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Friday, 22 November, 2024
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भारत के ज्यादातर लोगों का मानना है कि पत्नी को पति का कहना मानना चाहिए: प्यू स्टडी

प्यू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट 29,999 भारतीय वयस्कों के बीच 2019 के अंत से लेकर 2020 की शुरूआत तक किये गये अध्ययन पर आधारित है.

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वाशिंगटन/नई दिल्ली: ज्यादातर भारतीय इस बात से पूरी तरह या काफी हद तक सहमत हैं कि पत्नी को हमेशा ही अपने पति का कहना मानना चाहिए. एक अमेरिकी थिंक टैंक के एक हालिया अध्ययन में यह कहा गया है.

प्यू रिसर्च सेंटर की यह नयी रिपोर्ट बुधवार को जारी की गई, जिसमें इस पर गौर किया गया है कि किस तरह से भारतीय घर और समाज में लैंगिक भूमिकाओं को कहीं अधिक सामान्य रूप से देखते हैं. रिपोर्ट 29,999 भारतीय वयस्कों के बीच 2019 के अंत से लेकर 2020 की शुरूआत तक किये गये अध्ययन पर आधारित है.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘भारतीय वयस्कों ने तकरीबन सार्वभौम रूप से कहा कि महिलाओं को पुरूषों के समान अधिकार होना जरूरी है. हर 10 में आठ लोगों ने कहा कि यह बहुत जरूरी है. हालांकि, कुछ ऐसी परिस्थितियों में भारतीयों को लगता है कि पुरुषों को वरीयता मिलनी चाहिए.’

इसमें कहा गया है, ‘करीब 80 प्रतिशत इस विचार से सहमत हैं कि जब कुछ ही नौकरियां है तब पुरूषों को महिलाओं की तुलना में नौकरी करने का अधिक अधिकार है.’

रिपोर्ट में कहा गया है कि करीब 10 में नौ भारतीय (87 प्रतिशत) पूरी तरह या काफी हद तक इस बात से सहमत हैं कि ‘पत्नी को हमेशा ही अपने पति का कहना मानना चाहिए.’

इसमें कहा गया है, ‘हर परिस्थिति में पत्नी को पति का कहना मानना चाहिए, इस विचार से ज्यादातर भारतीय महिलाओं ने सहमति जताई.’

हालांकि, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज जैसी नेताओं का जिक्र करते हुए इसमें कहा गया है कि भारतीयों ने राजनेता के तौर पर महिलाओं को व्यापक स्तर पर स्वीकार किया है.

अध्ययन के मुताबिक, ज्यादातर पुरुषों ने कहा कि महिलाएं और पुरूष समान रूप से अच्छे नेता होते हैं. वहीं, सिर्फ एक चौथाई भारतीयों ने कहा कि पुरूषों में महिलाओं के तुलना में बेहतर नेता बनने की प्रवृत्ति होती है.

रिपोर्ट में यह भी रेखांकित किया गया है कि ज्यादातार भारतीयों का कहना है कि पुरुष और महिलाओं को कुछ पारिवारिक जिम्मेदारी साझा करनी चाहिए, वहीं कई लोग अब भी परंपरागत लैंगिक भूमिकाओं का समर्थन करते हैं.

जहां तक बच्चों की बात है, भारतीय इस बारे में एक राय रखते हैं कि परिवार में कम से एक बेटा (94 प्रतिशत) और, एक बेटी (90 प्रतिशत) होनी चाहिए.

ज्यादातर भारतीयों (63 प्रतिशत) का कहना है कि मात-पिता की अंत्येष्टि की जिम्मेदारी प्राथमिक रूप से बेटों की होनी चाहिए.

मुस्लिम में 74 प्रतिशत, जैन (67 प्रतिशत) और हिंदू में 63 प्रतिशत लोगों का कहना है कि माता-पिता के अंतिम संस्कार की प्राथमिक जिम्मेदारी बेटों की होनी चाहिए.

वहीं, 29 प्रतिशत सिखों, 44 प्रतिशत ईसाइयों और 46 प्रतिशत बौद्ध धर्मावलंबी अपने बेटों से यह उम्मीद करते हैं. साथ ही, उनका यह भी कहना है कि माता-पिता की अंत्येष्टि की जिम्मेदारी बेटे और बेटी, दोनों की होनी चाहिए.

भाषा

सुभाष माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.


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