अमेरिका के नेशनल पब्लिक रेडियो की संपादक पल्लवी गोगोई ने एमजे अकबर पर आरोप लगाया है कि 1990 के दशक में अकबर ने उनका बलात्कार किया था.
नई दिल्ली: नेशनल पब्लिक रेडियो (एनपीआर), एक अमेरिकी मीडिया संगठन की मुख्य संपादक ने अनुभवी पत्रकार और पूर्व विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर पर बलात्कार और कई सालों तक शारीरिक शोषण करने का आरोप लगाया है.
वाशिंगटन पोस्ट में शुक्रवार को एक कॉलम के माध्यम से पल्लवी गोगोई एमजे अकबर पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली 21वीं महिला हैं. लेकिन बलात्कार का आरोप लगाने वाली पहली महिला हैं.
अपने कॉलम में पल्लवी गोगोई ने आरोप लगाया कि जब दो दशक पहले वे अकबर के अधीन काम करती थीं तब अकबर ने उन्हें लैंगिक, मौखिक और भावनात्मक रूप से देश और विदेश में हर कहीं प्रताड़ित किया.
उन्होंने कहा कि मैं भावनात्मक, शारीरिक और मानसिक रूप से टूट गई थीं.
यौन उत्पीड़न के आरोपों में फंसने के बाद अकबर ने अफ्रीका के आधिकारिक दौरे से वापस देश लौटने के कुछ ही समय बाद 17 अक्टूबर को विदेश राज्य मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था.
एमजे अकबर पर पहला आरोप लगाने वाली पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ उन्होंने मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था. इस मुकदमे को वकील संदीप कपूर देख रहे हैं. वे कानूनी सहायता देने वाली करांजवाला एंड कंपनी में पार्टनर हैं. उन्होंने कहा कि एमजे अकबर ने गोगोई के आरोपों को स्पष्ट रूप से ख़ारिज कर दिया है.
उन्होंने वाशिंगटन पोस्ट से बताया कि एमजे अकबर ने घटना को झूठा करार दिया और स्पष्ट रूप से आरोप से इनकार कर दिया है.
मामले की शुरुआत
गोगोई के मुताबिक, कथित बलात्कार 1990 के मध्य-दशक में हुआ था, जब उनके पास एशियन एज अखबार के संपादकीय पेज की जिम्मेदारी थी. उस वक़्त उनकी उम्र 23 वर्ष थी. उस समय अकबर 40 वर्ष के आस-पास थे. वे एडिटर-इन-चीफ़ के तौर पर कार्यरत थे.
गोगोई ने कहा शुरुआती दिनों में मैं और मेरी ज़्यादातर सहकर्मी एमजे अकबर से प्रभावित थीं. वह हमें भूलने भी नहीं देते थे.
उन्होंने लिखा, ‘वे हमारी कॉपी को अपने लाल-स्याही से भरे मोंट ब्लैंक पेन के साथ चिह्नित करते थे, हमारे कॉपी के प्रिंटआउट को तोड़ मरोड़कर कर अक्सर उसे कचरे में फेंक दिया करते थे. हम लोग कांपने लगते थे. ऐसा कोई भी दिन नहीं होता था जब उन्होंने हममें से किसी को ऊंची आवाज़ में न डांटा हो.’
‘उनके भाषा और मुहावरों के प्रयोग से मंत्रमुग्ध’ गोगोई ने कहा शुरुआत में उन्होंने मौखिक दुर्व्यवहार स्वीकार कर लिया क्योंकि उनको लगा कि वह ‘सर्वश्रेष्ठ शख्सियत से सीख रही हैं’.
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उन्होंने कहा कि अकबर ने पहली बार 1994 की गर्मियों में अपने कार्यालय के क्यूबिकल में बंद दरवाजे के पीछे उन्हें प्रताड़ित किया था.
