श्रीनगर: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) नेता और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का कहना है कि भाजपा ‘देश के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप को चोट पहुंचा रही है और इस प्रक्रिया में देश के भीतर कई पाकिस्तान बन रहे हैं.’
महबूबा मुफ्ती दिप्रिंट से बातचीत के दौरान मध्य प्रदेश के खरगोन और दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में कथित अवैध ढांचे और अतिक्रमण ढहाए जाने की घटनाओं का जिक्र कर रही थीं, जहां सांप्रदायिक झड़पों की वजह से ध्वस्तीकरण अभियान को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया था.
उन्होंने कहा, ‘वे सिर्फ अल्पसंख्यकों के घरों पर ही नहीं, बल्कि देश की धर्मनिरपेक्ष संस्कृति पर बुलडोजर चला रहे हैं. वे सभी मोर्चों पर नाकाम रहे हैं, चाहे रोजगार हो या बढ़ती महंगाई और अब वे केवल हिंदू-मुस्लिम विभाजन का सहारा ले रहे हैं. ऐसा लगता है कि देश को लेकर उनके पास कोई विजन ही नहीं है.
उन्होंने आगे कहा, ‘यह सरकार देश के भीतर कई पाकिस्तान बनाने की कोशिश कर रही है. वे लोगों (ज्यादातर अल्पसंख्यकों) को उनके विचार राष्ट्रवाद के अनुरूप नहीं होने की बात कहकर पाकिस्तान चले जाने को कहते हैं और इस तरह कई मिनी-पाकिस्तान बना रहे हैं. उन्होंने देश को कुछ भी नया नहीं दिया है, बल्कि देश को बांटने का काम ही कर रहे हैं, इस तरह वे देश के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप को नुकसान पहुंचा रहे हैं.’
मई 1969 में अनंतनाग में जन्मी महबूबा दिवंगत मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी हैं, जो केंद्र सरकार में मंत्री और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. मुफ्ती मोहम्मद सईद ने ही 1999 में पीडीपी की स्थापना की थी. पूर्व सांसद महबूबा मुफ्ती 2016 में अपने पिता की मृत्यु के बाद से ही पार्टी की कमान संभाल रही हैं.
उन्होंने गुपकर रोड स्थित अपने आलीशान आवास पर दिप्रिंट से बात की. श्रीनगर के मध्य में स्थित गुपकर रोड एक वीआईपी इलाका है जहां पूर्व मुख्यमंत्री के आवास समेत तमाम प्रमुख नेताओं के घर हैं.
मुफ्ती ने इंटरव्यू के दौरान जम्मू-कश्मीर में प्रस्तावित चुनाव, गुपकर गठबंधन— जिसके तहत 2019 में अनुच्छेद-370 खत्म किए जाने से पहले कई विरोधी दल एक साथ आए— के सदस्यों के साथ गठजोड़ के आसार के साथ-साथ केंद्र शासित प्रदेश में आम आदमी पार्टी की संभावनाओं जैसे तमाम विषयों पर बात की.
हालांकि, इस सबके दौरान वह एक बात को लेकर लगातार आलोचना करती रहीं, जिसे वे भाजपा की ध्रुवीकरण की रणनीति करार देती हैं.
उन्होंने कहा, ‘मुझे तो मुस्लिम समुदाय की प्रशंसा करनी चाहिए और उस धैर्य को सराहना चाहिए जो वह दिखा रहे हैं. उन्हें हर तरह से भड़काने की कोशिश की जा रही है और इस तरह उकसावे के पीछे सिर्फ गुंडा तत्व नहीं हैं. इसे ऊपर से, सरकार की ओर से बढ़ावा दिया जा रहा है.’
महबूबा ने दावा किया कि 2015 और 2018 के बीच तीन साल तक भाजपा के साथ गठबंधन को लेकर वह पीडीपी के प्रति लोगों के गुस्से से वाकिफ थीं, लेकिन साथ ही यह कहते हुए गठबंधन का बचाव किया कि यह ‘एक रणनीति का हिस्सा’ था.
उन्होंने कहा कि पीडीपी को पता था कि केंद्र में ‘भाजपा भले के लिए सत्ता में आई है.’
उन्होंने कहा, ‘बेशक, लोग मुझसे और पीडीपी से नाराज हैं क्योंकि वे मेरे पिता के विजन या रणनीति को समझ नहीं पा रहे, जिन्होंने भाजपा के हाथ बांधने के लिए ही उसका सहयोग किया था ताकि वो वह न करे जो अभी कर रही है.’
उन्होंने कहा, ‘विचार उन्हें सत्ता में हिस्सेदारी देने का था. एक बार जब किसी चीज में आपकी हिस्सेदारी होती है तो आप अन्य चीज़ों के साथ खिलवाड़ की कोशिश नहीं करते हैं.’
