नयी दिल्ली, 19 मार्च (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक महिला टेनिस खिलाड़ी की एक अर्जी पर भारतीय खेल प्राधिकरण (एसएआई) और आल इंडिया स्पोर्ट्स काउंसिल आफ डेफ (एआईएससीडी) से जवाब देने को कहा है, जिसमें उसने ब्राजील डेफलिम्पिक्स में टेनिस टीमों के लिए कम से कम 4+4 खिलाड़ियों के स्थान पर केवल 2+2 पुरुष और महिला खिलाड़ियों को ही लेने के प्राधिकारियों के फैसले को चुनौती दी गयी है।
याचिकाकर्ता ने लॉन टेनिस टीमों (पुरुष और महिला) के लिए मार्च के आखिल सप्ताह से होने वाले शिविर के लिए चुने गए प्रतिभागियों की सूची में अपना नाम शामिल करने का अनुरोध किया ताकि वह 1 से 15 मई तक ब्राजील में होने वाले डेफलिम्पिक्स में भाग ले सके।
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने 15 मार्च के अपने आदेश में कहा, ‘‘हालांकि प्रतिवादी संख्या 2 और 3 (एसएआई और एआईएससीडी) को अग्रिम नोटिस दिया गया है, लेकिन आज जब मामले को सुनवायी के लिए लिया गया तो उनकी ओर से कोई भी पेश नहीं हुआ। याचिकाकर्ता के वकील ने अनुरोध किया है कि उन प्रतिवादियों को इलेक्ट्रॉनिक मोड के साथ-साथ स्वीकृत कूरियर सेवा और दस्ती के माध्यम से नोटिस देने के लिए समय दिया जाए और इसे स्वीकार किया जाता है। नोटिस से बताया जाएगा कि इस रिट याचिका को 23 मार्च को फिर से सुनवायी के लिए लिया जाएगा।’’
याचिकाकर्ता कीर्ति लता ने कहा कि चयन परीक्षा 24 और 25 फरवरी को अधिकारियों द्वारा की गयी थी जिसमें उन्होंने तीसरा स्थान हासिल किया और उन्हें तस्वीरें और अन्य दस्तावेज देने के लिए कहा गया।
याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता संजय अग्रवाल और गुरप्रीत कौर ने किया। याचिकाकर्ता ने कहा कि बाद में, उन्हें बताया गया कि न्यूनतम 4+4 खिलाड़ियों की तैयार की गई प्रारंभिक सूची में से केवल दो पुरुष और दो महिला खिलाड़ियों को ही डेफलिम्पिक्स-2021 में भाग लेने के लिए एक महीने के लंबे तैयारी शिविर में शामिल होने की अनुमति दी जाएगी।
याचिकाकर्ता ने एआईएससीडी द्वारा भारतीय खेल प्राधिकरण (एसएआई) की अनुमति से जारी 11 फरवरी के ‘मनमाने, अवैध और दुर्भावनापूर्ण’ परिपत्र को रद्द करने का अनुरोध किया, जिससे याचिकाकर्ता को प्रशिक्षण शिविर में शामिल होने और अंतत: 24वें डेफलिम्पिक्स में भाग लेने का मौका खत्म हो गया। याचिकाकर्ता ने कहा कि उसके बारे में उसे यहां जेएलएन स्टेडियम में कोच द्वारा मौखिक रूप से सूचना दी गई थी।
याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता, एक विशेष रूप से दिव्यांग खिलाड़ी होने के नाते, 2017 से अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप के लिए अभ्यास कर रही है और अगर याचिकाकर्ता को इस डेफलिम्पिक्स के लिए नहीं लिया गया, तो उसका करियर बर्बाद हो जाएगा।
भाषा अमित माधव
माधव
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.