नई दिल्ली: राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) ने जर्मन अधिकारियों से संपर्क करके उन्हें भारत में आतंकवादी के सहयोगियों और सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) के सदस्य जसविंदर सिंह मुल्तानी को पकड़ने में मदद मांगी है. दिप्रिंट को इस बात का पता चला है कि वह फोन कॉल के जरिए यहां पर आतंकियों के संपर्क में है. मुल्तानी इस समय जर्मनी में है और वहां की पुलिस ने उसे भारतीय एजेंसियों के आग्रह पर दिसंबर में पकड़ा था.
सूत्रों का कहना है कि सुरक्षा एजेंसियों ने दिसंबर महीने में कई फोन कॉल पकड़े जिसमें मुल्तानी कथित तौर पर मुंबई और दिल्ली में अपने सहयोगियों से सीमा पार से हथियार मंगवाने की चर्चा कर रहा है, ताकि भारत पर हमला किया जा सके. उसके बाद से ही मुल्तानी एजेंसियों के नजर में पहली बार आया. इसके बाद, जर्मन अधिकारियों को सावधान कर दिया गया.
मुल्तानी पंजाब के होशियारपुर जिले के मंसूरपुर गांव का रहने वाला है. दिसंबर के पहले उसका नाम एनआईए की किसी आतंकवाद संबंधी जांच में नहीं आया था.
सूत्रों ने बताया कि ‘दिसंबर के आखिरी हफ्ते में कुछ फोन कॉल में मुल्तानी को भारत में अपने सहयोगियों से बातचीत करते पाया गया. उसकी पंजाब के सहयोगियों के साथ मिलकर मुंबई और भारत के दूसरे हिस्सों में आतंकी हमले करने की योजना थी. हथियारों को लाने और ले जाने की व्यवस्था की चर्चा इन फोन कॉल में की गई थी. गृह मंत्रालय के निर्देशों पर इस मामले में औपचारिक केस दर्ज कर लिया गया है और जांच शुरू है.’
सूत्रों ने यह भी कहा कि ‘जांच के इसी क्रम में हमने जर्मन अधिकारियों से मदद मांगी है कि वे पता करें कि मुल्तानी फोन पर किन लोगों के संपर्क में था और भारत में अपने विभिन्न स्रोतों से बातचीत कर रहा था. ऐसा होने के बाद हम भारत में रह रहे उसके सहयोगियों को पकड़ने में कामयाब हो पाएंगे.’
जब सूत्र से यह पूछने की कोशिश की गई कि क्या जर्मनी की पुलिस मुल्तानी के कॉल की रिकॉर्डिंग भारत के साथ साझा करने को तैयार है, तो उन्होंने इस पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया.
सूत्र ने कहा, ‘हमने उनकी मदद मांगी है और उन्होंने हमसे वादा किया है कि वे हमारा पूरा सहयोग करेंगे.’ सूत्रों ने यह भी संकेत दिया कि वे जल्द ही जांच के लिए जर्मनी में टीम भेजने वाले हैं.
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‘उसने चुप्पी साध रखी है’
सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों के हवाले से कहा गया कि जर्मनी पुलिस के हत्थे चढ़ने के बाद उसने कोई महत्वपूर्ण जानकारी नहीं दी है. अधिकारियों ने उसे भारतीय एजेंसियों के अनुरोध पर पिछले 28 दिसंबर को पकड़ा था. हालांकि, बाद में उसे छोड़ दिया गया था.
सूत्रों ने कहा, ‘वह अधिकारियों को सहयोग नहीं दे रहा और जर्मनी में चुप रहने के अधिकार का इस्तेमाल कर रहा है. वह कोई ब्यौरा नहीं दे रहा है. उसने पकड़े जाने पर, अपने सहयोगियों और किए गए फोन कॉल को लेकर पूरी तरह से चुप्पी साध रखी है.’
सूत्रों ने कहा कि एक बार जैसे ही भारत में रह रहे उसके सहयोगियों के संबंध में ब्यौरा मिल जाता है, जो हथियारों की खेप भारत लाने की कोशिश कर रहे हैं और उन्हें पैसे कहां से मिल रहे हैं, तो हम इस रैकेट का पर्दाफाश करने में सफल हो जाएंगे. मामले की जांच चालू है.’
सूत्रों ने यह भी बताया कि ‘मुल्तानी आईएसआई के जिबरान के संपर्क में होने के साथ ही, पाकिस्तान के स्मगलिंग नेटवर्क में शामिल हिस्ट्रीशीटरों राना तासीम, इमरान और दूसरे लोगों से भी संबंध बना रखा है. ये सभी स्मगलिंग और आतंकी मामलों में वांछित हैं.’
एनआईए ने 31 दिसंबर को मुल्तानी के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया था जिसमें कहा गया है कि अभियुक्त कथित रूप से मुंबई और भारत के दूसरे हिस्सों में हमले करने की योजना बना रहा था. इसके साथ ही, वह पाकिस्तान के आईएसआई के सहयोग से पंजाब में फिर से आतंकी गतिविधियां शुरू करने की फिराक में था. इसमें उसका सहयोग, दिल्ली, मुंबई और पंजाब में बैठे सहयोगी कर रहे थे. दिप्रिंट के पास इस एफआईआर की कॉपी है.
फिलहाल, मुल्तानी ने किसी भी आतंकी षड्यंत्र में शामिल होने की बात को खारिज कर दिया है. एसएफजे के जनरल काउंसिल गुरूपतवंत सिंह पन्नुन की ओर से पिछले महीने सोशल मीडिया पर जारी किए गए एक वीडियो में मुल्तानी ने दावा किया था कि उसकी लड़ाई ‘कलम’ के इस्तेमाल से लड़ी जाएगी है ‘हथियारों’ से नहीं. उसने यह आरोप लगाया था कि भारतीय अधिकारी उसे और एसएफजे को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं.
दिप्रिंट को पुलिस से मिले रिकॉर्ड के मुताबिक मुल्तानी के ऊपर साल 2021 में पंजाब में तीन मामले दर्ज किए गए हैं. इनमें पहला इनमें पहला अमृतसर, में दूसरा मोहाली में और तीसरा मामला तरन तारन में दर्ज है.
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