चंडीगढ़ : बलात्कार और हत्या के मामले में दोषी करार तथाकथित संत डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को हरियाणा सरकार की तरफ से जेड प्लस सुरक्षा दिए जाने के मुद्दे पर राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और गृह मंत्री अनिल विज के बीच दरार एक बार फिर खुलकर सामने आ गई है.
दोनों नेताओं—जिनके बीच आपसी मतभेद किसी से छिपे नहीं हैं, हालांकि दोनों ही सौहार्दपूर्ण संबंधों का दावा करते हैं—ने राम रहीम को सुरक्षा के मुद्दे पर मीडिया के समक्ष विरोधाभासी बयान दिए हैं. गौरतलब है कि रोहतक की सोनारिया जेल में कैद गुरमीत राम रहीम फिलहाल फर्लो पर बाहर है.
खट्टर ने बुधवार को पंचकूला में मीडिया से कहा था कि जेड प्लस सुरक्षा देने का फैसला राम रहीम की जान को खतरे को देखते हुए किया गया था.
उन्होंने कहा, ‘चाहे कोई कैदी हो या बाहरी व्यक्ति, सुरक्षा प्रदान करना सरकार का कर्तव्य है. गुरमीत राम रहीम फर्लो पर बाहर हैं और कुछ गोपनीय सूचनाओं के आधार पर उन्हें जेड प्लस सुरक्षा दी गई है.’
उसी दिन, विज ने एक अन्य कार्यक्रम के दौरान संवाददाताओं से कहा था कि ‘डेरा प्रमुख को सुरक्षा प्रदान करने से उनका कोई लेना-देना नहीं है’ और उन्हें ‘इसकी कोई जानकारी नहीं थी और न ही राम रहीम को धमकी मिलने संबंधी कोई फाइल उनके पास आई है.’
एक ‘संयोग’
फर्लो के तहत 7 फरवरी को शुरू हुई 21 दिनों की रिहाई के दौरान राम रहीम को जेड-प्लस सुरक्षा प्रदान किए जाने ने तमाम लोगों को त्योरियां चढ़ा दी हैं क्योंकि तथाकथित संत को बलात्कार के दो मामलों और हत्याएं के केस में दोषी ठहराया जा चुका है.
यही नहीं, हरियाणा जेल अधिकारियों ने 20 फरवरी को पंजाब विधानसभा चुनाव से ठीक पहले डेरा प्रमुख को जेल से बाहर आने की अनुमति दी थी.
इस कदम को लेकर इस तरह के आरोप लगे कि राम रहीम को इस समय अस्थायी रूप से इसलिए रिहा किया गया ताकि वह मौजूदा समय में कांग्रेस शासित राज्य में अपने अनुयायियों को राज्य में भाजपा-पीएलसी-एसएडी (संयुक्त) गठबंधन को वोट देने के लिए प्रभावित कर सकें.
डेरा सच्चा सौदा के पंजाब में बड़ी संख्या में अनुयायी हैं और माना जाता है कि मालवा बेल्ट के हजारों मतदाताओं पर उसकी अच्छी पकड़ है. खट्टर ने राम रहीम को फर्लो और पंजाब चुनावों के बीच किसी भी तरह के संबंध से इनकार करते हुए कहा है कि यह एक संयोग है.
पंजाब में पिछले रविवार को मतदान हुआ. बुधवार को डेरा प्रमुख को जेड प्लस सुरक्षा देने की घोषणा की गई. बताया जा रहा है कि इस फैसले की वजह यह है कि सिख चरमपंथियों से ‘उनकी जान की खतरा होने के बारे में हरियाणा के सीआईडी विभाग को एक इनपुट मिला था.’
हरियाणा पुलिस सीआईडी का प्रभार खट्टर के पास है, जबकि बाकी पुलिस बल की कमान अनिल विज संभालते हैं.
विवादास्पद डेरा प्रमुख को सुरक्षा प्रदान करते समय गृह मंत्रालय से सलाह-मशविरा नहीं किए जाने से सीआईडी पर नियंत्रण को लेकर मुख्यमंत्री और गृह मंत्री के बीच मतभेद एक बार फिर सतह पर आ गए हैं.
हरियाणा पुलिस सीआईडी को लेकर खींचतान
जनवरी 2020 में हरियाणा के मुख्यमंत्री पर अपना दूसरा कार्यकाल शुरू होने के बमुश्किल दो महीने बाद ही खट्टर ने हरियाणा पुलिस सीआईडी का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया था, जबकि इससे पहले यह गृह विभाग के अधीन होती थी.
गृह विभाग संभालने वाले विज ने खट्टर के इस कदम पर आपत्ति जताई थी और इसे अपनी शक्तियों में कटौती के तौर पर देखा.
फिर खट्टर और विज के बीच इस मुद्दे पर सार्वजनिक तौर पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी चला, जिसके बाद मामले को सुलझाने के लिए इसे कैबिनेट में ले जाया गया. हालांकि, खट्टर अड़े रहे और उन्होंने अपने ही फैसले को अंतिम करार दिया.
बहरहाल, डेरा प्रमुख के मामले में विज ने इस बात से तो इनकार किया कि उनके पास सुरक्षा को मंजूरी देने की संबंधी कोई फाइल आई लेकिन खट्टर के कदम पर आपत्ति जताते हुए कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया.
गौरतलब है कि विज पहले से ही राम रहीम के समर्थक रहे हैं और उन्होंने 2016 में खेल मंत्री के तौर पर डेरा को खेल के लिए 50 लाख रुपये का दान देकर एक अच्छा-खासा विवाद खड़ा कर दिया था.
खट्टर और विज दोनों ने गुरुवार को मीडिया के सामने अपने मतभेदों को दरकिनार करने की कोशिश की.
नशामुक्ति अभियान शुरू करने के लिए चंडीगढ़ में एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के दौरान वे यह दिखाने की कोशिश करते रहे कि उनके बीच सब कुछ ठीक है.
विज से जब मुख्यमंत्री के साथ उनके मतभेदों के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था, ‘हम दोनों के बीच मतभेद हो सकते हैं, लेकिन हम दोनों का मकसद एक ही है—हरियाणा का विकास करना और हर हरियाणवी की भलाई के लिए काम करना.’
वहीं, खट्टर ने कहा कि वह विज को 1990 से जानते हैं और विज के अंबाला से अपना पहला चुनाव लड़ने के दौरान उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. मुख्यमंत्री ने इस पर खासा जोर दिया, ‘हम हर दिन एक-दूसरे से बात करते हैं. अक्सर एक-दूसरे से मिलते भी हैं और हमारे बीच किसी तरह का कोई मतभेद नहीं है.’
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