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Friday, 15 November, 2024
होमहेल्थ'ओमीक्रॉन BA.2 वैरिएंट नहीं है बड़ा खतरा,' भारतीय कोविड टास्क फोर्स के को- चेयरमैन राजीव जयदेवन बोले

‘ओमीक्रॉन BA.2 वैरिएंट नहीं है बड़ा खतरा,’ भारतीय कोविड टास्क फोर्स के को- चेयरमैन राजीव जयदेवन बोले

राजीव जयदेवन ने जापान हैमस्टर्स पर हुई रिसर्च के बारे में बताते हुए कहा कि, ओमीक्रॉन बीए.2 फेफड़ों को ज्यादा प्रभावित करता है.

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नई दिल्ली: कोरोना के मामलों में एक बार फिर तेजी से कमी दिखाई दे रही है. वहीं संक्रमण से उबरने वाले मरीजों की संख्या में भी तेज़ी से बढ़ोतरी हो रही है. लेकिन अभी भी कोविड का खतरा दुनिया को डरा रहा है और बार बार विशेषज्ञ कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने की सलाह दे रहे हैं.

कोरोना के नए रूप ओमीक्रॉन BA.2 को लेकर दुनिया में इसके प्रभाव को लेकर हो रही बहस के बीच नेशनल आईएमए कोविड टास्क फोर्स के को-चेयरमैन डॉ. राजीव जयदेवन ने दावा किया है, ‘ओमीक्रॉन BA.2 अपने पिछले वैरिएंट से ज्यादा तेजी से तो फैलता है, लेकिन ये उन लोगों को संक्रमित करने में सक्षम नहीं है, जिन्हें ओमीक्रॉन की लहर के दौरान पहले से ही कोरोना हो चुका है.’

जयदेवन ने ये बात तब कही है जब दुनिया के कुछ वैज्ञानिक इसे डेल्टा से भी ज्यादा घातक, संक्रामक और तेजी से फैलने वाला बता रहे हैं.

कोरोनावायरस टास्क फोर्स के को चेयरमैन ने कहा है, ‘BA.2 ओमीक्रॉन का एक सब-लाइनेज (प्रकार) है. यह कोई नया वायरस या स्ट्रेन नहीं है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘BA.1 की तुलना में अधिक ट्रांसमिसिबल होगा लेकिन इससे मामलों में और अधिक उछाल आने की संभावना नहीं है.

साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि, BA.2  उन लोगों को संक्रमित करने में सक्षम नहीं है, जिन्हें BA.1 ने संक्रमित किया था.

राजीव जयदेवन ने जापान हैमस्टर्स पर हुई रिसर्च के बारे में बताते हुए कहा, ‘ओमीक्रॉन बीए.2 फेफड़ों को ज्यादा प्रभावित करता है.’

आगे उन्होंने हवाई अड्डों पर होने वाली कोरोना जांच के नतीजों की एक रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि, अगर अमेरिका, यूरोप और अफ्रीका से तुलना की जाए तो एशिया में ओमीक्रॉन बीए.2 सबसे ज्यादा फैला हुआ है.

बीए.2 से गंभीर बीमारी की आशंका, अध्ययन में दावा

कोरोनावायरस के ओमीक्रॉन स्वरूप का उप स्वरूप बीए.2 न केवल तेजी से फैलता है बल्कि यह गंभीर बीमारी का कारण भी बनता है. प्रयोगशाला में किए गए अध्ययन में यह बात सामने आई है.

अध्ययन के परिणाम की अभी स्वतंत्र रूप से समीक्षा नहीं की गई है. इसे अभी ‘बायोआरएक्सिव’ पर प्रकाशित किया गया है. इसमें कहा गया है कि बीए.2 कोरोनावायरस के पुराने स्वरूप की तुलना में गंभीर बीमारी का कारक बन सकता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बृहस्पतिवार को कहा कि BA.2, BA.1 की तुलना में अधिक संक्रामक है, लेकिन उप स्वरूप अधिक गंभीर नहीं है. डब्ल्यूएचओ में कोविड-19 टेक्निकल लीड मारिया वान केरखोवा ने एक वीडियो में कहा, ‘सभी उपस्वरूपों में, BA.2 BA.1 की तुलना में अधिक संक्रामक है. हालांकि, गंभीरता के मामले में कोई अंतर नहीं है.’

अपने नये रिसर्च में टोक्यो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में एक जापानी टीम ने पाया कि BA.1, BA.2 के समान ओमीक्रॉन का उप स्वरूप काफी हद तक कोविड-19 रोधी टीकों से तैयार प्रतिरक्षा से बच जाता है. अध्ययन के लेखकों ने कहा, ‘प्रयोगों से पता चला है कि टीके से तैयार प्रतिरक्षा BA.2 की तरह BA.1 के खिलाफ काम करने में नाकाम रहती है.’

ओमीक्रॉन के आरंभिक मामले पहली बार नवंबर 2021 में बोत्सवाना और दक्षिण अफ्रीका से आए थे. इसका BA.1 उप स्वरूप तब से दुनिया भर में तेजी से फैल चुका है और डेल्टा जैसे अन्य स्वरूपों पर हावी हो गया है.

इस साल फरवरी तक, डेनमार्क और ब्रिटेन जैसे कई देशों में ओमीक्रॉन के एक अन्य उप स्वरूप BA.2 वंश का पता लगाया गया. शोधकर्ताओं ने कहा है कि BA.2 ने BA.1 को पीछे छोड़ना शुरू कर दिया है. इससे पता चलता है कि यह मूल ओमीक्रॉन स्वरूप की तुलना में अधिक संक्रामक है.

शोधकर्ताओं ने कहा, ‘बीए.2 को ओमीक्रॉन स्वरूप के रूप में माना जाता है, लेकिन इसका जीनोमिक अनुक्रम बीए.1 से काफी अलग है, जो बताता है कि बीए.2 की विशेषताएं बीए.1 से अलग हैं.’

शोधकर्ताओं ने चूहों पर इसका अध्ययन किया. अध्ययन के दौरान इन जीवों को बीए.2 और बीए.1 से संक्रमित किया गया तो देखा गया कि बीए.2 से संक्रमित जानवर बीमार हो गए और उनके फेफड़े खराब हो गए. उन्होंने कहा कि टिशू के नमूनों में BA.2-संक्रमित चूहों के फेफड़ों को BA.1 से संक्रमितों की तुलना में अधिक नुकसान हुआ.

ठीक होने की राष्ट्रीय दर बढ़कर 98.33 %

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, देश में आज 206 और लोगों की संक्रमण से मौत के बाद मृतक संख्या बढ़कर 5,12,109 हो गई. देश में अभी 2,02,131 लोगों का कोरोनावायरस संक्रमण का इलाज चल रहा है, जो कुल मामलों का 0.47 प्रतिशत है. पिछले 24 घंटे में उपचाराधीन मरीजों की संख्या में 22,056 की कमी दर्ज की गई. मरीजों के ठीक होने की राष्ट्रीय दर बढ़कर 98.33 प्रतिशत हो गई है.


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