नयी दिल्ली, 17 अगस्त (भाषा) पूर्ववर्ती योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने बुधवार को कहा कि वर्ष 2047 तक ‘विकसित राष्ट्र’ बनने के लिये सालाना आठ प्रतिशत आर्थिक वृद्धि दर की जरूरत होगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह मानना वास्तविकता से दूर है कि भारत लगातार आठ प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करेगा।
सेंटर फॉर सोशल एंड इकनॉमिक प्रोग्रेस (सीएसईपी) की तरफ से आयोजित एक परिचर्चा में भाग लेते हुए उन्होंने कहा कि देश की वार्षिक प्रति व्यक्ति आय लगभग 2,000 अमेरिकी डॉलर है। विश्वबैंक की परिभाषा के अनुसार एक उच्च आय वाला देश बनने के लिये 2047 तक इसे बढ़कर 12,000 डॉलर हो जाना चाहिए। लेकिन इसकी संभावना बहुत कम है।
अहलूवालिया के अनुसार जो लोग सोचते हैं कि देश की आर्थिक वृद्धि दर निकट भविष्य में 7 से 7.5 प्रतिशत रहेगी, उन्हें यह समझना चाहिए कि देश लंबे समय तक इस दर से वृद्धि हासिल नहीं कर सकता।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत के लिये छह प्रतिशत की औसत आर्थिक विकास दर अनुचित नहीं है।’’
अहलूवालिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2047 तक देश को विकसित बनाने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य का जिक्र करते हुए कहा कि यह इस बात पर निर्भर है कि उनका (मोदी) ‘विकसित देश’ से क्या मतलब है। इसका कारण इसका कोई एक समान परिभाषा नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप उच्च आय वाले देशों के लिये विश्वबैंक की परिभाषा को देखें, उसके अनुसार 12,000 डॉलर प्रति व्यक्ति आय से अधिक होनी चाहिए। फिलहाल यह 2,000 सालाना प्रति व्यक्ति आय है। अगर थोड़ा उदार मान्यताओं को भी ले तो भी हम उस समय 12,000 डॉलर सालाना प्रति व्यक्ति आय को पार नहीं कर पाएंगे।’’
अहलूवालिया ने कहा कि मजबूत नीतिगत परिदृश्य में, देश की सालाना प्रति व्यक्ति आय 2047 तक लगभग 9,600 डॉलर होगी। वहीं बीच वाली स्थिति में यह 7,500 डॉलर होगी।
उन्होंने कहा कि अगर हम यह हासिल करते हैं, मौजूदा स्थिति की तुलना में यह उल्लेखनीय सुधार होगा। ‘‘लेकिन मुझे लगता है कि संभावित आर्थिक वृद्धि दर को देखते हुए हमें इस बात को लेकर वास्तविक धरातल पर होना चाहिए कि इस दौरान हम क्या हासिल कर सकते हैं।’’
दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत 2,700 अरब डॉलर के जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के साथ इस समय विकासशील देश की श्रेणी में है।
अहलूवालिया ने कहा, ‘‘अब यह संभव है कि कोई यह अनुमान जताये कि भारत आठ प्रतिशत की दर से वृद्धि हासिल कर सकता है। इस वृद्धि दर के साथ विकसित देश के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।’’ उन्होंने कहा कि लेकिन वे इस अनुमान को लेकर आश्वस्त नहीं हैं।
भाषा
रमण अजय
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