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Sunday, 17 November, 2024
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थरूर की सीट पर जयशंकर, अमृतसर में मेघवाल: BJP की नजर उन सीटों पर जहां वह 2019 में हारी थी

भाजपा ने उन 144 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों की पहचान की है जहां वह अपेक्षाकृत 'कमजोर' है, लेकिन अगर कोशिश की जाये तो 2024 में उन्हें जीत सकती है. पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं को इन सीटों की देखभाल और उनका नियमित रूप से दौरा करने का काम सौंपा गया है.

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नई दिल्ली: ऐसे वक्त में जब पड़ोसी देश श्रीलंका में घोर आर्थिक और राजनीतिक संकट व्याप्त था, विदेश मंत्री एस जयशंकर पिछले तीन दिनों से केरल में थे, वह भी ‘यह समझने के लिए कि देश भर में केंद्र सरकार की योजनाएं और परियोजनाएं कैसे काम करती हैं.’

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सूत्रों के अनुसार, उनकी इस यात्रा का एक अन्य उद्देश्य राज्य के तिरुवनंतपुरम लोकसभा क्षेत्र में पार्टी के लिए समर्थन जुटाना था, जहां उन्हें 2024 के आम चुनाव को ध्यान में रखते हुए भाजपा के बूथ कार्यकर्ताओं के साथ समय बिताने और जमीनी स्तर पर लोगों के साथ बातचीत करने का काम सौंपा गया था.

यह सीट भाजपा द्वारा अपने ‘मिशन 144’ के हिस्से के रूप में चुनी गई 144 सीटों में से एक है. ये ऐसे ‘कमजोर निर्वाचन क्षेत्र’ हैं जहां पार्टी 2019 के लोकसभा चुनाव में हार गई थी और जहां उसे ‘जीत पाने के लिए जल्दी अपने पांव जमाने’ की जरूरत है.

कांग्रेस के शशि थरूर तिरुवनंतपुरम के मौजूदा सांसद हैं, और उन्होंने पिछले आम चुनाव में भाजपा के कुम्मनम राजशेखरन को 99,000 से अधिक मतों से हराया था. थरूर पहले भी दो बार इसी सीट से चुनाव जीत चुके हैं.

जयशंकर की ही तरह, केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने भी इस सप्ताह की शुरुआत में उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद लोकसभा क्षेत्र में तीन दिन बिताए, जो फ़िलहाल समाजवादी पार्टी के पास है. साथ ही, केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने पंजाब के अमृतसर में तीन दिनों तक पार्टी की विभिन्न इकाइयों के सदस्यों से मुलाकात की.

अमृतसर में, कांग्रेस के गुरजीत सिंह औजला ने 2019 के लोकसभा चुनावों में केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी पर जीत हासिल की थी, हालांकि इससे पहले नवजोत सिंह सिद्धू भाजपा की ओर से इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.

भाजपा के एक सूत्र ने कहा, ‘भाजपा ने उन 144 सीटों पर अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम शुरू किया है, जहां पार्टी अपेक्षाकृत कमजोर तो है, लेकिन अगर और प्रयास किये जायें तो उन्हें जीत सकती है. इसके लिए एक त्रिस्तरीय समिति ने जमीन पर काम करना शुरू कर दिया है और इन 144 सीटों को 40 कलस्टरस में बांटा गया है. हरेक क्लस्टर की देखभाल पार्टी के एक वरिष्ठ नेता द्वारा की जाएगी. इस नेता को साल 2024 तक हर महीने इस निर्वाचन क्षेत्र में तीन से चार दिन बिताने पड़ते हैं.‘

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘हमारी पार्टी का मंत्र है ‘प्रयास करते रहो, प्रयास करते रहो, प्रयास करते रहो’.’

इस नेता ने कहा, ‘हमने पहले ही उत्तर भारत में अपने प्रदर्शन को अधिकतम स्तर तक पहुंचा लिया है. अगर हम कम-से-कम 30 फीसदी कमजोर सीटों पर जीत हासिल कर लेते हैं, तो यह दूसरे राज्यों में हमारे किसी भी संभावित नुकसान की भरपाई कर देगा. अगर हम बड़ी महत्त्वाकांक्षा सामने नहीं रखते हैं, तो हम अपने कार्यकर्ता समूह (कैडर) को कड़ी मेहनत करने के लिए कैसे उत्साहित कर सकते हैं?’

