हैदराबाद: राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने रविवार को राज्य के भूपालपल्ली जिले में स्थित बहुउद्देश्यीय कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना – जो तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की योजना मानी जाती है – का दौरा किया. इस दौरे ने अफवाहों को हवा दी कि वह जल्द ही केसीआर की तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के साथ मिलकर काम कर सकते हैं.
किशोर के साथ बीजेपी के कट्टर आलोचक माने जाने वाले अभिनेता प्रकाश राज भी थे, जो इस महीने की शुरुआत में केसीआर की महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ बैठक में उनके साथ गए थे. यह दौरा तेलंगाना के मुख्यमंत्री द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर एक बीजेपी विरोधी मोर्चे को एकजुट करने के आक्रामक प्रयासों के बीच हुआ है.
टीआरएस नेता और पूर्व सांसद विनोद कुमार ने दिप्रिंट को बताया कि, ‘वह (किशोर) हैदराबाद में हैं. यह देखते हुए कि इन सलाहकार सेवाओं के साथ कैसे काम किया जाता है, उन्हें यहां के काम के बारे में बताया जा रहा है. वे मुख्यमंत्री से भी मिलेंगे.’ साथ ही, उन्होंने कहा कि उन दोनों का जुड़ाव अभी भी आधिकारिक नहीं है.
इस बीच टीआरएस के सूत्रों ने कहा कि किशोर, जिनकी इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (आई-पैक) हैदराबाद में स्थित है और केसीआर पिछले दो वर्षों से संपर्क में हैं, और उनके बीच पिछले कुछ हफ्तों में बैठकें भी हुई हैं.
सूत्रों ने कहा कि 2023 के विधानसभा चुनावों से पहले एक संबंध बनाने और केसीआर की राष्ट्रीय भूमिका के बारे में उनके बीच चर्चा ‘कम-से-कम पिछले साल अक्टूबर से’ चल रही है.
टीआरएस नेता और राज्यसभा सदस्य केशव राव ने दिप्रिंट को बताया, ‘एक या दो दिनों में, हमें आधिकारिक तौर पर इस तरह के संबंध के बारे में पता चल जाएगा. किशोर पिछले कुछ समय से मुख्यमंत्री के संपर्क में हैं.’
हालांकि, इस राजनीतिक रणनीतिकार ने ऐसी किसी भी भूमिका से इनकार किया.
दिप्रिंट के इस सवाल के जवाब में कि क्या टीआरएस के साथ उनका जुड़ाव आगामी राज्य चुनावों के लिए है या फिर यह केसीआर की राष्ट्रीय भूमिका से जुड़ी महत्वाकांक्षा के लिए? उन्होंने जवाब दिया ‘इनमें से किसी के लिए भी नहीं’.
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पहले से ही तेलंगाना में मौजूद है आई-पैक की टीम
इस बीच, राजनीतिक पोलिटिकल कंसल्टेंसी के सूत्रों ने कहा की आई-पैक हरकत में आ गई है और पहले से ही राज्य भर में सर्वे के लिए अपना तंत्र बना रही है. आई-पैक के एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया कि, ‘राज्य में पहले से ही एक टीम है, वे यहां स्थिर आधार बना रहे हैं.’
एक आई-पैक सदस्य, जो अपना नाम नहीं बताना चाहते थे, ने कहा कि तेलंगाना के आईटी मंत्री और सीएम के बेटे के.टी. रामा राव (केटीआर) भी इस बातचीत का हिस्सा हैं.
आई-पैक के इस सदस्य ने दिप्रिंट को बताया, ‘केटीआर सक्रिय रूप से चर्चाओं में शामिल रहे हैं. गोवा चुनाव के बाद, तेलंगाना पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है.‘
आई-पैक ने दो सप्ताह पहले हुए गोवा विधानसभा चुनावों में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस की सहायता की थी. यह एक ऐसा साथ था जो विवादों से घिर गया था.
इसी कंसल्टेंसी ने पिछले साल हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान भी ममता बनर्जी के चुनाव अभियान में मदद की थी, जब इस राज्य की मुख्यमंत्री ने लगातार तीसरी बार जीत के साथ नया कार्यकाल हासिल किया था.
तेलुगु भाषी राज्यों के साथ आई-पैक का जुड़ाव कोई नई बात नहीं है. इसने 2019 के आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान वाई.एस. आर पार्टी के जगन मोहन रेड्डी की भी मदद की थी, जब उन्होंने पूर्व सीएम चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) को धराशायी करते हुए प्रचंड बहुमत से प्राप्त किया था.
