दलाई लामा की बढ़ती हुई उम्र और चीन के दक्षिण एशिया में बढ़ते साम्राज्य ने दिल्ली को मजबूर कर दिया है कि यह करमापा लांबा के साथ दोस्ती की पहल करे
नई दिल्लीः कर्मापा लामा, ओगेन त्रिनले दोर्जे, सरकार के साथ भारत वापस लौटने की शर्तों पर बातचीत कर रहे हैं, हालांकि सैद्धान्तिक रूप से उन्होंने तिब्बती आध्यात्मिक नेता, दलाई लामा, की आज्ञा के सम्मान में नवंबर तक वापस आने का निर्णय लिया है।
33 वर्षीय कर्मापा पिछले एक साल से इलाज के लिए अमेरिका में हैं।
वार्तालाप के एजेंडे की मुख्य बात यह है कि क्या दिल्ली अब भी यह मानती है वह एक चीनी जासूस हैं या नहीं, हालांकि दिसंबर 1999 में तिब्बत के Tsurphu में स्थित एक मठ से भागे हुए कर्मापा को 18 साल बीत चुके हैं। 14 वर्ष की अवस्था में वह नेपाली सीमा पर कठिन, बर्फीले इलाकों को पार करते हुए 10 दिनों के बाद 5 जनवरी 2000 को हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला पहुँचे थे।
दलाई लामा की बढ़ती उम्र जो की अब 83साल है और चीन सरकार के भारत के आस पास के क्षेत्र में अपने विस्तार के चलते , बीजिंग के खिलाफ एक तथाकथित “कार्ड” के रूप में तिब्बती समुदाय-निर्वासन का उपयोग करने की रणनीति कमज़ोर हो रही है।
सरकार दिल्ली में स्थान देने के लिए तैयार
आधिकारिक सूत्रों ने बताया है कि आखिरकार सरकार ने कर्मापा तक पहुँचने का फैसला लिया है और अपना मुख्यालय बनाने के लिए दिल्ली के द्वारका क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास इन्हें पाँच एकड़ जमीन देने के लिए तैयार है।
कर्मापा की ऑलिव शाखा एक महत्वपूर्ण कदम है। 900 वर्ष पुराने कर्म कागुयू परंपरा के आध्यात्मिक नेता के रूप में, तिब्बती बौद्ध धर्म में चार संप्रदाय हैं, जिनमें से एक गेलुगपा है जिसके नेता दलाई लामा हैं, कर्मापा 18 वर्षों से धर्माशाला की तलहटी में स्थिति एक आवास में रहते हैं जिसपर दिन रात एक सुरक्षा चौकीदार के द्वारा नज़र रखी जाती है।
यह भी पढ़े : As Dalai Lama turns 83, Indian wariness post-Wuhan overshadows Tibet’s future
पिछले साल का अधिकांश भाग उन्होंने न्यू जर्सी, अमेरिका में स्थित कर्म कागुयू सेंटर में बिताया, जहाँ वह अपना इलाज करवाने के लिए गए हुए थे।
सूत्रों के मुताबिक, कर्मापा को भारत सरकार द्वारा भूमि की पेशकश से काफी राहत मिली है। यह तो पक्का है कि दिल्ली में कोई भी भूमि सस्ती तो नहीं ही मिलेगी, चाहे भले ही कितनी ज्यादा छूट दे दी जाए।
कर्मपा ने भारत लौटने की पुष्टि की
पिछले हफ्ते वाशिंगटन में रेडियो फ्री एशिया (आरएफए) की तिब्बती सेवा के साथ एक साक्षात्कार में, कर्मापा ने पुष्टी की थी कि दलाई लामा द्वारा बौद्ध धर्म के सभी आध्यात्मिक गुरूओं की बुलाई गई एक बैठक में भाग लेने के लिए वह भारत वापस लौट रहे हैं।
कर्मापा ने आरएफए से कहा था, “मुझे कोई संदेह या सवाल नहीं है कि भारत में मेरी वापसी बिल्कुल निश्चित है।” “इस साल नवंबर में, भारत के धर्मशाला में प्रमुख तिब्बती बौद्ध परंपराओं के प्रमुखों की एक महत्वपूर्ण बैठक होगी। इसलिए, उसमें मेरा शामिल होना अनिवार्य है।”
सरकार के साथ तिब्बती मामलों के एक सलाहकार अमिताभ माथुर, जिन्होंने न्यूयार्क में जून के अंत में उनके जन्मदिन के अवसर पर रसियन टी रूम में चाय की चुस्कियाँ लेते हुए एक निजी चर्चा पर कर्मापा से मुलाकात की, के मुताबिक, “जब वापसी के समय और परिस्थितियों को अंतिम रूप दे दिया जाएगा तब कर्मापा वापस लौटेंगे।”
दलाई लामा के साथ कोई मतभेद नहीं
