गुवाहाटी, आठ अप्रैल (भाषा) बिटकॉइन के इस दौर में एक-एक सिक्का जमा करना कुछ लोगों को सागर की महज एक बूंद जैसा प्रतीत हो सकता है लेकिन असम निवासी एक दिहाड़ी मजदूर ने इस सोच को गलत सबित करते हुए अपनी छोटी बचत से एक दोपहिया वाहन खरीदने का सपना सच कर दिखाया है। उपेन रॉय ने पांच अप्रैल को अपना दोपहिया वाहन खरीदा और इसके लिए उन्होंने उन सिक्कों में भुगतान किया जो उन्होंने पिछले आठ साल में जमा किये थे।
रॉय ने एक रुपये, दो रुपये से लेकर 10 रुपये के सिक्कों की बचत की और कुछ दिन पहले उन्हें यह जानकर आश्चर्य हुआ कि इतने वर्षों में उन्होंने 1.35 लाख रुपये जमा कर लिए थे। रॉय ने शुक्रवार को कहा, “मुझे एहसास हुआ कि मेरे और मेरे परिवार का जीवन आसान बनाने के लिए स्कूटर खरीदने का सपना उन सिक्कों से साकार हो सकता है जो मैंने बचाए थे। इस सप्ताह मेरी पत्नी और मैं कई बैग में सिक्कों को भरकर पास के दोपहिया वाहन के शोरूम में गए।”
शोरूम के कर्मचारी सिक्कों से भरा बैग देखकर अचरज से भर गए और प्रबंधक उन सिक्कों के बदले रॉय को वाहन देने से हिचकिचा रहा था। शोरूम के मालिक मनीष पोद्दार ने कहा, “दंपति के चेहरे पर उम्मीद और बचत करने के लिए उस व्यक्ति की दृढ़ता ने हमें यह सुनिश्चित करने पर मजबूर किया कि उसे वाहन दिया जाए।”
पोद्दार ने कहा, “पहले हमने बैंक से संपर्क किया कि वे 1.35 लाख रुपये के सिक्के स्वीकार करेंगे या नहीं। बैंक ने इनकार कर दिया। इसके बाद हमने आसपास के दुकानदारों से कहा जो सिक्के के बदले नोट देने को तैयार हो गए। इसके बाद कोई समस्या नहीं रही और कागजात तैयार किये गए ताकि रॉय को एक दोपहिया वाहन मिल सके।”
स्कूटर का दाम 89 हजार था और कुल बिल 92 हजार से कुछ अधिक का बना। शहर के पश्चिमी बोरगांव इलाके के निवासी रॉय ने कहा कि वह खुश हैं कि उनका स्कूटर खरीदने का सपना सच हुआ और वह सिक्के जमा करने की आदत आगे भी जारी रखेंगे।
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