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प्रकाश राज की भूमिका!
टीआरएस के विनोद कुमार, जो तेलंगाना राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष भी हैं, ने दिप्रिंट को बताया कि अभिनेता प्रकाश राज आने वाले दिनों में केसीआर के साथ एक ‘महत्वपूर्ण भूमिका’ निभा सकते हैं.
उन्होंने कहा, ‘उम्मीद है कि आने वाले दिनों में वह (प्रकाश राज) कोई अहम भूमिका निभाएंगे. यह अभी तक पक्का नहीं हुआ है, यह अभी प्रारंभिक अवस्था में है.’
दिप्रिंट ने इस मामले में अभिनेता प्रकाश राज से मोबाइल संदेश के जरिए टिप्पणी मांगी लेकिन उनकी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.
राज 2018 में भी केसीआर के साथ गए थे, जब उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री और जनता दल (सेक्युलर) के प्रमुख एच.डी. देवेगौड़ा से मुलाकात की थी. यह मुलाकात भी कांग्रेस और बीजेपी दोनों के खिलाफ ‘तीसरे मोर्चे‘ के गठन के प्रयासों के हिस्से के रूप में हुई थी.
राज्य में बीजेपी द्वारा पैठ बनाए जाने के साथ केसीआर का राष्ट्रीय राजनीति प्रयास
केसीआर आक्रामक रूप से बीजेपी विरोधी मोर्चा बनाने की कोशिश कर रहे हैं – यह कुछ ऐसा प्रयास है जो वह साल 2018 से कर रहे हैं, हालांकि इस बारे में अभी तक कुछ भी हुआ नहीं है.
वैसे तो वह ‘तीसरे मोर्चे’ की वकालत करते रहे हैं लेकिन हाल फिलहाल में उनका ध्यान सिर्फ गैर-भाजपा मोर्चे पर केंद्रित रहा है. तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने पिछले कुछ महीनों से, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके शासन पर तीखे हमले शुरू कर दिए हैं. इसमें बीजेपी पर धार्मिक राजनीति के माध्यम से देश को ‘विभाजित’ करने का आरोप लगाने से लेकर, यह आरोप लगाने तक कि मोदी सरकार ने देश के संघीय ढांच वाली संरचना को ‘तोड़’ दिया है और साथ ही इसकी कई अन्य नीतियों पर भी प्रहार करना, शामिल है.
पिछले कुछ हफ्तों से केसीआर का मुख्य ध्यान बार-बार होने वाली प्रेस से बातचीत, जनसभाओं और केंद्र में बीजेपी को सत्ता से हटाने की जरूरत पर जोर देने पर रहा है. यह सब ऐसे समय में हो रहा है जब बीजेपी इस राज्य में अपनी गहरी पैठ बना रही है.
साल 2020 के बाद से, टीआरएस दो महत्वपूर्ण उपचुनावों (2020 में दुब्बाका और पिछले साल हुजुराबाद) में बीजेपी से हार गई है. साथ ही, बीजेपी ने 2020 में हुए ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनावों के दौरान भी अपनी छाप छोड़ी, जब उसके पार्षदों की संख्या 10 गुना बढ़ गई थी.
राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर के. नागेश्वर ने दिप्रिंट को बताया कि केसीआर के पास अपनी ‘राजनीतिक दूरदृष्टि है, लेकिन यह आवश्यक नहीं है कि उनकी यह दूरदृष्टि हर समय काम करे’.
उन्होंने कहा, ‘बीजेपी धीरे-धीरे केसीआर के खिलाफ एक ताकत और प्रतिस्पर्धी के रूप में उभर रही है. यह भी हो सकता है कि किशोर की बंगाल में बीजेपी को टक्कर देने की क्षमता ने केसीआर को यह सोचने पर मजबूर कर दिया हो कि यही दांव यहां भी उपयोगी हो सकता है. ‘
किशोर की तेलंगाना यात्रा के बारे में नागेश्वर ने कहा ‘केसीआर हमेशा से राष्ट्रीय राजनीति में एक भूमिका निभाना चाहते हैं. इसलिए, यह देखते हुए कि कैसे प्रशांत किशोर ने न केवल राज्य (पश्चिम बंगाल) में टीएमसी की मदद की बल्कि ममता बनर्जी की छवि को राष्ट्रीय स्तर पर भी बढ़ाया; यह संभव हो सकता है कि किशोर न केवल राज्य की राजनीति में केसीआर की मदद करने पर काम कर रहे हों, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में उनकी भूमिका के संबंध में भी काम कर रहे हों.’
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