नई दिल्ली: स्किट और डोर-टू-डोर अभियान. इस तरह आम आदमी पार्टी ने दो चुनावी राज्यों गुजरात और हिमाचल प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘रेवडी’ कल्चर टिप्पणी को लेकर भारतीय जनता पार्टी पर पलटवार करने की योजना बनाई है.
राजनीतिक नेताओं और विशेषज्ञों के मुताबिक, उनकी इस रणनीति का मकसद जनता को यह बताना है कि भाजपा उस समय फ्री सेवाओं का वादा करने के खिलाफ जा रही है, जब बढ़ती कीमतों, घटती बचत और बेरोजगारी ने बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित किया हुआ है. विशेषज्ञों का मानना है कि पार्टी चाहती है कि मोदी के ‘रेवडी कल्चर’ – एक ऐसा शब्द जिसका इस्तेमाल प्रधानमंत्री राजनीतिक दलों द्वारा दी जाने वाली मुफ्त सुविधाओं का वर्णन करने के लिए किया है- वाले बयान का भाजपा पर उल्टा असर पड़े.
दिल्ली के एक वरिष्ठ आप पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘हिमाचल प्रदेश और गुजरात में हमारे चुनाव अभियानों में स्वयंसेवकों ने अब इस विषय पर छोटे-छोटे ‘नाटकों’ के जरिए लोगों को समझाना शुरू कर दिया है’.
उन्होंने आगे कहा, ‘इस दौरान उनमें से कुछ ट्रेन कैटरिंग स्टाफ की तरह कपड़े पहनते हैं और रेवड़ी, रेवड़ी चिल्लाते हुए फेरीवालों की तरह घूमते हैं और फिर लोगों को समझाते हैं कि बीजेपी जिसे रेवडी कहती है, वास्तव में उसका मतलब आप की ओर से दी जाने वाली फ्री गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं और 300- यूनिट मुफ्त बिजली, आदि से है, जो आम जनता की बचत को बचत को बढ़ाने में मदद करती है. हमारे स्वयंसेवक भी घर-घर जाकर यही संदेश फैला रहे हैं.’
विशेषज्ञों का कहना है कि इस समय फ्रीबीज पर मोदी की टिप्पणियों के कई पहलू हैं. साल दर साल राज्यों की वित्तीय स्थिति की खराब स्थिति में योगदान देने वाली सब्सिडी का हवाला देते हुए क्षेत्रीय नेताओं के खुद को फ्रीबी-केंद्रित शासन मॉडल के साथ ब्रांडों में विकसित करने का डर और एक सीधा हमला आप पार्टी पर है, जिसका दिल्ली और पंजाब से आगे विस्तार लंबे समय में भाजपा के लिए एक समस्या हो सकती है.
विशेषज्ञों का कहना है कि केजरीवाल की आक्रामक जवाबी हमले की रणनीति के भी कई पक्ष हैं. उन्होंने बताया कि कैसे मोदी की टिप्पणियों ने सीधे उनके मौलिक शासन मॉडल को प्रभावित किया, जो सब्सिडी पर बहुत ज्यादा निर्भर करता है. वे यह भी कहते हैं कि इस समय केजरीवाल का मोदी से सीधा मुकाबला उन्हें न केवल गुजरात और हिमाचल प्रदेश में, बल्कि भविष्य में उनकी बड़ी राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं के संदर्भ में भी राजनीतिक लाभ दे सकता है.
सेंटर फॉर स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज के राजनीतिक विश्लेषक प्रवीण राय ने दिप्रिंट को बताया, ‘प्रधानमंत्री की टिप्पणी केजरीवाल और उनकी नीतियों पर परोक्ष हमले की तरह लग रही है. ऐसा लगता है जैसे केजरीवाल ने इसे व्यक्तिगत हमले के रूप में लिया है. दिल्ली में उनका शासन मॉडल वास्तव में मुफ्त सेवाओं पर बहुत ज्यादा निर्भर करता है. शायद इसलिए पीएम की टिप्पणियों ने आप को बाकी दलों से ज्यादा प्रभावित किया है.’
रेवड़ी की राजनीति को लेकर तनाव
यह सब 16 जुलाई को शुरू हुआ जब मोदी ने वोट के लिए फ्रीबीज के ‘रेवड़ी कल्चर’ के खिलाफ लोगों को आगाह किया और इसे देश के विकास के लिए ‘बेहद खतरनाक’ बताया.