पल्लवी ने लिखा कि ‘मैं उन्हें संपादकीय पेज दिखाने के लिए गई थी, जिसे मैंने खुद बनाया था. मुझे लगा मैं जो हेडलाइन सोच रही हूं वह अच्छी है. उन्होंने मेरे प्रयास की सराहना की और अचानक मुझे चूमने के लिए आगे बढ़े. मैं पीछे हटी. मैं कार्यालय से लाल चेहरे के साथ उलझन में शर्मिंदगी से बाहर निकली.’
जब वे बाहर आईं तो उन्होंने ये वाकया अपने दोस्तों के साथ साझा किया. गोगोई ने लिखा कि दूसरी घटना कुछ महीने के बाद हुई जब उनको मुंबई में मैगज़ीन लॉन्च करने के लिए बुलाया गया.
उन्होंने ने लिखा, एमजे अकबर ने मैगज़ीन का लेआउट देखने के लिए ताज होटल के अपने कमरे में बुलाया. वहां पर एमजे अकबर मेरे नजदीक आये और मुझे चूमने का प्रयास किया. मैंने उनको धकेल दिया. जब मैं भाग रही थी तो उन्होंने मेरे चेहरे को खरोंच दिया, मेरी आंखों से लगातार आंसू गिर रहे थे.
उन्होंने कहा कि उस शाम अपने दोस्त को खरोंच के बारे में बताया कि मैं होटल में फिसल कर गिर गई थी.
गोगोई ने कहा कि जब वे दिल्ली लौटे तो अकबर बहुत नाराज़ थे और ‘अगर मैं दोबारा उनका विरोध करती तो मुझे नौकरी से बाहर निकाल दिया जाता.’
गोगोई ने लिखा कि उन्होंने पेपर नहीं छोड़ा. उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि वह जितना ज्यादा हो सके कार्यालय से बाहर रहेंगी. उसी हिसाब से उन्होंने अपने दैनिक कार्यों को समायोजित किया.
रेप और शारीरिक शोषण
कथित रूप से जब उनका बलात्कार हुआ था जब गोगोई जाति आधारित हत्या को कवर करने के लिए राजस्थान में थीं.
गोगोई ने लिखा है कि ‘उस समय अकबर भी जयपुर में थे. जयपुर में असाइनमेंट समाप्त होना था. जब मैंने अकबर से पूछा तो उन्होंने कहा कि तुम स्टोरी की चर्चा करने के लिए जयपुर में होटल के कमरे में आ सकती हो.’
गोगोई ने लिखा कि अपने होटल के रूम में भले ही मैं उनसे लड़ी लेकिन वह शारीरिक रूप से अधिक शक्तिशाली थे. उन्होंने मेरे कपड़े फाड़े और मेरा रेप किया.
उन्होंने बताया कि ‘पुलिस में शिकायत करने की बजाय मैं शर्म से भर गयी थी. मैंने यह वाकया किसी को नहीं बताया. क्या कोई भी मुझ पर विश्वास करता? मैंने खुद को दोषी ठहराया. मैं होटल के कमरे में क्यों गई?’
उन्होंने लिखा कि महीनों भावनात्मक और मौखिक उत्पीड़न सहने के बाद मैंने खुद के लिए लड़ना बंद कर दिया और मैं असहाय महसूस करने लगी थी.
उनके मुताबिक, कथित रेप के बाद उन पर अकबर का दबाव बढ़ता गया. ‘अगर वे मुझे अपनी उम्र के पुरुष सहकर्मियों से बात करते देख लेते थे तो न्यूजरूम में चिल्ला पड़ते थे. यह भयावह था.’
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गोगोई ने कहा है कि ‘मैं आज नहीं बता सकती कि कैसे और क्यों वे मेरे सामने इतने शक्तिशाली थे, मैंने क्यों उनके आगे घुटने टेक दिए. लेकिन मैं बस इतना जानती हूं कि उसके बाद से मैं अपने आप से नफरत करने लगी और मैं थोड़ा थोड़ा रोज मरने लगी.’
उन्होंने लिखा है कि उन्हें उम्मीद जागी जब दिसंबर, 1994 में कर्नाटक विधानसभा चुनाव में सफलतापूर्वक रिपोर्टिंग करने के लिए ईनाम के तौर पर अकबर ने उन्हें अमेरिका या ब्रिटेन भेजने का प्रस्ताव दिया.
