नई दिल्लीः कहते हैं कि अगर इच्छा शक्ति हो तो क्या नहीं किया जा सकता. ऐसी ही कहानी है समस्तीपुर के मोहउद्दीन प्रखण्ड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय सिवैसिंहपुर के हेडमास्टर मेघन साहनी की, जिन्होंने बच्चों के पढ़ने के लिए अपनी लागत से लाइब्रेरी का निर्माण करवाया. खास बात यह है कि बच्चों के आकर्षित करने के लिए इस लाइब्रेरी को हवाई जहाज़ की शक्ल दी गई है. अब यह लाइब्रेरी गांव और आस-पास के एरिया में चर्चा का विषय बनी हुई है.
2 लाख रुपये की लागत से बना
दिप्रिंट ने इस बारे में मेघन साहनी से बात की तो उन्होंने बताया कि इसे बनवाने में लगभग 2 लाख रुपये की लागत आई. मेघन बताते हैं कि पूरे गांव में ये आकर्षण का केंद्र बना हुआ है और बच्चे इसे देखने के लिए आते हैं. चूंकि अभी कोरोना काल में स्कूलों को बंद रखा गया है इसलिए अभी इसे बच्चों के लिए खोला नहीं गया है. उन्होंने ये भी कहा कि बच्चे इसे लेकर इतने उत्साहित हैं कि लाइब्रेरी के दरवाजे को बंद रखना पड़ता है नहीं तो वे इसमें घुस जाएंगे.
मेघन ने दिप्रिंट को बताया कि इस विद्यालय में उनका ट्रांसफर करीब चार साल पहले हुआ था तब से वे इसे बनवाने के बारे में सोच रहे थे. हालांकि, इसका कॉन्सेप्ट उनके दिमाग में पहले ही आ चुका था जहां वो इसके पहले आदर्श विद्यालय, नंदिनी गांव में पोस्टेड थे. उन्होंने बताया कि वहां तीन अन्य अपने शिक्षक मित्रों के साथ मिलकर उन्होंने इस पर काम करना शुरू किया था, लेकिन फिर उनका ट्रांसफर हो गया.
बनाने में लगे करीब 3 महीने
मेघन ने बताया इसे बनाने में उन्हें करीब तीन महीने का समय लगा. उनके मुताबिक अक्टूबर 2021 में इस पर काम शुरू किया गया था और जनवरी में बनकर यह तैयार हो गया. पूरी तरह कंक्रीट से बना यह स्ट्रक्चर काफी मजबूत है और खास बात है कि इसे बनाने के लिए बाहर से कोई कारीगर नहीं बुलाया गया बल्कि गांव के राज मिस्त्री ने इसे बनाया है. उन्होंने कहा कि पहले गांव के कुछ लोगों ने सलाह दी कि हवाई जहाज़ के छत को टिन या कार्ड बोर्ड से बनाया जा सकता है लेकिन बाद में इसे कंक्रीट से बनवाने का फैसला किया गया. क्योंकि कार्ड या टिन का स्ट्रक्चर ज्यादा टिकाऊ नहीं होता.
सरकार की तरफ से नहीं मिली है सहायता
हालांकि, मेघन बताते हैं कि उन्हें शासन या प्रशासन से इसके लिए किसी भी तरह की सरकारी सहायता नहीं मिली है. वे बताते हैं कि आगे भी जहां जाएंगे वहां पर इस मुहिम को जारी रखेंगे. हालांकि, इस बार वह जन-भागीदारी से इसे बनाने की कोशिश करेंगे क्योंकि खुद की लागत से ऐसा बार-बार कर पाना संभव नहीं होगा. इस बारे में हमने जानकारी के लिए डीएम समस्तीपुर को फोन से संपर्क किया लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका. उनसे इस संदर्भ में मैसेज भी भेजा गया है. अगर उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया मिलती है तो स्टोरी को अपडेट किया जाएगा.
किताबों के लिए लोग कर रहे योगदान
मेघन बताते हैं कि अभी लाइब्रेरी के लिए किताबों की व्यवस्था नहीं हो पाई है. लेकिन, उनका कहना है कि कुछ लोगों ने खुद से आगे आकर किताबें भेजने के लिए संपर्क किया है ताकि बच्चों को अच्छी किताबें पढ़ने को मिलें.
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