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Friday, 22 November, 2024
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राना अय्यूब के समर्थन में आया वॉशिंगटन पोस्ट, कहा- ‘पक्षपात पूर्ण जांच का बनाया गया निशाना’

रविवार को पूरे पन्ने का एक बयान जारी होने से पहले, प्रवर्तन निदेशालय ने कथित मनी लॉण्डरिंग मामले में, अय्यूब के नाम से जमा 1.77 करोड़ रुपए की राशि अटैच कर ली थी.

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नई दिल्ली: दि वॉशिंगटन पोस्ट रविवार को भारतीय पत्रकार राना अय्यूब के समर्थन में सामने आ गया. इससे पहले 10 फरवरी को प्रवर्तन निदेशालय ने, पत्रकार के खिलाफ एक कथित मनी लॉन्ड्रिंग केस के सिलसिले में अय्यूब के नाम से जमा 1.77 करोड़ रुपए की राशि अटैच कर ली थी.

दि वॉशिंगटन पोस्ट ने कोलिशन अगेंस्ट ऑनलाइन वायलेंस के साथ मिलकर, वॉशिंगटन पोस्ट प्रेस फ्रीडम पार्टनरशिप के बैनर तले, रविवार को अख़बार में एक पूरे पन्ने का समर्थन बयान जारी किया. उसमें कहा गया, ‘तक़रीबन हर दिन राना अय्यूब को हिंसा और मौत की धमकियां मिलती हैं. वो पक्षपातपूर्ण जांच और ऑनलाइन उत्पीड़न का निशाना रही हैं. परोपकार कार्यों से जुड़े उनके बैंक खाते को सील कर दिया गया. पत्रकारों को अभियोजन और बदनामी अभियान से नहीं डरना चाहिए’.

The statement published in The Washington Post.
वाशिंगटन पोस्ट में पब्लिश बयान.

अय्यूब एक स्वतंत्र पत्रकार हैं, जो दि वॉशिंगटन पोस्ट के लिए भी लिखती हैं. पिछले महीने अय्यूब ने मुम्बई पुलिस में एक लिखित शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उन्होंने दि स्कूप बीट्स नामक वेबसाइट्स की ओर से उन्हें ‘परेशान करने’ और उनके बारे में ‘फर्ज़ी ख़बरें’ फैलाने का हवाला दिया था, जिसके नतीजे में उनके खिलाफ गालियों और धमकियों की बाढ़ सी आ गई है. पत्रकार की मूल शिकायत एक वीडियो के लेकर थी, जो दि स्कूप बीट्स के यूट्यूब चैनल और सोशल मीडिया पर, ‘सऊदी अरब ने राना अय्यूब पर पाबंदी लगाई’ के नाम से पोस्ट किया था. अय्यूब के अनुसार इस वीडियो में उनके कुछ ट्वीट्स फोटोशॉप करके डाले गए हैं, जिनमें वो भारत के प्रति नफरत का इज़हार कर रही हैं.

इस बीच, ‘हिंदू आईटी सेल’ नाम की एक संस्था के संस्थापक, विकास सांकृत्यायन की एक शिकायत के आधार पर गाज़ियाबाद पुलिस के एक एफआईआर दर्ज करने के बाद, ईडी ने अय्यूब के खिलाफ जांच शुरू कर दी. विकास ने अय्यूब पर आरोप लगाया था कि उन्होंने देश में कोविड की पहली और दूसरी लहरों के दौरान, केटो पर परोपकार के नाम पर अभियान चलाकर अवैध तरीक़े से लोगों से पैसा जुटाया.

अय्यूब ने आरोपों को ‘निराधार, दुर्भावनापूर्ण और काल्पनिक’ बताया है.

अय्यूब ने सोमवार को दिप्रिंट से कहा, ‘पत्रकारों के खिलाफ बदनामी अभियान चलाना एक लोकप्रिय औज़ार है, जिसका दुनियाभर के तानाशाह इस्तेमाल करते हैं. ये और भी अलग महसूस होता है जब आपका अपना मीडिया, मेरे मामले में भारतीय मीडिया, एक दूरी बना लेता है, फर्ज़ी ख़बरों को प्रचारित करता है और आधी-अधूरी एकजुटता के साथ एक पत्रकार की वर्चुअल लिंचिंग होने देता है’.

