पुणे, 22 अप्रैल (भाषा) महाराष्ट्र के पुणे की एक अदालत ने गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) की याचिका पर संज्ञान लेते हुए शहर के एक निजी अस्पताल में हाल में गुर्दा प्रतिरोपण प्रक्रिया के दौरान हुई धोखाधड़ी की कथित घटना के बारे में पुलिस से रिपोर्ट मांगी है।
पुलिस ने कहा कि उसने अदालत को रिपोर्ट सौंप दी है।
एक महिला ने हाल ही में शहर के एक निजी अस्पताल रूबी हॉल क्लिनिक में गुर्दा प्रतिरोपण के लिये खुद को कथित तौर पर एक मरीज की पत्नी के रूप में पेश किया था।
बाद में राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने अंग प्रतिरोपण के लिए अस्पताल के पंजीकरण को निलंबित कर दिया। हालांकि, उच्च न्यायालय ने स्वास्थ्य विभाग के इस आदेश पर रोक लगा दी।
क्षेत्रीय अंग प्रतिरोपण प्राधिकार समिति का कामकाज भी अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया। यह समिति ऐसे प्रतिरोपण की मंजूरी देने के लिए जिम्मेदार है।
कोरेगांव पार्क थाने के निरीक्षक विनायक वेटल ने कहा, “एक अदालत ने हमसे गुर्दा प्रतिरोपण प्रक्रिया के दौरान हुई कथित धोखाधड़ी के बारे में रिपोर्ट मांगी है और हमने रिपोर्ट सौंप दी है।”
उन्होंने कहा कि अदालत में एक एनजीओ द्वारा एक आवेदन दायर किए जाने के बाद अदालत ने रिपोर्ट मांगी।
दरअसल, कोल्हापुर की एक महिला ने कथित तौर पर 15 लाख रुपये की पेशकश किये जाने पर गुर्दा प्रतिरोपण के जरूरतमंद व्यक्ति की पत्नी बनकर एक युवा महिला को अपना गुर्दा दान कर दिया। इसके बदले युवा महिला की मां ने अपना गुर्दा उस जरूरतमंद व्यक्ति को दान कर दिया। ऐसा तब होता है जब दोनों मरीजों के रक्त समूह अपने रिश्तेदारों से मेल नहीं खा रहे होते हैं।
रूबी हॉल क्लिनिक में प्रतिरोपण सर्जरी के चार दिन बाद 29 मार्च को पैसे को लेकर हुए विवाद के बाद महिला ने अपनी असली पहचान बताई। इसके बाद अस्पताल ने पुलिस को इसकी सूचना दी और फिर पुलिस ने राज्य के स्वास्थ्य विभाग को मामले से अवगत कराया।
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जोहेब प्रशांत
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