केजरीवाल ने इसका तुरंत जवाब दिया. उन्हें लगा कि उनकी कल्याणकारी योजनाओं को गलत ढंग से पेश किया जा रहा है, जिसमें लोगों को कई मुफ्त सेवाएं दिया जाना शामिल है.
अगले कुछ दिनों में आप की कई राज्य इकाइयों को विरोध में सड़कों पर उतरते हुए देखा गया. इस बीच केजरीवाल ने भी एक बड़े से नैरेटिव के साथ रणनीतिक रूप से अपने हमलों को जारी रखा. उन्होंने अपने एक बयान में कहा कि मोदी सरकार मुफ्त सेवाओं के खिलाफ है. न सिर्फ मुफ्त बिजली और पानी जैसी सेवाओं के संबंध में, बल्कि मुफ्त स्कूली शिक्षा और मुफ्त स्वास्थ्य सेवा जैसी जरूरी सेवाओं को लेकर भी उन्हें परेशानी है.
साथ ही आप ने इस दावे के साथ भी आगे बढ़ाना शुरू कर दिया कि भाजपा कथित रूप से केंद्र सरकार के करीबी कुछ बेहद अमीर लोगों की मदद कर रही है, उनके कर्ज को माफ कर रही है और उन्हें कर में छूट दे रही है.
8 अगस्त को केजरीवाल ने कहा कि जो लोग उनकी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को ‘मुफ्त’ कह रहे हैं, वे ‘देशद्रोही’ हैं. एक दिन बाद उन्होंने एक बार फिर मोदी सरकार की आलोचना करते हुए भाजपा पर ‘क्रोनी कैपिटलिज्म’ का आरोप लगाया.
10 अगस्त को एक वीडियो प्रेस बयान में केजरीवाल ने कहा, ‘लोगों को मुफ्त में गुणवत्तापूर्ण सेवाएं देने से राष्ट्र को नुकसान होगा! यह काफी अजीब है कि इस तरह की धारणा बनाने के लिए एक माहौल तैयार किया जा रहा है.’
गुरुवार को केजरीवाल ने केंद्र सरकार के फाइनेंस पर सवाल उठाया. ‘केजरीवाल ने एक वीडियो संदेश में कहा, ‘वे अचानक मुफ्त सेवाओं का विरोध क्यों कर रहे हैं? स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्रों में मुफ्त सेवाएं पिछले 75 सालों से मौजूद हैं. केंद्र सरकार इसे क्यों रोकना चाहती है?’
ऐसा लगता है कि आप की रणनीति ने भाजपा को प्रभावित किया है. मोदी ने किसे ‘रेवडी’ कहा था और केजरीवाल ने इसे लेकर उनपर क्यों हमला किया, पार्टी इसके बीच के अंतर को समझाने के लिए साफ तौर पर कड़ी मेहनत कर रही है.
उदाहरण के लिए गुरुवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केजरीवाल पर मुफ्त सुविधा को लेकर बहस को ‘विकृत मोड़’ देने का आरोप लगाया. एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए सीतारमण ने कहा कि स्वास्थ्य और शिक्षा की सुविधा को कभी भी मुफ्त की रेवड़ी नहीं कहा जा सकता. भारत की किसी भी सरकार ने कभी भी इससे इंकार नहीं किया है.
फिर शुक्रवार को बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने भी आप के आरोपों को संबोधित किया. पात्रा ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए काम करना ‘वेलफेयर स्कीम’ कहलाता है. वहीं मुफ्त का मतलब अल्पकालीन लाभ से है. इससे सिर्फ अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी को फायदा हुआ है.
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डिकोडिंग ‘रेवडी’ राजनीति
दिल्ली यूनिवर्सिटी के राजनीति विज्ञान विभाग में एक एसोसिएट प्रोफेसर तनवीर एजाज ने दिप्रिंट को बताया कि सब्सिडी का मूल्यांकन हमेशा पारदर्शिता और जवाबदेही के मानकों के माध्यम से किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘जहां तक इन दो मानकों का सवाल है, मोदी सरकार और केजरीवाल सरकार दोनों को अभी लंबा सफर तय करना है. केजरीवाल के मामले में, वह सरप्लस बजट का हवाला देते हुए दिल्ली की सब्सिडी का बचाव कर सकते हैं, लेकिन पंजाब का क्या, जो भारी घाटे और भारी कर्ज से जूझ रहा है? इसके अलावा पब्लिक फाइनेंस में सरप्लस का मतलब यह नहीं है कि इसे फ्री में बांटा जाए.’
