नई दिल्ली: एक महीने से ऊपर हो गया है जब भारत में सरकारी गाइलाइन्स के अनुरूप, हेल्थकेयर वर्कर्स, फ्रंटलाइन वर्कर्स और वरिष्ठ नागरिकों को कोविड-19 की ‘एहतियाती खुराकें’- एक तीसरा डोज़ जिसे दूसरे देशों में बूस्टर डोज़ कहा जाता है- दी जानी शुरू हुईं थीं.
10 जनवरी को अभियान की शुरुआत से लेकर सोमवार तक कुल 1,73,29,125 ख़ुराकें दी गईं, जिनमें 80 लाख से अधिक वरिष्ठ नागरिक शामिल थे. डोज़ लेने के लिए सरकार के विभिन्न स्तरों से, कई मरतबा सार्वजनिक रूप से अपीलें की गईं, लेकिन प्रधानमंत्री और उनके कैबिनेट सहयोगियों ने, जिनमें से बहुत से 60 वर्ष से अधिक के हैं, कम से कम सार्वजनिक रूप से अपने एहतियाती डोज़ नहीं लिए हैं.
मोदी ने स्वदेशी कोवैक्सीन का पहला डोज़ 1 मार्च 2021 को लिया था, और दूसरा डोज़ उसी साल 8 अप्रैल को लिया. इसका मतलब है कि उन्होंने दूसरे डोज़ के बाद से, 9 महीने का अनिवार्य अंतराल 8 जनवरी को पूरा कर लिया. इसके बाद भी अभी तक मोदी के एहतियाती डोज़ लेनी की कोई ख़बर नहीं आई है, जिसके लिए 60 वर्ष से अधिक उम्र के सभी भारतीय नागरिक पात्र हैं.
हालांकि, क्रिसमस पर पीएम की मूल घोषणा ये थी कि बूस्टर डोज़ उन वरिष्ठ नागरिकों को दिए जाएंगे, जिन्हें दूसरी बीमारियां भी हैं, लेकिन उसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट किया है, कि जिन वरिष्ठ नागरिकों ने दूसरी ख़ुराक के बाद नौ महीने का अंतराल पूरा कर लिया है, उन्हें कोई नुस्ख़ा दिखाने की ज़रूरत नहीं है.
दिप्रिंट ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) और प्रधानमंत्री कार्यालय से, ईमेल के ज़रिए ताज़ा जानकारी मांगी है, कि पीएम मोदी ने बूस्टर डोज़ लिया था कि नहीं केंद्र सरकार के कितने पात्र मंत्रियों ने अभी तक वो लिया है, और, क्या देश के सभी वयस्कों के लिए बूस्टर डोज़ खोल दिए जाएंगे. प्रतिक्रिया मिलने पर इस ख़बर को अपडेट कर दिया जाएगा.
इस बीच, एक वरिष्ठ अधिकारी ने न छिपाने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि ‘पीएम को अभी अपना बूस्टर डोज़ लेना है’. अधिकारी ने आगे कहा, ‘वो कहते हैं कि वो स्वस्थ्य हैं और उन्हें इसकी ज़रूरत नहीं है. मैं दूसरों के बारे में बात नहीं कर सकता (कि उन्होंने ख़ुराक ली है कि नहीं)’.
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‘सभी के लिए तीसरा डोज़’ शुरू करने की योजना नहीं
केंद्र सरकार के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया है कि अभी तक इस बारे में कोई फैसला नहीं लिया गया है कि क्या बूस्टर डोज़ उन सभी वयस्कों को दिए जाएंगे, जिन्होंने वैक्सीन का दूसरा डोज़ लेने के बाद 9 महीने पूरे कर लिए हैं. ये तब है जबकि वैक्सीन की उपलब्धता, अब एक सीमित करने वाला कारक नहीं है. पीआईबी से सोमवार सुबह मिली ताज़ा स्थिति के अनुसार, इस समय राज्यों के पास वैक्सीन की 12.25 करोड़ से अधिक ख़ुराकें उपलब्ध हैं.
पिछले सप्ताह कोविड ब्रीफिंग में सभी वयस्कों के लिए बूस्टर ख़ुराकों को लेकर, दिप्रिंट के सवालों का जवाब देते हुए, नीति आयोग सदस्य डॉ वीके पॉल ने कहा कि इन फैसलों का ‘पहला और महत्वपूर्ण आधार वैज्ञानिक आवश्यकता होती है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘कार्यक्रम संबंधी और महामारी विज्ञान संबंधी बातों का भी ध्यान रखा जाता है. हमें इस सफर पर आगे बढ़ते रहना है. ये फैसले सभी बातों को ध्यान में रखकर लिए जाते हैं. सिर्फ इसलिए कि कोई और ऐसा कर रहा है. उनका संदर्भ अलग है, हमारा संदर्भ अलग है. इस सबकी निरंतर वैज्ञानिक जांच होती है और निर्णय लिए जाते हैं’.
15 से कम के बच्चों के लिए वैक्सीन
15 साल से कम के बच्चों के लिए टीकाकरण खोलने के बारे में पूछे जाने पर पॉल ने कहा कि फिलहाल सरकार का ज़ोर 15-18 आयु वर्ग पात्र लोगों के लिए बूस्टर डोज़ और ‘वयस्कों के अधूरे एजेंडे’ पर है.
स्वास्थ्य मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि उनकी प्राथमिकता पात्र समूहों के टीकाकरण को निपटाना है, ना कि अपने जाल को और फैलाना, चूंकि उससे कवरेज में अंतराल पैदा हो सकते हैं. उन्होंने आगे कहा कि अभी वैक्सीन की बिक्री को, खुदरा बाज़ार के लिए खोलने की कोई योजना नहीं है.
पिछले बृहस्पतिवार, स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने ज़ोर देकर कहा था, कि कोवैक्सीन और कोविशील्ड को बाज़ार की पूरी मंज़ूरी, कोविन पोर्टल के ज़रिए ‘कार्यक्रम संबंधी मोड में’ इनके इस्तेमाल पर निर्भर करती है.
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