नई दिल्ली: ‘अग्निपथ’ योजना के खिलाफ देशभर में युवाओं के विरोध प्रदर्शनों से चिंतित भाजपा ने पार्टी के सभी मुख्यमंत्रियों को ऐसे संभावित रंगरूटों की नाराजगी को दूर करने वाली योजनाओं की घोषणा करने के निर्देश दिए हैं.
भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने मंगलवार को अग्निपथ की घोषणा की थी, जिसके तहत 17.5 से 21 वर्ष आयु वाले युवाओं को चार साल के लिए सशस्त्र बलों में सैनिकों या अग्निवीर के तौर पर भर्ती किए जाने की बात कही गई थी.
घोषणा के बाद पिछले दो दिनों से तमाम युवा इस योजना को वापस लेने की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए हैं. बिहार में भाजपा के एक नेता पर हमले की खबरें हैं, जबकि एक अन्य के घर में तोड़फोड़ की गई है. राज्य के नवादा जिले में भाजपा के कार्यालय को कथित तौर पर आग लगाए जाने की भी सूचना है.
इस मामले में विपक्ष के अलावा केंद्र को बिहार में जदयू जैसे गठबंधन सहयोगियों की तरफ से भी हमले झेलने पड़ रहे हैं.
एक सरकारी सूत्र ने दिप्रिंट को बताया, ‘सरकार इस योजना के राजनीतिक विरोध को लेकर तो ज्यादा चिंतित नहीं है, लेकिन कई राज्यों में युवा आंदोलन ने जरूर चिंता में डाल दिया है, जहां विरोध प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया है.’
सूत्र ने कहा, ‘हम अशांति पर काबू पाने में पूरा जोर लगा देने को लेकर ज्यादा सजग हैं क्योंकि प्रदर्शनकारी बेरोजगार युवा हैं और अगर मामले को सावधानी से नहीं संभाला गया, तो कानून-व्यवस्था की एक बड़ी समस्या उत्पन्न हो सकती है.’
अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, इस नैरेटिव को नियंत्रित करने और विरोध-प्रदर्शन और फैलने से रोकने के लिए भाजपा ने सभी राज्य इकाइयों से प्रदर्शनकारियों को यह समझाने के लिए कहा है कि नई भर्ती योजना ‘युवाओं के लिए अंतहीन अवसरों का रास्ता खोलेगी.’
इसके लिए, भाजपा के मुख्यमंत्रियों से अग्निवीरों को वित्तीय सहायता, अन्य क्षेत्रों और सेवाओं में तरजीही भर्ती और सुरक्षा बलों में उनका चार साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद विशेष शिक्षा अभियान जैसी घोषणाएं करने के लिए कहा गया है.
अग्निपथ योजना के तहत, चार साल बाद केवल 25 प्रतिशत अग्निवीरों को सशस्त्र बलों के नियमित कैडर में शामिल कर लिया जाएगा और जो इससे बाहर होंगे उन्हें ग्रेच्युटी और पेंशन जैसे कोई लाभ नहीं मिलेंगे.
एक तरफ जहां केंद्र सरकार नई भर्ती योजना की घोषणा के बाद से विरोध प्रदर्शन से जूझ रही है, वहीं भाजपा में कुछ लोगों ने यह विचार भारी पड़ने को लेकर चिंता जताई हैं.
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘सरकार का इरादा युवाओं को रोजगार देना है लेकिन सेना की नौकरियों और पेंशन से जुड़ी संवेदनाओं के मद्देनजर अग्निपथ योजना हम पर भारी पड़ सकती है क्योंकि कोई भी अल्पकालिक रोजगार नहीं चाहता है.’
भाजपा नेता ने कहा, ‘युवा सेना में शामिल होने के लिए कई सालों तक तैयारी करते हैं और उन्हें अल्पावधि के लिए इसका हिस्सा बनने के लिए राजी करना बहुत कठिन कार्य है.’
यह भी पढ़ें: प्रयागराज हिंसा के पीछे नहीं पिता का हाथ, घर तोड़े जाने के बाद आक्रामक तेवरों में आफरीन फातिमा
‘तोड़ रहे मिथक’
अग्निपथ को लेकर जताई जा रही चिंताओं को दूर करने के लिए केंद्र ने गुरुवार को एक ‘मिथक बनाम तथ्य’ दस्तावेज जारी किया.
दस्तावेज के मुताबिक, सेना में सेवा के बाद उद्यमी बनने के इच्छुक अग्निवीरों को वित्तीय पैकेज और बैंक ऋण मिलेगा. फैक्टशीट में बताया गया है, ‘जो आगे अध्ययन के इच्छुक हैं, उनके लिए कक्षा 12 के समकक्ष प्रमाणपत्र और ब्रिजिंग कोर्स होगा. और जो लोग नौकरी के इच्छुक होंगे, उन्हें सीएपीएफ (केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल) और राज्य पुलिस में प्राथमिकता दी जाएगी.’