वे लिखती हैं, ‘मैंने सोचा कि अंतत: मेरा उत्पीड़न बंद होगा क्योंकि मैं दिल्ली आॅफिस से बहुत दूर रहूंगी. लेकिन सच ये था कि वे मुझे दूर इसलिए भेज रहे थे कि मेरे पास बचाव का कोई जरिया न बचे और वे जब भी वहां पहुंचें तो मेरा शिकार कर सकें.’
इसके बाद गोगोई लंदन चली गईं जहां अकबर अक्सर जाया करते थे. वे याद करती हैं कि ‘कैसे लंदन के आॅफिस में वे गुस्से में काम कर रहे थे क्योंकि उन्होंने मुझे मेरे एक पुरुष सहकर्मी से मित्रतापूर्वक बात करते हुए देख लिया था.’
उन्होंने लिखा है कि ‘उस शाम जब मेरा सहकर्मी चला गया, तब उन्होंने मुझे मारा बेहद हिंसक हो गए, डेस्क की चीजें उठाकर मुझ पर फेंकने लगे. कैंची, पेपर या जो भी हाथ आया, उनका हाथ चलता रहा. मैं आॅफिस से भाग गई और एक घंटे तक पार्क में छिपी रही.’
गोगोई ने कहा, अगले दिन वे अपनी एक सहकर्मी के यहां गईं जिसपर वे विश्वास करती थीं, उसकी मां और बहन से बात की, हालांकि, वे उनसे ‘विस्तार से सब बताने की हिम्मत नहीं कर पाईं.’
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उन्होंने तय किया कि वे अकबर से दूर होने के लिए अपने वीजा का इस्तेमाल अमेरिका में विदेश संवाददाता के तौर पर काम करने के लिए करेंगी. वे लिखती हैं, ‘मैं वहां से चली गई और यह सबसे अच्छा था.’
जाने के बाद उन्हें न्यूयॉर्क के डाउ जोंस में सहायक संवाददाता के रूप में नौकरी मिल गई, जहां वे रात की पाली में काम करती थीं.
वे लिखती हैं, ‘आज मैं अमेरिकी नागरिक हूं. मैं एक बीवी और एक मां हूं. मैंने पत्रकारिता के लिए अपना प्यार वापस पा लिया. मैंने अपने जीवन को कतरा कतरा वापस समेटा. मेरी मेहनत, धैर्य और प्रतिभा मुझे डाउ एंड जोंस से बिजनेस वीक, यूएसए टुडे, द एसोसिएटेड प्रेस और सीएनएन तक ले गई.’
वे कहती हैं, ‘आज मैं नेशनल पब्लिक रेडियो का नेतृत्व करती हूं. मैं जानती हूं कि मुझे नौकरी और सफलता पाने के लिए किसी हमले के आगे झुकना नहीं है.’
वे अब क्यों बोल रही हैं
एक सवाल के जवाब में गोगोई कहती हैं कि वे जानती हैं कि अब सवाल उठेगा कि यह आरोप अब क्यों? उन्होंने कहा कि मैं अब इसलिए बोल रही हूं क्योंकि ‘मैं जानती हूं कि एमजे अकबर जैसे शक्तिशाली लोगों के द्वारा प्रताड़ित होना कैसा होता है.’
उन्होंने लिखा, ‘मैं उन महिलाओं का समर्थन करने के लिए लिख रही हूं जो सामने आईं और सच्चाई बयान की. मैं इसे अपने किशोर बेटे और बेटी के लिए लिख रही हूं ताकि जब कोई उन्हें प्रताड़ित करे तो वे जान रहे हों कि कैसे मुंहतोड़ जवाब देना है. ताकि वे यह भी जानें कि किसी को कभी प्रताड़ित नहीं करना है. ताकि वे यही भी जानें कि मेरे साथ 23 साल पहले क्या हुआ था, मैं उस कठिन समय से निकल गई हूं और आगे बढ़ते जाऊंगी.’
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