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Thursday, 21 November, 2024
होमदेशआध्यात्मिक शक्ति के आदेश पर काम करने वालीं NSE की पूर्व CEO चित्रा रामकृष्ण के घर आयकर विभाग की रेड

आध्यात्मिक शक्ति के आदेश पर काम करने वालीं NSE की पूर्व CEO चित्रा रामकृष्ण के घर आयकर विभाग की रेड

अधिकारियों ने कहा कि इस कार्रवाई का मकसद दोनों लोगों के खिलाफ कर चोरी और वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों की जांच करना तथा साक्ष्य जुटाना है.

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नई दिल्ली, मुंबई: आयकर विभाग ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की पूर्व प्रबंध निदेशक (एमडी) एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) चित्रा रामकृष्ण और समूह परिचालन अधिकारी आनंद सुब्रमण्यम के खिलाफ कर चोरी के मामले में मुंबई स्थित उनके परिसरों पर बृहस्पतिवार को छापे मारे. आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी.

अधिकारियों ने कहा कि इस कार्रवाई का मकसद दोनों लोगों के खिलाफ कर चोरी और वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों की जांच करना तथा साक्ष्य जुटाना है.

आयकर विभाग की मुंबई जांच शाखा ने रामकृष्ण और सुब्रमण्यम के परिसरों पर आज तड़के छापे मारे.

रामकृष्ण उस वक्त सुर्खियों में रही थीं, जब बाजार नियामक सेबी ने हाल में एक आदेश जारी किया था, जिसके मुताबिक एनएसई की पूर्व एमडी एवं सीईओ चित्रा रामकृष्ण ने एक योगी के प्रभाव में आकर आनंद सुब्रमण्यम को एक्सचेंज में समूह परिचालन अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक का सलाहकार नियुक्त किया.

योगी उनके मुताबिक एक आध्यात्मिक शक्ति है जो पिछले कई सालों में उनका मार्ग दर्शन कर रहे हैं. रामकृष्ण के मुताबिक योगी कथित रूप से एक ऐसी शक्ति थी जो अपनी इच्छा के मुताबिक कहीं भी प्रकट हो सकती थी.

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने रामकृष्ण और अन्य पर सुब्रमण्यम की मुख्य रणनीतिक सलाहकार के तौर पर नियुक्ति और फिर समूह परिचालन अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक के सलाहकार के तौर पर उनकी पुन: नियुक्ति में नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया था.

सेबी ने रामकृष्ण पर तीन करोड़ रुपये, एनएसई और उसके पूर्व प्रबंध निदेशक तथा मुख्य कार्यपालक अधिकारी रवि नारायण और सुब्रमण्यम पर दो-दो करोड़ रुपये तथा मुख्य नियामक अधिकारी वी आर नरसिम्हन पर छह लाख रुपये का जुर्माना लगाया था.

सेबी ने अपने आदेश में कहा था कि रामकृष्ण ने योगी के साथ विभागीय खुफिया जानकारियां साझा की थीं, जिनमें एनएसई की आर्थिक और कारोबारी योजनाएं शामिल हैं.

रामकृष्ण अप्रैल 2013 से दिसंबर 2016 के बीच एनएसई की एमडी एवं सीईओ थीं.

रामकृष्ण और सुब्रमण्यम को तीन साल की अवधि के लिए किसी भी बाजार ढांचागत संस्थान या सेबी के साथ पंजीकृत किसी भी मध्यस्थ के साथ जुड़ने से निषिद्ध कर दिया गया हैं. जबकि नारायण के लिये यह पाबंदी दो साल के लिये है.

सेबी ने एनएसई को रामकृष्ण के अतिरिक्त अवकाश के बदले भुगतान किये गये 1.54 करोड़ रुपये और 2.83 करोड़ रुपये के बोनस (डेफर्ड बोनस) को जब्त करने का भी निर्देश दिया था.

इसके साथ ही नियामक ने एनएसई को कोई भी नया उत्पाद पेश करने से छह महीने के लिये रोक दिया है.

इस खुलासे के बाद कांग्रेस ने सरकार से एनएसई के कामकाज के तरीके पर श्वेत पत्र लाने की मांग की.


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