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Friday, 22 November, 2024
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कौन है लॉरेंस बिश्नोई? सलमान खान को धमकी देने वाला अब मूसे वाला की हत्या के लिए चर्चा में है

माना जाता है कि 700 सदस्यों के गिरोह के कथित सरगना लॉरेंस बिश्नोई का अपराध की दुनिया का सफर पंजाब विश्वविद्यालय के उसके दिनों में शुरू हुआ था.

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नई दिल्ली:  ‘लॉरेंस बिश्नोई’ नाम को गूगल पर खोजेंगे- जिसपर पंजाब के गायक और कांग्रेस नेता सिद्धू मूसे वाला की हत्या का आरोप लगाया गया है- तो आपको एक ऐसे इंसान की तस्वीरें दिखाई देंगी जिसने हुडी लगाई हुई है, जिसकी अच्छे से तराशी गई दाढ़ी-मूछें हैं और चमकती काली आंखें हैं.

31 वर्षीय बिश्नोई को एक 700 सदस्यों के गिरोह का सरगना बताया जाता है, जो कथित रूप से दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में हत्या और जबरन वसूली के बहुत से मामलों में शामिल है.

मूल रूप से पंजाब के फाजिल्का जिले में अबोहर के पास दुतारांवाली गांव का निवासी बिश्नोई, 2021 से दिल्ली की उच्च सुरक्षा वाली तिहाड़ जेल में बंद है लेकिन इस कैद से बिश्नोई के सक्रिय रूप से अपने गिरोह की अगुवाई करने में कोई रुकावट नहीं आई है, जिसके कुछ सदस्य देश से बाहर भी हैं.

दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने कहा कि बिश्नोई ने, जिसका नाम मूसे वाला की हत्या में सामने आया है, हमले की जिम्मेदारी ली है लेकिन ये जरूर कहा है कि पंजाब के गायक की हत्या पिछले साल मोहाली में युवा अकाली दल नेता विकी मिद्दूखेड़ा की हत्या के बदले में की गई.

उस हत्या के सिलसिले में मोहाली पुलिस ने मूसे वाला के मैनेजर शगन प्रीत सिंह के कथित रूप से ऑस्ट्रेलिया भाग जाने के बाद, उसके खिलाफ लुक-आउट नोटिस जारी किया था.

दिल्ली पुलिस के एक सूत्र ने कहा, ‘बिश्नोई ने बताया कि मूसे वाला ने शगन प्रीत की देश छोड़कर भागने में मदद की थी’.

29 मई को जब मूसे वाला की पंजाब के मांसा जिले में गाड़ी चलाते हुए गोली मारकर हत्या कर दी गई, तो कनाडा स्थित एक गैंग्सटर गोल्डी बरार ने एक फेसबुक पोस्ट के जरिए हत्या की जिम्मेदारी ली थी.

पोस्ट में ये भी कहा गया कि ये हत्या 2020 में चंडीगढ़ में मिद्दूखेड़ा और गोल्डी बरार के भाई गुरलाल बरार की मौतों का बदला लेने के लिए की गई थी.

इस बीच, खूंखार गैंग्सटर के एक कजिन सचिन थापन बिश्नोई ने न्यूज18 के साथ एक इंटरव्यू में कहा कि उसने ‘अपने हाथों से’ मूसे वाला की हत्या की और दावा किया कि पंजाबी गायक ने मिद्दूखेड़ा के हत्यारों को पनाह और वित्तीय सहायता दी थी.

इंटरव्यू में सचिन बिश्नोई ने दावा किया, ‘उसने हमारे भाई को मरवाया था’.

 

दिल्ली पुलिस के एक सूत्र ने ये भी कहा कि बिश्नोई जांच में सहयोग नहीं कर रहा है.

ये लॉरेंस बिश्नोई आख़िर है कौन? दिप्रिंट एक नज़र डालता है उसकी ज़िंदगी पर जिसने एक एथलीट और छात्र नेता के रूप में अपना शुरू किया, और एक ऐसा शख़्स बन गया जिसकी पुलिस को दर्जनों मामलों में तलाश है.

मिश्नरी स्कूल से लेकर छात्र राजनीति तक

एक समृद्ध किसान के बेटे बिश्नोई ने अपनी 10वीं तक की पढ़ाई अबोहर के एक मशहूर मिश्नरी स्कूल में की और फिर आगे की पढ़ाई के लिए चंडीगढ़ चला गया.

उससे पूछताछ की रिपोर्ट में, जिसे दिप्रिंट ने देखा है, कहा गया है कि चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज में 11वीं और 12वीं कक्षा की पढ़ाई के दौरान, उसे एथलेटिक्स खासकर 1,500 मीटर दौड़ में गहरी रूचि पैदा हो गई.

जब वो पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) में कानून की पढ़ाई कर रहा था तो उसकी मुलाकात सम्पत नेहरा से हुई जो बाद में उसका करीबी सहायक बन गया. पंजाब पुलिस ने 2 जून को मूसे वाला की हत्या के सिलसिले में नेहरा से पूछताछ की.

2018 में, इस जोड़ी ने कथित रूप से एक्टर सलमान खान को 1998 के एक मामले में धमकाया था, जिसमें अभिनेता और उसके कुछ साथियों पर राजस्थान के ककानी में दो काले हिरणों को मारने का आरोप था. बिश्नोई समाज काले हिरणों को पवित्र मानता है.

चंडीगढ़ के खालसा कॉलेज का छात्र नेहरा खेलों की ट्रेनिंग के लिए यूनिवर्सिटी के स्पोर्ट्स ग्राउण्ड्स में आता था. यहीं पर उसकी मुलाक़ात काला राणा से हुई, जो मूसे वाला हत्या मामले में एक और संदिग्ध है.