2014 के लोकसभा चुनावों के लिए, भाजपा ने ‘मिशन 272+’ लॉन्च किया था और आखिरकार 543 सीटों में से 282 सीटें जीती थीं. इसी तरह 2019 के चुनावों के लिए इसने ‘मिशन 350+‘ लॉन्च किया था और अंततः 303 सीटें जीतने में कामयाब रही थी.


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‘हर निर्वाचन क्षेत्र में हर महीने बिताएं तीन-चार दिन’

फ़िलहाल उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में सीटें जीतना भाजपा की प्राथमिकता है.

इस काम के लिए बंगाल में सात केंद्रीय मंत्रियों – स्मृति ईरानी, धर्मेंद्र प्रधान, अजय भट्ट, ज्योतिरादित्य सिंधिया, आर.के. सिंह, जितेंद्र सिंह और रामेश्वर तेली – को तैनात किया गया है.

यूपी में, पार्टी ने अभी विपक्षी दलों के पास बनी हुई उन 14 लोकसभा सीटों को चिह्नित किया है, जहां उसे अपनी जीत सुनिश्चित करनी है.

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के गढ़ रायबरेली में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को प्रभारी बनाया गया है, जबकि केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की सीट मैनपुरी का प्रभार संभाल रहे हैं.

भाजपा महासचिव विनोद तावड़े दक्षिण भारत की सीटों की देखभाल कर रहे हैं, जबकि राष्ट्रीय सचिव हरीश द्विवेदी को महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और ओडिशा में 39 सीटों का जिम्मा सौंपा गया है. भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा को बिहार, बंगाल, झारखंड और पूर्वोत्तर राज्यों की सीटें सौंपी गई हैं.

भाजपा 74,000 पार्टी बूथों पर भी अपना ध्यान केंद्रित कर रही है, और इसने अपने विधायकों और सांसदों को क्रमशः 25 बूथ और 100 बूथों को और मजबूत करने का काम सौंपा है.

राज्यसभा सांसद नरेश बंसल उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और पंजाब के लिए इस कार्यक्रम – जिसका शीर्षक प्रवास है- का समन्वय कर रहे हैं.

बंसल ने दिप्रिंट को बताया: ‘पहले चरण में, 40 से अधिक मंत्री शामिल किये गए हैं और उन्हें अपने लिए निर्धारित किये गए निर्वाचन क्षेत्र में हर महीने तीन दिन बिताने का निर्देश दिया गया है. उन्हें कार्यकर्ताओं के घरों में खाना खाने, सामुदायिक कार्यक्रमों में भाग लेने, इलाके के धार्मिक स्थलों का दौरा करने, लाभार्थी समूहों की बैठकें आयोजित करने और लंबित बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की समीक्षा करने एवं उनमें तेजी लाने के लिए कहा गया है. उनसे कहा गया है कि वे लोगों की चिंताओं को सुनें और जमीनी स्तर पर ही उनका समाधान करें.’

उन्होंने आगे बताया, ‘साल 2017 में भाजपा अध्यक्ष के रूप में (गृह मंत्री) अमित शाह के कार्यकाल के दौरान, पार्टी ने 113 सीटों की पहचान की थी, जिनके लिए एक विस्तारक (अंशकालिक पर्यवेक्षक) तैनात किया गया था. इन 113 सीटों में से भाजपा ने 80 सीटें जीती थी.‘

द्विवेदी के अनुसार, पार्टी ‘सही रणनीति और जातिय अंकगणित को अपना के और अधिक सीटें जीत सकती है’. उन्होंने कहा, ‘यदि कोई मंत्री किसी एक निर्वाचन क्षेत्र (2024 तक) में 75 दिन बिताता है, तो इसका प्रभाव एकदम अलग होगा. हमने 2019 में राहुल गांधी को उनके गढ़ (अमेठी) में हराया था, और हमने इस साल के उपचुनाव में (सपा प्रमुख) अखिलेश यादव की सीट (आजमगढ़) और (वरिष्ठ सपा नेता) आजम खान की सीट (रामपुर) भी छीन ली है.’


