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Friday, 22 November, 2024
होमविदेशCEO का इस्तीफा, जासूसी का आरोप- मॉरीशस में एक बड़े विवाद में क्यों फंसा है भारत

CEO का इस्तीफा, जासूसी का आरोप- मॉरीशस में एक बड़े विवाद में क्यों फंसा है भारत

भारत दोषारोपण के खेल में फंस गया जब मॉरीशस टेलीकॉम CEO ने दावा किया, कि मॉरीशस PM ने उसपर भारत की एक टीम को एक सुविधा तक पहुंचने देने का दवाब डाला, जो वहां एक खुफिया उपकरण लगाना चाहती थी.

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नई दिल्ली: हिंद महासागर के द्वीप राष्ट्र मॉरीशस में जून से एक बड़ा राजनीतिक विवाद चल रहा है, जिसने भारत को भी तूफान के केंद्र में खींच लिया है. हालांकि, भारत सरकार ने मॉरीशस प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ का पक्ष लेने का फैसला किया है. लेकिन हर बीते दिन के साथ ये झमेला गहराता जा रहा है.

ये सब जून में शुरू हुआ जब मॉरीशस टेलीकॉम (एमटी) के पूर्व सीईओ शेरी सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इस्तीफा देते समय सिंह ने, जिन्हें सरकार का एक प्रमुख अंतरंगी और जगन्नाथ का नज़दीकी विश्वासपात्र माना जाता था, अपने कर्मचारियों को एक गुप्त बयान ने कहा, ‘अपने मूल्यों से समझौता किए बिना अब मैं और काम नहीं कर सकता, और मेरे लिए ये कोई विकल्प नहीं है.’

बाद में मीडिया को दिए गए साक्षात्कारों में सिंह ने मॉरीशस पीएम के बारे में आरोप लगाए और सेफ (साउथ अफ्रीका फार ईस्ट) केबल से जुड़े विवाद में भारत का हाथ होने का इशारा किया, जो दक्षिण अफ्रीका, मॉरीशस, फ्रांस के ला रेयूनियन, भारत और मलेशिया को जोड़ने वाला 13,500 किलोमीटर लंबा फाइबर ऑप्टिक केबल है.

ले देफी मीडिया समूह और ला सेंटिनल को दिए गए दो साक्षात्कारों में जिनका सीधा प्रसारण किया गया, सिंह ने आरोप लगाया कि पीएम जुगनाथ ने उन्हें मजबूर किया, कि एक भारतीय टीम को बेइ-दु-जेकोटे में स्थित एक सेफ केबल लैंडिंग स्टेशन तक पहुंचने की अनुमति दे दें, जो एक प्रतिबंधित क्षेत्र था.

सिंह ने ये भी कहा कि पीएम का मुख्य उद्देश्य वहां एक ऐसा ‘खुफिया’ उपकरण लगवाना था, जो मॉरीशस के अंदरूनी ट्रैफिक की जासूसी कर सके.

जगन्नाथ के आदेश पर देश के केंद्रीय अपराध जांच विभाग का स्पेशल सेल मामले की जांच कर रही है.

मामले के बारे में पूछे जाने पर, विदेश मंत्रालय प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बृहस्पतिवार को इसकी अहमियत को हल्का करने की कोशिश की. उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं मालूम कि मेरे पास उस मामले का पूरा ब्योरा है कि नहीं, लेकिन मैं समझता हूं कि मॉरीशस के प्रधानमंत्री ने पहले ही इसपर बयान दे दिया है. वास्तव में मेरे पास उससे आगे कहने के लिए कुछ नहीं है. मुझे लगता है कि हमारे नज़रिए से इतना काफी है.’

मीडिया प्रतिनिधियों से बात करते हुए, बृहस्पतिवार को जगन्नाथ ने सिंह के आरोपों का जवाब दिया. उन्होंने पूछा, ‘अगर वो ख़ामोश रहने का अधिकार इस्तेमाल कर रहे हैं, तो उनके अकाट्य सबूत कहां हैं?’

