नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर दिल्ली हाई कोर्ट का एक वाकया जमकर वायरल हो रहा है. जिसमें जज रेखा पल्ली एक सुनवाई के दौरान वकील से नाराज हो गईं. दरअसल एक सुनवाई के दौरान वकील बार-बार उन्हें सर कहकर संबोधित कर रहा था जो उन्हें पसंद नहीं आया.
सुनवाई के समय जब वकील ने उन्हें सर कहकर संबोधित किया तो जज रेखा पल्ली ने कहा कि मैं उम्मीद करती हूं कि आप समझ रहे हैं कि मैं सर नहीं हूं. इसके बाद वकील ने माफी मांगी और जज से कहा, जिस कुर्सी पर आप बैठी हैं उसी के कारण मैंने सर कहकर संबोधित किया.
यह सुनने के बाद जस्टिस रेख पल्ली ने जवाब दिया कि यह तो और भी खराब बात है कि इस दौर में भी आप समझते हैं कि यह कुर्सी सर के लिए है. अगर युवा ही इस अंतर को खत्म नहीं करेंगे तो भविष्य से हमारे लिए क्या उम्मीद बचेगी.
सोशल मीडिया पर रिएक्शन
सोशल मीडिया पर भी लोग इस बारे में बात कर रहे हैं. ट्विटर पर एक फराह नाज नाम की यूजर ने इस वाकये पर लिखा, ‘हमें बहुत सारी चीजें अनलर्न करनी होंगी. अच्छा है कि उन्होंने इस बात को बाहर निकाला.’
We have to unlearn so many things. Glad she called it out. https://t.co/fdmJZuOyEe
— Farah Naaz (@KhushiShinne) February 16, 2022
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एक अन्य यूजर ने लिखा, ‘जस्टिस रेखा पल्ली ने इसे शालीनता से संभाला साथ ही मुझे उम्मीद है कि उस वकील जैसे लोग उच्च पदों पर महिलाओं को ‘सर’ के रूप में संबोधित करना बंद कर देंगे.’
Justice Rekha Palli handled this with grace. Also I hope people like that advocate stop addressing women in higher positions as 'sirs'. https://t.co/MJKR1xZJsR
— Senti-Tanya. Sasusaku is famous.She/her (@pillai_tanya) February 16, 2022
अनिल नाम के एक यूजर ने लिखा, इस तरह न्यायपालिका में पितृसत्ता कायम है! ♂️??️??️??️???
That’s how patriarchy is perpetuated in judiciary! ?????♂️??♂️??♂️??? https://t.co/h8cV71TWmp
— Anil365KA (@anildirects) February 16, 2022
देश में महिला न्यायधीशों की कमी
अदालतों में महिला न्यायधीशों की नियुक्ति हमेशा से ही एक चिंता का विषय रहा है. साल 2021 में महिला वकीलों के एक संगठन ने एक जनहित याचिका दायर की थी जिसमें अदालतों में ज्यादा महिला न्यायधीशों को नियुक्त करने की मांग उठाई थी.
याचिका में कहा गया थै कि उत्तराखंड, पटना, त्रिपुरा, मेघालय, मणिपुर में एक भी महिला जज नहीं है. इसके अलावा गोवाहटी, हिमाचल, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, झारखंड, ओडिशा, राजस्थान और सिक्किम में केवल एक महिला न्यायाधीश है.
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