(आदित्य वाघमरे)
औरंगाबाद, आठ मार्च (भाषा) सुनंदा शिवाजी क्षीरसागर ने केवल आठवीं कक्षा तक पढ़ाई की है, लेकिन यह बात उनकी सफलता में कभी बाधा नहीं बनी। उन्होंने अपने उद्यमिता कौशल के दम पर कुक्कुट पालन का कारोबार स्थापित किया और परिवार की आय बढ़ाने में मदद की।
वह अब अपने कारोबार से दूसरों को भी रोजगार प्रदान कर रही है। उन्होंने 500 मुर्गियों से कारोबार की शुरुआत की थी, जिनकी संख्या अब 50 हजार हो गई है।
सुनंदा की सफलता को देख औरंगाबाद के कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) ने उनके कारोबार मॉडल का अध्ययन किया। उन्हें 2016 में महाराष्ट्र सरकार के कृषि भूषण सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है।
सुनंदा औरंगाबाद जिले में पैठन तहसील के पांगड़ा गांव की रहने वाली हैं। उनका 1992 में विवाह हुआ था और उनके पति शिवाजी विज्ञान में स्नातक हैं। उस समय उनके पति आजीविका के लिए नौकरी करने पर विचार कर रहे थे, लेकिन बाद में उन दोनों ने योजना बदल दी और अपनी चार एकड़ की जमीन पर खेती करने की सोची।
सुनंदा ने महिला दिवस के अवसर पर ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मैंने आठवीं कक्षा तक पढ़ाई की है। मेरे पति की मदद करने के लिए मैंने कुक्कुट पालन का कारोबार करने का फैसला किया और 500 मुर्गी खरीदीं। इस कारोबार से शुरुआत में पांच से छह हजार प्रति माह की कमाई हुई।’’
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन हम वहां रुके नहीं। आज हमारे पास पचास हजार से अधिक मुर्गियां है और हमें प्रति माह सात से आठ लाख का लाभ होता है।’’
सुनंदा का बेटा भी विज्ञान में स्नातक है। वह कृषि संबंधी पाठ्यक्रम की पढ़ाई कर रहा है और कारोबार में भी उनकी मदद करता है।
सुनंदा ने कहा, ‘‘अब कुक्कुट पालन हमारे परिवार का प्रमुख व्यवसाय बन गया है और इसकी मदद से अब हमारे पास चार एकड़ के बजाय 27 एकड़ भूमि है, जिसमें से मैं स्वयं 13 एकड़ की मालिक हूं।’’
केवीके में कुक्कुट पालन पाठ्यक्रम विशेषज्ञ अनीता जिंतुरकर ने कहा कि महिलाएं आमतौर पर मुर्गी पालन/ बकरी पालन नहीं करती हैं, लेकिन सुनंदा क्षीरसागर एक अपवाद हैं।
भाषा सिम्मी मनीषा
मनीषा
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