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भाजपा के पिछले कुछ मिशन

ओडिशा में, साल 2019 के लोकसभा चुनाव और उसी वर्ष होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा ने वहां ‘मिशन 120’ का लक्ष्य रखा था. लेकिन राज्य के विधानसभा चुनावों में बीजू जनता दल (बीजद) को मिले 112 सीटों की तुलना में भाजपा को केवल 23 सीटें मिलीं थी. लोकसभा सीटों के मामले में भाजपा ने बीजद को मिली 12 सीटों की तुलना में आठ सीटों पर जीत हासिल की थी. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष समीर मोहंती ने इस साल मीडिया से बातचीत में कहा कि ‘मिशन 120’ 2024 के लिए अभी भी जारी है, और केवल रणनीति में ‘बदलाव करने की जरूरत है’.

हरियाणा में भाजपा ने 2024 के विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं और खुद के दम पर 90 में से 70 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का लक्ष्य रखा है. इससे पहले 2019 के राज्य विधानसभा चुनाव में पार्टी ने ‘मिशन 75’ शुरू किया था, लेकिन वह बहुमत के लिए आवश्यक 46 सीटें जीतने में भी विफल रही और 40 सीटों पर मिली जीत के साथ उसे सरकार बनाने के लिए जजपा से हाथ मिलाना पड़ा था.

पश्चिम बंगाल में, अमित शाह ने 2021 के विधानसभा चुनावों से पहले राज्य की 294 सदस्यीय विधानसभा में ‘मिशन 200’ का लक्ष्य निर्धारित किया था, लेकिन उसने सिर्फ 77 सीटें जीतीं. हालांकि, यह पहले की तीन सीटों से अच्छी खासी बढ़ोत्तरी थी, लेकिन फिर भी लक्षित की गईं 200 सीटों से काफी कम का आंकड़ा था. पार्टी के मत प्रतिशत में भी 2016 में मिले 10 प्रतिशत से 2019 में प्राप्त 38 प्रतिशत तक की काफी अधिक वृद्धि देखी गयी. राज्य की लोकसभा सीटों के मामले में भाजपा ने 2019 के चुनावों में 22 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा था और अंत में 18 पर जीत हासिल की थी. चार सीटों पर यह काफी नजदीकी अंतर से हार गई थी.

इसी तरह, साल 2017 में, गुजरात भाजपा ने 182 सदस्यीय विधानसभा के लिए एक महत्वाकांक्षी ‘मिशन 150’ की योजना तैयार की, लेकिन अंत में पहले से घटी हुई संख्या के साथ सत्ता में आई. इसने उस साल 99 सीटें जीतीं (जो पहले की 115 की संख्या से काफी कम थीं) और 1995 में सत्ता संभालने के बाद से यह इस राज्य में उसका सबसे कमजोर प्रदर्शन था. माना जाता है कि पार्टी को इस चुनाव में पाटीदार आंदोलन की भारी कीमत चुकानी पड़ी थी. साल 2020 में, गुजरात भाजपा के प्रमुख सीआर पाटिल ने कहा था कि पार्टी अगले राज्य चुनाव में सभी 182 सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही है, और उसका इरादा कांग्रेस के माधवसिंह सोलंकी के रिकॉर्ड को तोड़ना है, जिन्होंने 1985 के चुनाव में 149 सीटें जीती थीं.

उत्तराखंड, जहां इस साल की शुरुआत में राज्य के चुनाव हुए थे, में भाजपा ने 70 में से 60 सीटों पर विजय का लक्ष्य रखा था, लेकिन केवल 47 सीटों पर ही जीत हासिल कर पाई. इससे पहले, 2017 के चुनावों में, उसने 60 सीटों के लक्ष्य के साथ 57 सीटें हासिल की थीं. हालांकि, पार्टी नेताओं ने इस मामले में यह भी उल्लेख किया कि भाजपा ने राज्य में पहली बार सत्ता विरोधी भावनाओं को मात देने में कामयाबी हासिल की थी.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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