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पीडीपी और जम्मू-कश्मीर में चुनाव
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि जब भी जम्मू-कश्मीर में अगले चुनाव घोषित होंगे, पीडीपी मैदान में होगी. साथ ही कहा, ‘हम भाजपा के लिए कोई जगह नहीं छोड़ेंगे या उनके लिए यहां जगह बनाना आसान नहीं होने देंगे.’
उन्होंने कहा कि वह सिर्फ ‘भाजपा को कश्मीर से बाहर रखने’ के लिए गुपकर सदस्यों के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन पर भी विचार करेंगी, जिसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस भी शामिल है.
उन्होंने कहा, ‘हमने अभी गठबंधन पर बात नहीं की है लेकिन मुझे लगता है कि भाजपा को बाहर रखने के लिए साथ आना जरूरी है. हमें जम्मू-कश्मीर में उनसे लड़ने के लिए एक साथ आना होगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उन्हें यहां के लोगों को और अधिक कमजोर बनाने का कोई मौका न मिले.’
महबूबा ने कहा कि अंतिम परिसीमन रिपोर्ट भले ही कुछ भी हो पीडीपी चुनावों में हिस्सा लेगी, जिसके मुताबिक जम्मू-कश्मीर की विधानसभा सीटों को फिर से निर्धारित किया जाना है और यह रिपोर्ट अगले कुछ दिनों में पेश किए जाने की उम्मीद है.
मसौदा रिपोर्ट में जम्मू-कश्मीर के लिए सात अतिरिक्त विधानसभा सीटों का प्रस्ताव था— इसके मुताबिक जम्मू क्षेत्र में सीटों की संख्या बढ़कर 37 से 43 हो जाएगी और कश्मीर में एक सीट बढ़ने से कुल सीटें 47 हो जाएंगी. पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकर डिक्लेरेशन (पीएजीडी) ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था.
मुफ्ती ने यह भी कहा कि जिस तरह आम आदमी पार्टी (आप) पूरे देश में बढ़ रही है, वह जम्मू में अगले चुनाव में कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए चुनौती बन सकती है.
उन्होंने कहा, ‘जम्मू में, आम आदमी पार्टी निश्चित तौर पर कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए ही चुनौती होगी क्योंकि ये धर्मनिरपेक्ष वोट काटेगी लेकिन मैंने सुना है कि उन्हें कश्मीर में वोट काटने के लिए भाजपा की तरफ से ही बढ़ावा दिया जा रहा है.’
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‘बाहरी लोगों को मौका दे रही सरकार’
महबूबा मुफ्ती ने मोदी सरकार पर घाटी के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप भी लगाया. उन्होंने कहा कि यद्यपि जबकि सरकार ने पूर्वोत्तर के कुछ हिस्सों से सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (अफस्पा) हटाने का निर्णय ले लिया है लेकिन जम्मू-कश्मीर के मामले में वे इस पर विचार नहीं कर रहे क्योंकि वे कश्मीर को ‘धर्म के चश्मे से’ देखते हैं.
उन्होंने दावा किया, ‘वे इसे एक मानवीय समस्या के तौर पर नहीं देख रहे. उन्हें लगता है कि यह एक मुस्लिम बहुल राज्य है, इसलिए मरते हैं तो मरने दो. उनका रवैया ऐसा ही है.’
उन्होंने कहा, ‘जब वे इसे सुरक्षा स्थिति के लिहाज से देखते हैं तो यही चाहते हैं जब बंदूकों का सुर पूरी तरह बंद हो जाए तब वे अफस्पा हटाने पर सोचेंगे, जो सही रुख नहीं है. कम से कम कुछ जगहों से तो शुरुआत करें और फिर देखें कि चीजें कैसे बदलती हैं.’
उन्होंने केंद्र पर जम्मू-कश्मीर को बाहरी लोगों के लिए खोलने का भी आरोप लगाया, जो ‘नौकरियों और संसाधनों में स्थानीय निवासियों के हिस्से का हक मार रहे हैं.’
2019 में मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया, जिसके तहत संपत्ति के अधिकार सहित जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा हासिल था. तत्कालीन राज्य को भी उसी समय दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया गया था.
इस घटनाक्रम से कुछ घंटे पहले ही महबूबा मुफ्ती और अन्य कश्मीरी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था. वह अक्टूबर 2020 में बाहर आईं थीं.