केजरीवाल को मोदी ने क्यों निशाना बनाया, इस पर उन्होंने कहा, ‘ऐसा लगता है कि भाजपा और आप के बीच किसी तरह की प्रतिस्पर्धा चल रही है.’
एजाज ने कहा, ‘और इस समय केजरीवाल दौड़ में सबसे आगे हैं.’
राय ने कहा, भारत एक कल्याणकारी राज्य है. मुफ्त सेवाएं समानता सुनिश्चित करने का एक हथियार है.
वह बताते हैं, ‘इसलिए तथाकथित फ्रीबीज एक ग्रे एरिया बना हुआ है जिसमें सुप्रीम कोर्ट फैसला नहीं करेगा.’ उन्होंने कहा, ‘लेकिन मुझे लगता है कि यहां भाजपा की रणनीति उलटी पड़ सकती है क्योंकि देश भर में लोग बेरोजगारी, बढ़ती कीमतों और घटती बचत के कारण परेशान हैं. जनता के एक बड़े हिस्से के लिए फ्री सेवाएं एक बड़ी राहत के रूप में आती हैं.’
एजाज के मुताबिक, सब्सिडी का बड़ा विचार रोजगार पैदा करना और दीर्घकालिक लक्ष्यों को हासिल करना होना चाहिए.
एजाज ने बताया, ‘(जो नहीं होना चाहिए) बिजली के बिल माफ करने और छह महीने के लिए मुफ्त राशन जैसे कदम अल्पकालिक राहत प्रदान करने तक सीमित है.’ वह आगे कहते हैं, ‘केजरीवाल ने आक्रामक जवाबी रणनीति अपनाई है क्योंकि मोदी की टिप्पणी सीधे उनके मौलिक सब्सिडी समर्थक शासन मॉडल पर हमला करती है. उन्होंने हमेशा कहा है कि वह जाति और धर्म की राजनीति में नहीं हैं.
दिल्ली स्थित पब्लिक पोलिसी थिंक टैंक ‘सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च’ के एक फेलो राहुल वर्मा ने कहा कि पूरे भारत में राज्य के वित्त की स्थिति खराब है और ‘राजनीतिक दलों द्वारा दी जा रही सब्सिडी निस्संदेह इस बिंदु पर चिंता का विषय है’ लेकिन फ्रीबीज देने वाले केजरीवाल अकेले नेता नहीं हैं.
वह बताते हैं, ‘अरविंद केजरीवाल जैसे नेताओं ने स्लम और झुग्गी-झोपड़ी कॉलोनियों में जमीनी स्तर पर काम किया है. इसलिए भारी सब्सिडी पर आधारित कल्याण शासन मॉडल पर उनके विचारों को न केवल जन समर्थन मिला है, बल्कि उन्हें एक ब्रांड बनाने में भी मदद मिलती है. कई राजनीतिक नेताओं ने पिछले कई सालों में अपने सब्सिडी-संचालित मॉडल के जरिए खुद को किसी प्रकार के ब्रांड के रूप में विकसित किया है.’
उनका मानना है कि मोदी की आलोचना के कई कारण हो सकते हैं.
वर्मा ने कहा, ‘सबसे पहला कारण, वह सामान्य तौर पर राज्य के वित्त की खराब स्थिति के बारे में चिंतित हैं. दूसरा, फ्रीबी-केंद्रित मॉडल के आधार पर मजबूत ब्रांड विकसित करने वाले क्षेत्रीय नेता भाजपा के लिए उन राज्यों में विस्तार करने की चुनौती पेश कर सकते हैं. तीसरा, फ्रीबी मॉडल साफतौर पर AAP को दिल्ली से बाहर अपनी पार्टी का विस्तार करने में मदद कर रहा है और यह लंबे समय में मोदी के लिए एक समस्या हो सकती है.’
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2015 में दिल्ली में बहुमत के साथ सत्ता में आने के कुछ दिनों बाद, आप सरकार ने हर महीने 400 यूनिट तक बिजली की दरों में 50 प्रतिशत की कटौती की और हर महीने घरों में 20,000 लीटर तक पानी की खपत फ्री कर दी.
