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Tuesday, 24 December, 2024
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दिल्ली की अदालत ने ईडी की जांच में ‘ढुलमुल और लापरवाह’ रवैये पर नाराजगी जतायी

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नयी दिल्ली, 21 जनवरी (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने धनशोधन के एक मामले की जांच में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा ‘‘ढुलमुल और लापरवाह’’ रवैया अपनाने पर ‘‘नाराजगी’’ जतायी।

विशेष न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने यह टिप्पणी व्यापारी जतिंदर पाल सिंह को एक भ्रष्ट सौदे से संबंधित धनशोधन के एक मामले में जमानत देते हुए की, क्योंकि अदालत ने की गई जांच और अदालत के समक्ष दी गई दलीलों में कई विसंगतियां पायीं।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘गुणदोष के मुद्दे से निपटने के लिए आगे बढ़ने से पहले, मुझे शुरुआत में ही यह स्वीकार करना चाहिए कि इस वर्तमान मामले में ईडी का आचरण बचाव पक्ष के कथन के अनुसार निंदनीय नहीं तो बेहद निराशाजनक जरूर है।’’

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘अर्जीकर्ता या आरोपी की निरंतर हिरासत सुनिश्चित करने के अपने उत्साह में, ईडी ने अवांछित चीजों से छुटकारा पाने के प्रयास में अच्छी चीजें भी गंवा दीं।’’

ईडी के अनुसार, सिंह ने एस्टोनिशिंग प्राइवेट लिमिटेड से 6.60 करोड़ रुपये का कपड़ा खरीदा और इसे संजय कुमार के स्वामित्व वाले श्री श्याम धानी ट्रेडिंग कंपनी को 12.23 करोड़ रुपये में बेच दिया।

ईडी ने दावा किया कि एस्टोनिशिंग प्राइवेट लिमिटेड और श्री श्याम धानी ट्रेडिंग कंपनी, दोनों ही नकली कंपनियां हैं और उनका पता नहीं लगाया जा सकता।

न्यायाधीश ने 17 जनवरी को पारित आदेश में कहा, ‘‘मेरी राय में, आरोपी पर जिन गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है वह सिर्फ सतही हैं और ऐसा लगता है कि वह इसमें अदना सा व्यक्ति है।’’

उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में, जांच वास्तव में कपड़े खरीदने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ‘‘पैसे के स्रोत’’ पर होनी चाहिए, ताकि महत्वपूर्ण मुद्दे का फैसला किया जा सके कि पैसा दागी स्रोत से आया है या नहीं।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हालांकि, दुर्भाग्य से, पैसे के स्रोत पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय वर्तमान मामले में आरोपी जांच का केंद्र है।’’

उन्होंने कहा कि धन के स्रोत का पता लगाने और अदालत को यह बताने में विफल रहने पर कि यह एक दागी स्रोत से आया है या नहीं, ईडी ने जिरह के दौरान अपने मामले में सुधार किया और एक पूरी तरह से अलग दलील के साथ आया कि ‘‘आरोपी द्वारा श्री श्याम धानी ट्रेडिंग कंपनी को बेचे गए कपड़े के कारण उत्पन्न कमीशन वास्तव में इस मामले में अपराध से अर्जित आय थी।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हालांकि, अगर उक्त दलील को सही माना जाता है और इस मामले में अपराध से अर्जित आय को कमीशन के रूप में स्वीकार किया जाता है, तो मामले में आरोपी की गिरफ्तारी पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं।’’

न्यायाधीश ने कहा कि आरोपी जमानत के योग्य है। अधिवक्ता जोहेब हुसैन ईडी की ओर से पेश हुए।

अदालत ने अपने आदेश में ईडी की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि जांच प्रारंभिक चरण में थी। अदालत ने कहा कि एजेंसी ने उचित प्रारंभिक जांच किए बिना आरोपी को गिरफ्तार करने का चुनाव किया।

भाषा अमित नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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