उन्होंने दावा किया, ‘आपको देश में कहीं भी ऐसा आसान भूमि कानून नहीं मिलेगा, जैसा उन्होंने जम्मू-कश्मीर के लिए बनाया है. उन्होंने स्टांप शुल्क 50 प्रतिशत तक घटा दिया है, सिर्फ इसलिए क्योंकि वे पूरी जमीन को बेचना चाहते हैं और चाहते हैं कि कोई भी आकर जमीन खरीद ले. नौकरियां स्थानीय लोगों की जगह बाहरी लोगों को दी जा रही हैं.’
मुफ्ती ने आरोप लगाया, ‘हमें अपनी नौकरियां देश के बाकी हिस्सों के लोगों के साथ साझा करनी पड़ रही हैं, जबकि वादे के मुताबिक रोजगार के नए अवसर पैदा नहीं हुए हैं, वे हमारा हिस्सा ले रहे हैं. हमारे संसाधनों के मामले में भी ऐसा ही है.’
उन्होंने दावा किया कि ‘ज्यादातर कामों’ के लिए बाहर से ठेकेदारों को लाया जा रहा है.
उन्होंने कहा, ‘यहां तक कि 24 अप्रैल को जम्मू में पीएम की रैली के लिए मंच लगाने वाले कांट्रैक्टर तक बाहर से लाए गए थे. जम्मू के किसी व्यक्ति को नौकरी के लिए क्यों नहीं रखा गया?’
उन्होंने कहा, ‘जम्मू में बन रहे एम्स की तरह ही जो भी निर्माण कार्य चल रहा है— ठेकेदार बाहर से आ रहे हैं. यहां तक कि रेत और सीमेंट की आपूर्ति भी बाहरी लोग कर रहे हैं, जम्मू-कश्मीर के लोग नहीं.’
जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने की जरूरत बताते हुए मुफ्ती ने कहा, ‘यह किसी ऐसे व्यक्ति को नए जूते देने जैसा है, जिसके पैर आपने काट दिए हों.’ उन्होंने कहा, ‘उन्होंने हमसे सब कुछ छीन लिया है- हमारा विशेष दर्जा और गरिमा.’
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पाकिस्तान के साथ बातचीत पर क्या बोलीं
मुफ्ती के आवास के अच्छी तरह से रौशन लिविंग एरिया से सामने हराभरा लॉन दिखाई देता है. कमरे की एक दीवार पर उनके पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद की तस्वीर लगी है.
इंटरव्यू के दौरान जब भी दिवंगत केंद्रीय गृह मंत्री का जिक्र आता तो लकड़ी की एक आरामकुर्सी पर बैठी महबूबा मुफ्ती एक नज़र उधर देखने लगतीं.
पाकिस्तान के साथ बातचीत के विषय पर चर्चा के दौरान भी कुछ ऐसा ही क्षण आया. पाकिस्तान के साथ बातचीत शुरू करने को लेकर मुखर रही महबूबा मुफ्ती ने कहा कि पड़ोसी से बात करना ही मौजूदा संकट का एकमात्र समाधान है.
उन्होंने कहा, ‘जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे, पाकिस्तान के साथ बातचीत शुरू हुई थी, तब पूरे माहौल में शांति की भावना थी.’
उन्होंने कहा, ‘मेरे पिता ने उस समय कहा था कि जम्मू-कश्मीर में सीमाओं को बदले बिना, हम दोनों पक्षों को जोड़ सकते हैं और स्वतंत्र रूप से आवाजाही के साथ-साथ व्यापार भी कर सकते हैं. ऐसे में दोनों पक्षों की जिज्ञासा शांत हो जाएगी. और लोग खुद देख पाएंगे कि वहां क्या है और हमारे पास क्या है.’
उन्होंने कहा कि जब भी पाकिस्तान के साथ बातचीत शुरू हुई है घाटी में सुरक्षा स्थिति में काफी सुधार हुआ है.
उन्होंने कहा, ‘मैंने उस प्रक्रिया को देखा और जिया है. यही सबसे अच्छी बात थी जो हो सकती थी. उस समय संघर्षविराम था और कश्मीर में अन्य चीजें भी ठीक थीं.’
उन्होंने आगे कहा, ‘हर समय हम सुनते हैं कि पड़ोसी समस्याएं पैदा कर रहा है. फिर उनसे और अपनों से बात क्यों नहीं करते? वाजपेयी घुसपैठ को कम करने, सीमाओं पर संघर्ष विराम और यहां एक तरह की शांति स्थापित करने में सफल रहे. इसे फिर क्यों न आजमाएं?’
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‘प्रधानमंत्री ने पंचायत सदस्यों की मुख्य चिंता पर ध्यान नहीं दिया’
पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने के बाद पहली बार जम्मू-कश्मीर की यात्रा की, जहां उन्होंने ‘कई विकास योजनाओं’ का उद्घाटन और नींव रखी. हालांकि, महबूबा मुफ्ती ने कहा कि जिन परियोजनाओं की बात की जा रही है, उनमें से अधिकांश मनमोहन सिंह के समय में शुरू हुई थीं और भाजपा के कार्यकाल में कुछ भी नया नहीं हुआ है.