पीयू में रहते हुए बिश्नोई छात्र राजनीति में सक्रिय रूप से शामिल था. 2011 से 2012 के बीच वो एक छात्र पार्टी पंजाब यूनिवर्सिटी छात्र संघ (सोपू) का अध्यक्ष बन गया.

इस समय के आसपास ही बिश्नोई का वास्ता पहली बार अपराध की दुनिया से पड़ा. इसी दौरान उसकी मुलाक़ात उसके नजदीकी सहयोगी बरार से हुई.


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कानून के साथ टकराव

दिल्ली पुलिस के सूत्रों का कहना है कि बिश्नोई का क़ानून के साथ टकराव तभी शुरू हो गया था जब वो छात्र राजनीति में सक्रिय था- उस अवधि के दौरान वो जेल भी गया था.

दिल्ली पुलिस के एक सूत्र ने कहा, ‘उसने स्थानीय अपराधियों के साथ संपर्क बना लिए और वो समझ गया कि नेटवर्किंग की क्या अहमियत होती है. वो उस नेटवर्क का बेताज बादशाह बनना चाहता था जो राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली से चल रहा था’.

उसकी आपराधिक फाइल से पता चला है कि अपराध की दुनिया में बिश्नोई की आमद 2008 में शुरू हुई, जब उसने पीयू की छात्र संघ इकाई के चुनावों में अपने दोस्त बरार के विरोधी उम्मीदवार पर गोली चला दी थी. उसे हत्या के प्रयास में गिरफ्तार कर लिया गया लेकिन दो महीने बाद जमानत पर छोड़ दिया गया.

जेल में रहते हुए उसने कथित तौर पर रंजीत डुपला से दोस्ती कर ली- एक हथियार सप्लायर जो अब अमेरिका में रहता है, और जो कथित तौर पर उससे अधुनिक हथियार सप्लाई करता था.

फाइल के अनुसार जमानत पर रिहा होने के कुछ महीनों के बाद, बरार की हार का बदला लेने के लिए जीतने वाले उम्मीदवार के भाई पर गोली चलाने के आरोप में उसे फिर से गिरफ्तार कर लिया गया.

2010 में, पीयू छात्र संघ चुनाव हारने के बाद बिश्नोई और उसके दोस्तों ने कथित रूप से जीतने वाले उम्मीदवार पर हमला कर दिया था. आपराधिक फाइल के अनुसार उसने और उसके दोस्तों ने दस दिन के बाद सरेंडर कर दिया लेकिन दो हफ्ते ते बाद उसे जमानत मिल गई.

2012 तक उसने पीयू छोड़ दी थी लेकिन छात्र चुनावों में फिर भी उसकी खूब चलती थी. वो कथित तौर पर सुनिश्चित करता था कि चुनावों में उसके ‘गैंग’ के सदस्य उम्मीदवार बनें.

फाइल से पता चलता है कि इसके बाद उसके जेल के चक्कर बढ़ गए.

2014 में उसने अपने साथियों के साथ मिलकर, जिनमें गोल्डी बरार भी शामिल था, अपने कजिन के दोस्त के एक विरोधी की गोली मारकर हत्या कर दी, जो लुधियाना नगर निगम के चुनाव लड़ रहा था. यही वो समय था जब उसने शराब के व्यापार में दिलचस्पी लेनी शुरू की.

जनवरी 2015 में, बिश्नोई के आठ सहायकों ने उस समय पुलिस हिरासत से निकल भागने में उसकी सहायता की, जब उसे एक सुनवाई के लिए पंजाब के रोपड़ जिले की जेल में ले जाया जा रहा था.

मार्च 2015 में जब फरीदकोट पुलिसने कथित तौर पर विदेशी हथियार रखने के आरोप में उसे फिर से गिरफ्तार किया, तो बिश्नोई पर जेल परिसर के भीतर से जबरन वसूली के लिए फोन कॉल्स करने के आरोप लगाए गए.

दिल्ली पुलिस के एक सूत्र ने बताया कि जेल में रहते हुए उसके नेटवर्क में इजाफा हो गया.

एक सूत्र ने कहा, ‘बिश्नोई जेल के बाहर अपने सहयोगियों को फोन करके अपने विरोधियों पर हमले के आदेश देता था, संगीतकारों से फिरौती मांगता था और अपने कुछ दोस्तों के (जेल से) निकल भागने की योजनाएं बनाता था’.

2019 में बिश्नोई कथित रूप से भरतपुर जेल के अंदर एक सेलफोन इस्तेमाल करता हुआ पाया गया था, जब प्रॉपर्टी डीलर राजवीर उर्फ सोनू शाह की हत्या हुई थी.

बिश्नोई को 2021 में महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट के एक मामले में दिल्ली लाया गया था और उसके बाद से ही वो तिहाड़ जेल में बंद है लेकिन बाहर की दुनिया के साथ उसका संपर्क बना हुआ है.

सूत्र ने बताया, ‘बिश्नोई और उसके साथी वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकोल (एक ऐसी तकनीक जिससे आप इंटरनेट पर फोन कॉल्स कर सकते हैं) संचार का इस्तेमाल करने लगे हैं. यूके, कनाडा और आर्मेनिया में रह रहे अपने साथियों के जरिए अपने आदेश भेजते हैं क्योंकि भारतीय एजेंसियों के लिए देश के बाहर स्थित सर्वर्स तक पहुंच पाना मुश्किल होता है’.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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