पत्रकार ने आगे कहा, ‘अगर अंतर्राष्ट्रीय मीडिया साथ न आता, तो मैं अपनी मर्यादा की इस लड़ाई को लड़ने के लिए अकेली रह जाती. मुझे वॉशिंगटन पोस्ट पर गर्व है कि उसने लगातार मेरे लिए न्याय का अभियान चलाया है और मेरे सबसे कठिन समय में मेरे पीछे खड़ा रहा. एकजुटता और साहस की पत्रकारिता का यही मतलब होता है’.


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मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप

अय्यूब के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं, 403 (संपत्ति का ग़बन), 406 (विश्वास का आपराधिक हनन), 418 (छल), 420 (छल करना और बेईमानी से संपत्ति देने के लिए प्रेरित करना), आईटी एक्ट की धारा 66डी (कंप्यूटर संसाधन का प्रयोग करके प्रतिरूपण द्वारा छल) और धन-शोधन निवारण अधिनियम, 2002, की धारा 4 के तहत मुक़दमा क़ायम किया गया है.

उसमें कहा गया है कि उन्होंने तीन अभियानों से जुटाया था- ‘झुग्गीवासियों और किसानों के लिए फंड्स’, ‘असम, बिहार और महाराष्ट्र के लिए राहत कार्य’, और ‘भारत में कोविड-19 प्रभावित लोगों के लिए सहायता’, जो क्रमश: अप्रैल और मई 2020, जून और सितंबर 2020 तथा मई और जून 2021 के बीच- किसी तरह के ‘अनुमोदन प्रमाण पत्र या सरकार से पंजीकरण के बिना एकत्र किया गया, जिसकी विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) के अंतर्गत ज़रूरत होती है’.

उसके बाद ईडी ने दावा किया है कि ‘ऐसे फर्ज़ी बिल पाए गए जो श्रीमती अय्यूब ने राहत कार्यों पर ख़र्च दिखाने के लिए कुछ इकाइयों के नाम पर तैयार किए थे. 37 लाख रुपए से अधिक उनकी बहन इफ्फत शेख के खाते में जमा कराए गए, और 1.60 करोड़ से रुपए उनके पिता मोहम्मद अय्यूब वाक़िफ के बैंक खाते में जमा कर दिए गए. बाद में ये सारी राशि उनके अपने खाते में ट्रांसफर कर दी गई’.

एजेंसी के सूत्रों ने कहा था अटैच की गई राशि में नवी मुम्बई के एक बचत खाते में 50 लाख रुपए का फिक्स्ड डिपॉज़िट, एचडीएफसी के एक चालू खाते में 57.19 लाख रुपए का उपलब्ध बैलेंस और उसी एचडीएफसी बचत खाते में जिसमें एफडी कराई गई थी 70.08 लाख रुपए की एक और राशि शामिल हैं.

बाद में जारी एक बयान में अय्यूब ने दावा किया था कि उन्होंने धन उगाही के तीन अभियानों से कुल 2.69 करोड़ रुपए जुटाए थे, जिसमें से उन्होंने ‘1 करोड़ 14 लाख और पचास हज़ार रुपए राहत कार्यों में इस्तेमाल किए, जिनमें से 74.50 लाख रुपए पीएम केयर्स फंड और महाराष्ट्र के सीएम केयर्स फंड को दान दिए गए’, और ‘1.05 करोड़ रुपए टैक्स के रूप में आयकर विभाग को अदा किए गए’.

उन्होंने कहा कि 50 लाख की बक़ाया राशि को, एक फील्ड अस्पताल के लिए एक फिक्स्ड डिपॉज़िट में तब्दील कर दिया गया. उन्होंने आगे कहा कि उनके बैंक स्टेटमेंट्स को ‘जान-बूझकर ग़लत पढ़ा गया’.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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