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Tuesday, 5 November, 2024
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स्टाफ, रिटायरमेंट के बाद 1 साल तक चौबीसों घंटे सुरक्षा– क्या कहते हैं SC के जजों के लिए नए नियम

नए नियमों के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस को रिटायरमेंट के बाद छह महीने तक सरकारी आवास का किराया नहीं देना होगा. सूत्रों का कहना है कि SC ने ये सुविधाएं जीवन भर के लिए मांगी थीं, लेकिन इन्हें स्वीकार नहीं किया गया.

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नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार ने शीर्ष अदालत से रिटायर्ड होने वाले जजों को अतिरिक्त सुविधाएं देने के लिए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट जजेस (सैलरी एंड कंडीशंस ऑफ सर्विस) एक्ट 1958 में संशोधन किया है. इसे ‘सुप्रीम कोर्ट जज रूल्स’ के रूप में भी जाना जाता है.

केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय के न्याय विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के पद छोड़ने के बाद, एक साल तक सुविधाओं में इजाफा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट जज रूल्स में नए प्रावधान जोड़े गए हैं.

न्याय विभाग के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि सरकार को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीशों के लिए अतिरिक्त सुविधाओं की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट से एक अनुरोध प्राप्त हुआ था. अप्रैल 2021 में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में कार्यभार संभालने के बाद, न्यायमूर्ति एनवी रमन्ना ने इसे मंत्रालय के साथ उठाए जाने के बाद, सरकार के पास लंबित अनुरोध पर तेजी से काम किया गया.

सीजेआई रमन्ना के 26 अगस्त को पद छोड़ने से तीन दिन से भी कम समय पहले सरकारी अधिसूचना जारी की गई है.

नए नियमों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस और जजों को रिटायरमेंट के बाद एक साल तक कोर्ट की तरफ से एक शॉफर (ड्राइवर) और एक कार्यालय सहायक मिलेगा. कार्यालय सहायक सुप्रीम कोर्ट के ब्रांच ऑफिसर रैंक वाला अधिकारी होगा.

अधिसूचना में कहा गया कि कर्मचारियों को मिलने वाले भत्ते सुप्रीम कोर्ट के नियमित कर्मचारी के समान होंगे.

संशोधित नियमों में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड न्यायाधीश को सेवानिवृत्ति के एक साल तक उनके आवास आवास पर चौबीसों घंटे सुरक्षा दी जाएगी. उसके लिए एक साल तक व्यक्तिगत सुरक्षा गार्ड भी उपलब्ध कराए जाएंगे.

मंगलवार को नए प्रावधानों की अधिसूचना जारी करने से पहले भी सुप्रीम कोर्ट से रिटायर्ड होने वाले मुख्य न्यायाधीश को जीवन भर के लिए चौबीसों घंटे सुरक्षा का अधिकार था.

हालांकि, सरकार ने एक नया नियम भी पेश किया है जिसके तहत अब एक चीफ जस्टिस रिटायरमेंट के 6 महीने बाद तक दिल्ली में टाइप 7 के बंगले में बिना किराये के रह सकते हैं. यह आवास CJI के आधिकारिक रूप से नामित निवास से अलग होगा.

टाइप-7 सरकारी बंगला आमतौर पर उन संसद सदस्यों को आवंटित किया जाता है, जिन्होंने अतीत में केंद्रीय मंत्री के रूप में काम किया हो.

पुराने नियमों के अनुसार, भारत के मुख्य न्यायाधीश को अपने रिटायरमेंट के बाद सिर्फ एक महीने तक ही सरकारी बंगले में रहने का अधिकार था.

संशोधित नियमों के मुताबिक, एयरपोर्ट के लाउंज में सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त चीफ जस्टिस और जजों के लिए सम्मान प्रोटोकॉल मिलेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से क्या कहा था

उपरोक्त सूत्रों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के लिए आजीवन अतिरिक्त सुविधाओं की मांग की थी.

सूत्रों में से एक ने दिप्रिंट को बताया, ‘शीर्ष अदालत के अनुरोध में कहा गया था कि एक रिटायर्ड जज को हमेशा के लिए एक शॉफर (ड्राइवर)और एक अटेंडेंट दिया जाना चाहिए. लेकिन इस अनुरोध को स्वीकार नहीं किया गया.’

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से दो स्टाफ सदस्यों – चालक और सचिवीय सहायक – को न्यायाधीश के निधन के बाद भी उनके साथी के साथ बने रहने की अनुमति देने का अनुरोध किया था.

जहां तक एक पूर्व CJI का सवाल था, उन्हें तीन साल तक बिना किराया दिए सरकारी आवास में बने रहने की अनुमति देने का अनुरोध किया था. सूत्र ने कहा, ‘यह भी अनुरोध किया गया था कि रिटायर्ड चीफ जस्टिस को जीवन भर के लिए उचित सुरक्षा मुहैया कराई जाए. इसके अलावा शीर्ष अदालत ने सेवानिवृत्त सीजेआई को जीवन भर के लिए एक ड्राइवर, एक परिचारक और एक सहायक देने की भी मांग की थी.’

अनुरोधों के पीछे का कारण बताते हुए सुप्रीम कोर्ट के एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया, ‘कई जज रिटायर होने के बाद अकेले रहते हैं और उनके पास कोई मदद नहीं होती है. इमरजेंसी में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड न्यायाधीशों को सहायता करने के लिए हमें अक्सर हाईकोर्ट तक पहुंचना पड़ता है.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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