मॉरीशस पीएम ने ये भी कहा, ‘जब उन्होंने मुझपर कुछ ग़ैर-क़ानूनी काम करने का आरोप लगाया, तो मैं अपेक्षा कर रहा था कि वो पुलिस के पास जाकर एक बयान देंगे. जब मैंने उन्हें समय दिया तो उन्होंने ऐसा नहीं किया. इसलिए मैंने ही पुलिस के पास जाकर बयान दिया.’

उन्होंने आगे कहा कि एक नया सीईओ अगस्त के शुरू तक अपना पद संभाल लेगा.


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‘सियासी सुनामी’

मॉरीशस टेलीकॉम के पूर्व सीईओ ने, जो कथित रूप से राजनीति में आने में रूचि रखते हैं, और वहां की सियासी पार्टियों के साथ बातचीत कर रहे हैं, ले देफी ग्रुप से कहा, ‘मेरे रहते हुए या मेरे बिना, एक सियासी सुनामी ज़रूर आएगी.’

स्थानीय मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में सिंह ने इस मामले में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की भूमिका की संभावना को ख़ारिज कर दिया, लेकिन उन्होंने ये ज़रूर कहा कि ‘भारतीय टेक्नीशियंस की टीम के लीडर केबल के लिए आए थे.’

ये पूछने पर कि उन्होंने केबल तक पहुंच की अनुमति क्यों दी, सिंह ने कहा, ‘प्रधानमंत्री सर्वोच्च लीडर हैं, इसलिए मुझे आदेश मानने ही थे. लेकिन मैं इसे स्वीकार नहीं कर सका कि किसी तीसरे पक्ष की निजी डेटा तक पहुंच हो, क्योंकि वो एक विश्वासघात होगा.’

विपक्ष ने भारत पर दोष मढ़ा, मॉरीशस NSA की आलोचना

मॉरीशस की विपक्षी पार्टियां विवाद में कूद पड़ी हैं, और उन्होंने एक तरह से भारत को कोसना शुरू कर दिया है. वो सवाल उठा रही हैं कि उनके देश के मौजूदा एनएसए कुमारेसन इलांगो भारतीय क्यों हैं, मॉरीशस वासी क्यों नहीं हैं.

1982 बैच के आईपीएस अधिकारी इलांगो, 2018 में भारत की अनुसंधान और विश्लेषण विंग (रॉ.) के प्रमुख के लिए दौड़ में सबसे आगे थे. वो श्रीलंका में भारतीय उच्चायोग में स्टेशन कमांडर थे, जहां उनपर वहां के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को हटवाने में एक भूमिका निभाने का आरोप लगाया गया था.

सितंबर 2021 में, जगन्नाथ ने उन्हें मॉरीशस का एनएसए नियुक्त कर दिया. ये इलांगो ही थे जिन्होंने इस साल मार्च में हुई एक बैठक में, समुद्री सुरक्षा सहयोग पर कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन में, भारत, श्रीलंका और मालदीव के साथ मॉरीशस की सदस्यता का भी रास्ता साफ किया था.

इसी सप्ताह विपक्षी मॉरीशियन मिलिटेंट मूवमेंट (एमएमएम) के एक नेता रज़ा उतीम ने, इस विवाद का संबंध इलांगो की नियुक्ति से जोड़ा.

इसपर पीएम ने जवाब दिया कि हालांकि विवाद की जांच चल रही है, लेकिन एनएसए की नियुक्ति ‘भारत सरकार के आग्रह’ के बाद की गई थी.

उतीम को जवाब देते हुए पीएम ने ये भी कहा, ‘भारत से आपको क्या शिकायत है?…बहुत दुख की बात है कि अपने भयावह एजेण्डा को आगे बढ़ाने के लिए, विपक्ष के कुछ लोग बाक़ायदा तौर पर भारत को कोसने में लगे हैं.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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