुताबिक, कृषि एवं किसान कल्याण सचिव ने ‘मंत्रालय को फिर संगठित करने’ और इसके नजरिये में आवश्यक ‘बदलाव’ की जरूरत पर जोर दिया. वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘उनका ऑब्जर्वेशन था कि उत्पादन के बजाये वैल्यू चेन क्रिएशन पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है, जिसमें सरकार एक सूत्रधार की भूमिका निभा रही हो.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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