माथुर ने बताया कि कर्मापा ने हमेशा दलाई लामा को पूर्ण सम्मान दिया है और उनसे एक बुजुर्ग की तरह व्यवहार किया है। उन्होंने यह इंगित करते हुए कि कर्मापा सिक्किम और देश के भीतरी हिस्सों सहित विदेशों की यात्रा कर सकते हैं, कर्मापा और सरकार के बीच मनमुटाव की खबरों का खंडन किया।
पिछले साल अमेरिका छोड़ने से पहले इस संवाददाता के साथ एक साक्षात्कार में, कर्मापा ने खुले तौर पर भारत सरकार और खुफिया एजेंसियों द्वारा पिछले कई सालों में उनके साथ किए गए व्यवहार पर दुखी होने के बारे में बात की थी और यह मानने से इंकार कर दिया कि वह कर्म कागुय संप्रदाय के असली नेता थे।
यह भी पढ़े : Indians should remember their non-violent traditions – the Dalai Lama
उस समय उन्होंने चिंताओं को ज़ाहिर किया था कि उनकी कहानियां, एक 14 वर्षीय बच्चे का चीन जैसे देश से बच निकलने की मुश्किल यात्रा तय करना, कल्पनात्मक लगती थीं।
लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा था कि यह सीधा, साधा सत्य था। उन्होंने इस तथ्य की ओर इशारा किया कि दलाई लामा के अलावा किसी और ने उन्हें आशीर्वाद नहीं दिया था और उन्हें कर्म कागुयू विरासत के उत्तराधिकारी 17 वें कर्मापा लामा के रूप में स्वीकार किया था।
उन्होंने इस संवाददाता के साथ अपने साक्षात्कार में बताया, अगर भारत उनकी ओर ध्यान नहीं देता तो वे अन्य विकल्पों की भी तलाश कर सकते थे।
उम्मीद की किरण
आरएफए के साथ पिछले हफ्ते के साक्षात्कार में कर्मापा ने कहा, “जब मैं पहली बार भारत आया तो मुझे कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, जिसमें मुझ पर एक चीनी एजेंट होने का आरोप भी शामिल है।”
कर्मापा ने आगे कहा, “अब हमारे पास अपनी स्थिति, जिसने एक बड़ा अंतर उत्पन्न किया है, की व्याख्या करने के लिए उच्च स्तरीय भारतीय नेताओं से मिलने का अवसर है।” इसका तात्पर्य यह है कि धर्मशाला और दिल्ली में यह निम्न स्तर की नौकरशाही थी, जिसने पिछले 18 वर्षों में उनका जीवन नरक बना दिया था।
उदाहरण के लिए, वह एक चीनी एजेंट थे इस संदेह की पुष्टि कुछ साल पहले की गई थी जब खुफिया एजेंसियों को कर्मापा के पास से संदिग्ध रूप से काफी विदेशी मुद्रा मिली, जिसकी कीमत करोड़ों में थी।
कर्मापा ने यह बताने की कोशिश की थी कि उनके भक्तों ने प्रेम तथा स्नेहस्वरूप वह राशि उन्हें दी थी लेकिन ऐसा बताने से भी कोई फायदा नहीं हुआ था।
पिछले साल जो दिल्ली का हृदय परिवर्तन हुआ है वह इस तथ्य के परिणामस्वरूप प्रतीत होता है कि यह एक बहुत छोटा सा विचार है और इस प्रश्न के बहुत कम ही उत्तर हैं-“दलाई लामा के बाद अब कौन”?
अतीत की विस्मृति
जिस प्रकार से कर्मापा लामा का संभावित विरोध किया गया, सरकार भाँप गई कि भविष्य और भी अंधकारमय हो सकता है। इसलिए 1999 में 14 वर्षीय ओगेन त्रिनले दोर्जे के अपने पलायन से संबंधित संदेह को दूर करना और इस तथ्य से उबर पाना आवश्यक था कि वह चीनी मुख़बिर हो सकते थे।
कर्मापा के लिए 2018 में बाहर की तुलना में भारत में ही रहना बेहतर है।
इसलिए जब कर्मापा को विदेश में चिकित्सा उपचार के लिए पिछले साल जाना था तो उन्हें जाने की इजाजत दे दी गई थी। प्रवास के दौरान जब उनके प्रवास दस्तावेजों की वैधता समाप्त हो गई, तो उन्हें नवीनीकृत कर दिया गया। जब उनका भारतीय वीजा समाप्त हो गया, तो उसे भी शांतिपूर्वक नवीनीकरण कर दिया गया था।
कर्मापा की ओर से यह संदेश भी स्वीकार कर लिया गया है कि वह जून में भारत लौट आएंगे, लेकिन अब मानसून के बाद नवंबर तक उनकी यात्रा स्थगित कर दी गई।
नवंबर में सभी धर्मों गुरूओं की बैठक में दमाई लामा के प्रतिबद्ध होने के बाद अब सभी अधिकारी राहत की सांस ले रहे हैं।
Read in English : India once thought this monk was a Chinese spy. Now, Modi govt will welcome him back