उन्होंने कहा, ‘जम्मू में इस गर्मी के बीच बिजली नहीं है. लोग परेशान हैं, जबकि जम्मू-कश्मीर से ही सेंट्रल ग्रिड को अधिकतम बिजली दी जाती है. उन्होंने कहा, ‘बेरोजगारी दर अभी सबसे ज्यादा है. उन्होंने कहा था कि 370 के बाद नौकरी के रास्ते खुलेंगे, लेकिन यह झूठ है.’
उन्होंने कहा, ‘उन्हें बड़ी परियोजनाओं के बारे में बात करने के बजाये, जिनमें से अधिकांश वैसे भी पहले ही शुरू हो चुकी थीं, लोगों को तत्काल राहत के लिए कुछ करना चाहिए.’
कश्मीर में निवेश के अवसर तलाशने को लेकर मार्च में यूएई के प्रतिनिधिमंडलों की यात्रा को लेकर भी उनका नज़रिया संतोषजनक नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘अगर जमीनी हालात के कारण हमारे अपने ही लोग यहां आने और निवेश करने को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं तो फिर आप बाहरी लोगों से पैसा लगाने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?’
मुफ्ती ने कहा कि हालांकि, प्रधानमंत्री पंचायती राज व्यवस्था से जुड़े सदस्यों से बात करने आए थे लेकिन ‘उनकी मुख्य चिंता-सुरक्षा’ पर ध्यान देना ही भूल गए.
पिछले कुछ सालों में पंचायत प्रतिनिधियों पर हमले बढ़े हैं. पुलिस आंकड़ों के मुताबिक, पिछले छह महीनों के दौरान आतंकवादियों ने छह पंचायत सदस्यों को मार डाला है.
उन्होंने आरोप लगाया, ‘वे कहते हैं कि लोकतंत्र को उसकी जड़ों से मजबूत कर रहे हैं लेकिन हमने देखा कि जब प्रधानमंत्री जम्मू में थे तब एक बार भी उन्होंने पंचायत सदस्यों के मारे जाने या उनकी सुरक्षा का जिक्र नहीं किया. उन्होंने इस पर एक शब्द भी नहीं बोला.’
उन्होंने कहा, ‘इन लोगों (पंचायत प्रतिनिधियों) को सड़कों पर सोना पड़ा था (जब उन्हें कश्मीर से जम्मू में प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के लिए बुलाया गया था). इन पंचायत सदस्यों को कश्मीर में विभिन्न सुरक्षित क्षेत्रों में रखा जा रहा है और उन्हें कहीं आने-जाने और लोगों से मिलने-जुलने की अनुमति नहीं है. फिर उनके निर्वाचित प्रतिनिधि होने का क्या मतलब है?’
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‘कांग्रेस एक आंदोलन शुरू करे’
अप्रैल में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के साथ अपनी मुलाकात के बारे में बताते हुए मुफ्ती ने कहा कि देश में जो कुछ भी हो रहा है वह उससे ‘परेशान’ थीं और यह बताना चाहती थीं कि ‘इस समय कांग्रेस को भारत की रक्षा के लिए कदम उठाने की जरूरत है.’
उन्होंने कहा, ‘मैं उनसे मिलकर कहना चाहती थी कि इस समय कांग्रेस को आगे आकर देश की रक्षा करनी चाहिए. चुनाव के बारे में भूल जाओ, यह भूल जाओ कि कौन जीतता है या हारता है. लेकिन एक आंदोलन, एक विरोध के लिए पार्टी के कैडर और नेताओं का आगे आना जरूरी है. मेरा मानना है कि कांग्रेस पार्टी ने ही धर्मनिरपेक्षता पर देश की नींव रखी है.’
मुफ्ती का कहना है कि आज भारत में जो भी हो रहा है, वही कई साल पहले पाकिस्तान में हुआ था, जब एक जनरल (जिया-उल-हक) ने धर्म का दुरुपयोग किया और ऐसी स्थितियां पैदा कर दी जिसकी वजह से ही आज पाकिस्तान दिवालिया हो चुका है.
महबूबा ने कहा, ‘उन्होंने इस्लाम के नाम पर युवाओं के हाथों में बंदूकें थमा दीं. इसका खामियाजा उन्हें अब भुगतना पड़ रहा है. हमारे देश में भी ऐसा ही हो रहा है. भाजपा देश को उसी ओर धकेल रही है.’
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