2019 में दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने सब्सिडी पर और योजनाएं शुरू कीं – उनमें से सबसे बड़ी हर महीने हर घर के लिए 200 यूनिट फ्री बिजली, 400 यूनिट तक के बिलों पर 50 प्रतिशत की छूट और सार्वजनिक बसों में महिलाओं के लिए फ्री सफर करना करना शामिल है.
5 जुलाई को दिल्ली विधानसभा में भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की एक रिपोर्ट में दिल्ली के राज्य के वित्त में कुछ संबंधित रुझानों पर प्रकाश डाला गया, जिसमें सात सालों में सब्सिडी खर्च में 92 प्रतिशत की बढ़ोतरी शामिल है.
रिपोर्ट में कहा गया, ‘सब्सिडी पर खर्च 2015-16 में 1,867.61 करोड़ रुपये से बढ़कर 2019-20 में 3,592.94 करोड़ रुपये (92.38 प्रतिशत) हो गया. 2019-20 में सब्सिडी पर खर्च पिछले साल की तुलना में 41.85 प्रतिशत बढ़ा है.
2020 से आप अपने सब्सिडी-संचालित शासन मॉडल – फ्री बिजली यूनिट, फ्री पानी, महिलाओं के लिए मुफ्त बस की सवारी और मोहल्ला क्लीनिकों में मुफ्त इलाज – को उन राज्यों में दिखाती आ रही है जहां-जहां उसने चुनाव लड़ा है.
पंजाब में 10 मार्च को सत्ता में आने के बाद आप ने हर घर में हर महीने 300 यूनिट मुफ्त बिजली की योजना लागू की. पार्टी गुजरात और हिमाचल प्रदेश में भी इसी तरह के वादे कर रही है.
वर्मा के मुताबिक केजरीवाल दो वजहों से कड़ी प्रतिक्रिया दे रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘सबसे पहले, मोदी ने उनके मूल शासन मॉडल पर हमला किया है. दूसरा, इस स्तर पर मोदी जैसे नेता को सीधे तौर पर लेने से उन्हें गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव प्रचार करते समय राजनीतिक लाभ मिलता है, जहां कुछ महीनों में चुनाव होने हैं. और लंबे समय में राष्ट्रीय राजनीति में उन्हें मोदी के खिलाफ विपक्ष के चेहरे के रूप में खुद को स्थापित करने में भी मदद मिलती है.’
विपक्ष क्या सोचता है
कई विपक्षी नेताओं ने भी मोदी की ‘रेवडी’ टिप्पणियों की आलोचना की. कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सुप्रिया श्रीनेत ने दिप्रिंट को बताया कि रेवडी का तर्क ‘गलत, पाखंड और नैतिक रूप से दिवालिया होने की मानसिकता को दर्शाता है.’
उन्होंने बताया, ‘पहली बात तो ये कि रेवडी से उनका क्या मतलब है? यह तो वो मदद है जिसका उद्देश्य गरीबों के कल्याण के लिए है.’ वह कहती हैं, ‘भाजपा का दोहरा रवैया साफ तौर से दिखाई दे रहा है. वे मुफ्त टीके और मुफ्त राशन का दावा करते हैं. उन्होंने चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ की तस्वीरों वाले थैलों में राशन बांटा. क्या वे इसे रेवड़ी के रूप में नहीं देखते हैं?’
भाजपा पर केजरीवाल के लगातार हमलों के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने कहा, ‘हम सभी ने दिल्ली में उनके फर्जी विकास मॉडल को देखा है. उनके तमाम नाटकों के बाद, हमने दिल्ली में पानी की आपूर्ति की गुणवत्ता देखी है.
तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य और प्रवक्ता सुखेंदु शेखर रे ने दिप्रिंट को बताया कि किसी भी सरकार द्वारा मुफ्त सेवाएं समाज में समानता हासिल करने का एक तरीका है.
उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री को फ्रीबीज पर दूसरों की आलोचना तभी करनी चाहिए जब वह स्वयं अपनी पार्टी द्वारा दिए गए मुफ्त सेवाओं की लिस्ट को सबके सामने लेकर आएं. आजादी के 75 साल बाद भी 73 फीसदी राष्ट्रीय संपत्ति, आबादी के एक फीसदी के नियंत्रण में है.’ वह केजरीवाल की रणनीति का आकलन कैसे करते हैं? इस सवाल पर टिप्पणी करने से उन्होंने इनकार कर दिया.
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