नयी दिल्ली, 26 अप्रैल (भाषा) विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को यूक्रेन पर भारत के रुख की आलोचना का जवाब देते हुए कहा कि पश्चिमी शक्तियां एशिया के सामने आने वाली चुनौतियों से बेखबर हैं, जिसमें अफगानिस्तान में पिछले साल की घटनाएं और क्षेत्र में नियम-आधारित व्यवस्था पर लगातार दबाव शामिल है।
‘रायसीना डायलॉग’ में एक संवाद सत्र में, जयशंकर ने कहा कि यूक्रेन में संकट यूरोप के लिए “चेताने वाला” हो सकता है, ताकि वह यह भी देखे कि एशिया में क्या हो रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों से यह दुनिया का “आसान हिस्सा” नहीं है।
यूक्रेन की स्थिति पर नॉर्वे के विदेश मंत्री एनिकेन हुइटफेल्ड के एक विशिष्ट प्रश्न पर, जयशंकर ने कहा कि भारत लड़ाई की तत्काल समाप्ति और कूटनीति व बातचीत के रास्ते पर लौटने के लिए दबाव डाल रहा है।
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि जहां तक यूक्रेन में संघर्ष का सवाल है, हमारा बहुत स्पष्ट रुख है, जिसे साफ तौर पर व्यक्त किया गया है। एक दृष्टिकोण जो लड़ाई की तत्काल समाप्ति पर जोर देता है, जो कूटनीति और बातचीत के रास्ते पर लौटने का आग्रह करता है, जो राष्ट्रों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की आवश्यकता पर बल देता है।”
उन्होंने कहा, “आपने यूक्रेन के बारे में बात की थी। मुझे याद है, एक साल से भी कम समय पहले, अफगानिस्तान में क्या हुआ था, जहां समूची नागरिक संस्थाओं को दुनिया ने अपने फायदे के लिये उसके हाल पर छोड़ दिया था।”
उन्होंने कहा, “मैं पूरी ईमानदारी से कहूंगा, हम सभी अपने विश्वासों और हितों, अपने अनुभव का सही संतुलन खोजना चाहेंगे, और यही सब वास्तव में करने की कोशिश करते हैं। यह दुनिया के विभिन्न हिस्सों से अलग दिखता है। प्राथमिकताएं अलग हैं और यह काफी स्वाभाविक है।”
मंत्री नॉर्वे और लक्ज़मबर्ग के अपने समकक्षों के साथ-साथ स्वीडन के पूर्व प्रधान मंत्री कार्ल बिल्ड द्वारा यूक्रेन संकट पर किये गए सवालों का जवाब दे रहे थे।
जयशंकर ने कहा, “काफी स्पष्ट रूप से, हम पिछले दो महीनों से यूरोप से बहुत सारी दलीलें सुन रहे हैं कि यूरोप में चीजें हो रही हैं और एशिया को इसकी चिंता करनी चाहिए क्योंकि यह एशिया में हो सकता है।”
उन्होंने कहा, “पिछले 10 वर्षों से एशिया में चीजें हो रही हैं। यूरोप ने इस पर ध्यान नहीं दिया होगा। इसलिए यह यूरोप के लिये चेतावनी हो सकता है कि वह सिर्फ यूरोप को ही नहीं देखे बल्कि एशिया को भी देखे।”
विदेश मंत्री ने कहा कि ऐसा नहीं है कि समस्याएं होने वाली हैं और समस्याएं एशिया में हो रही हैं।
उन्होंने कहा, “यह पिछले एक दशक से दुनिया का एक आसान हिस्सा नहीं रहा है और यह दुनिया का एक ऐसा हिस्सा है, जहां सीमाएं तय नहीं हुई हैं, जहां आतंकवाद अब भी अक्सर राष्ट्रों द्वारा प्रायोजित किया जाता है।”
जयशंकर ने कहा, “यह दुनिया का एक हिस्सा है, जहां नियम-आधारित व्यवस्था एक दशक से अधिक समय से लगातार दबाव में है और मुझे लगता है कि एशिया के बाहर, बाकी दुनिया के लिए आज इसे पहचानना महत्वपूर्ण है।”
अपने प्रश्न में, बिल्ड्ट ने विदेश मंत्री से पूछा कि यूक्रेन में जो हो रहा है, उससे चीन क्या निष्कर्ष निकाल सकता है और क्या बीजिंग द्वारा उन चीजों को करने की संभावना को देखने की आशंका है जिन्हें अन्यथा अनुमति नहीं दी जाएगी।
साथ ही स्वीडिश नेता की इस टिप्पणी पर कि चीन यूक्रेन में संकट से जो निहितार्थ निकाल सकता है उसके भारत की सुरक्षा के लिए बड़े असर हो सकते हैं, जयशंकर ने कहा कि यह सवाल चीनी विदेश मंत्री वांग यी से पूछा जाना चाहिए था।
जयशंकर ने जवाब दिया, “मैं ईमानदारी से उस सवाल का जवाब नहीं दे सकता। लेकिन मुझे नहीं लगता कि अंतरराष्ट्रीय संबंध जरूरी रूप से पूर्व के नजीर से काम करते हैं। लोगों को वहां कुछ देखने और कहने की जरूरत नहीं है कि मैं यही करने जा रहा हूं।”
उन्होंने कहा,‘‘ ज्यादातर नौकरशाही इसी तरह काम करती है। लेकिन मुझे लगता है कि विश्व मामलों में काम करने का तरीका आत्म केंद्रित अधिक होता है।”
जयशंकर ने अफगानिस्तान में घटनाओं, कोविड-19 महामारी, यूक्रेन में संकट और बड़ी शक्तियों के बीच प्रतिद्वंद्विता को दुनिया के समक्ष “बड़े झटके” के रूप में पहचाना और कहा कि उनके वैश्विक परिणाम हैं।
भाषा
प्रशांत दिलीप
दिलीप
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