प्रदर्शनकारियों की नाराजगी दूर करने की पार्टी की योजना के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए भाजपा के एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया, ‘पार्टी आलाकमान ने सभी मुख्यमंत्रियों को निर्देश दिया है कि सेना, नौसेना और वायु सेना में अपनी सेवाएं देने वाले युवाओं के लिए बाद में उत्पन्न अवसरों को बढ़ाएं. उन्हें लोगों को यह बताना होगा कि राज्य की कानून प्रवर्तन एजेंसियों और काउंटर इंटेलिजेंस इकाइयों, खेल प्रतिष्ठानों आदि के हर भर्ती अभियान में अग्निवीरों को वरीयता मिलेगी. इसके अलावा, उन्हें चार साल का कार्यकाल पूरा होने पर अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने के लिए विशेष धन मिलेगा.’
सूत्र ने कहा, ‘इस बात को तत्काल प्रभाव से कम्युनिकेट किया जाना है और पूरे पार्टी नेटवर्क पर यह संदेश फैलाने का दबाव डाला गया है.’
पार्टी संगठन पहले ही हरकत में आ गया है. यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उम्मीदवारों से ‘किसी बहकावे में न आने’ का आग्रह किया. उन्होंने एक ट्वीट करके कहा, ‘यह योजना जीवन को एक नया आयाम देगी. अग्निपथ के तहत भर्ती होने वाले सैनिकों को पुलिस और राज्य सेवा में वरीयता दी जाएगी.’
हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर और असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा भी उन मुख्यमंत्रियों में शामिल हैं जिन्होंने वित्तीय सहायता के साथ-साथ नौकरियों में इसी तरह वरीयता देने की घोषणा की है. शिक्षा मंत्रालय के तहत स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने भी अग्निवीरों के समर्थन के लिए एक विशेष कार्यक्रम की घोषणा की है.
इस बीच, राज्य भाजपा इकाइयों ने अग्निपथ योजना की घोषणा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया है और भर्ती योजना के बारे में ‘मिथकों’ को तोड़ने और अन्य बिंदुओं को स्पष्ट करने वाले पोस्ट डाले हैं.
भारतीय युवाओं के लिए 'अग्निपथ' एक नया अवसर बनकर आई है। 'अग्निपथ' योजना के अंतर्गत Disciplined, Skilled और Motivated युवा बाहर आएंगे।
ऐसे Disciplined, Skilled और Motivated युवाओं को देश व दुनिया के सभी क्षेत्रों में कामयाबी मिलना निश्चित है।#अग्निवीर#अग्निपथ_योजना pic.twitter.com/ioSrpYbxp7
— BJP Himachal Pradesh (@BJP4Himachal) June 16, 2022
यह भी पढ़ें: जंगलों में ‘अवैध’ मजारों, मस्जिदों, मंदिरों और चर्चों पर उत्तराखंड सरकार क्यों कस रही है नकेल
राजनीतिक विरोध
विपक्षी दलों ने अग्निपथ योजना में खामियां तलाशने में जरा भी देर नहीं लगाई और कांग्रेस ने इसे रद्द करने की मांग करते हुए कहा कि इस पर सशस्त्र बलों के सेवारत और सेवानिवृत्त कर्मियों के साथ व्यापक परामर्श किया जाना चाहिए.
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सरकार से ‘बेरोजगार युवाओं की आवाज सुनने’ का आग्रह किया, जबकि समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने इस योजना को देश के लिए ‘संभावित तौर पर घातक’ करार दिया.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने एक ट्वीट कर पूछा, ‘भाजपा सरकार सशस्त्र बलों में भर्ती को अपने प्रयोगों की लैब क्यों बना रही है? सैनिक कई वर्षों से सेना के लिए अपनी सेवाएं दे रहे हैं, क्या सरकार इसे बोझ के रूप में देखती है?’
जदयू ने विरोध प्रदर्शन पर चिंता जताते हुए इस योजना को वापस लेने की मांग की है. भाजपा सांसद वरुण गांधी ने भी इस योजना पर सवाल उठाते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखा है.
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘इस बारे में फिलहाल कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा कि इस योजना पर दूरदराज के इलाकों में प्रतिक्रिया कैसी होगी, लेकिन एक बात तो तय है कि अग्निपथ को लागू करने से पहले कई बिंदुओं पर ध्यान देने की जरूरत है.’
उक्त नेता ने इस संदर्भ में कृषि कानूनों का उल्लेख करते हुए कहा कि इन्हें किसानों के करीब एक साल के आंदोलन के बाद केंद्र को वापस लेना पड़ा था, ‘यह जानते हुए भी ये कृषि क्षेत्र के लिए अच्छे थे.’
नेता ने कहा, ‘इस पर कुछ कहना तो अभी जल्दबाजी होगी कि क्या इसका हाल भी कृषि कानूनों की तरह होगा. हालांकि, पूरे पार्टी संगठन पर युवाओं को समझाने के लिए जोर डाला जा रहा है.’
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: ‘शादी, रोजगार की तलाश, शिक्षा, परिवार’: कोविड लॉकडाउन के दौरान भारत में कैसा रहा माइग्रेशन पैटर्न