नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने उन्नाव बलात्कार पीड़िता से जुड़े 2019 के दुर्घटना कांड में पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर एवं पांच अन्य को यह कहते हुए आरोप मुक्त कर दिया कि प्रथमदृष्टया उनके विरूद्ध आरोप नहीं बनते हैं.
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट रवींद्र कुमार पांडे ने आरोपियों –सेंगर, कोमल सिंह, अरूण सिंह, ज्ञानेंद्र सिंह, रिंकू सिंह और अवधेश सिंह को बरी कर दिया और कहा कि उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया सबूत नहीं हैं.
हालांकि अदालत ने यह कहते हुए अन्य चार आरोपियों– आशीष कुमार पाल, विनोद मिश्रा , हरिपाल सिंह और नवीन सिंह के विरूद्ध आरोप निर्धारित करने का आदेश दिया कि उनके विरूद्ध पर्याप्त साक्ष्य हैं.
अदालत ने सोमवार को अपने आदेश में कहा कि आरोपपत्र में इस बात का कोई रिकार्ड या सबूत नहीं है कि सुनवाई पर डाले गये आरोपियों और आरोपी सेंगर ने मिलकर साजिश रची थी.
अदालत ने कहा, ‘आरोपी आशीष कुमार पाल भादंसं की धाराओं 304 -ए (लापरवाही से किसी की मौत के मुंह में डाल देना), 338 (किसी की जान या निजी सुरक्षा में खतरे में डालकर जख्म पहुंचाना), 279 (लापरवाही से वाहन चलाना) के तहत अपराधों के लिए तथा आरोपियों- विनोद मिश्रा, हरिपाल सिंह एवं नवीन सिंह को अलग से भादसं की धाराओं 506 (..) (मौत की धमकी) तथा 34 (साझा मकसद) के तहत आरोपित करने का निर्देश दिया जाता है.’
अभियोजन के अनुसार जुलाई, 2019 में एक ट्रक ने एक वाहन को टक्कर मार दी थी जिससे उन्नाव बलात्कार पीड़िता अपने चाचा एवं वकील के साथ रायबरेली जा रही थी.
इस दुर्घटना में पीड़िता के चाचा की मौत हो गयी जबकि बलात्कार पीड़िता एवं उसके वकील बुरी तरह घायल हो गये.
अदालती आदेश में कहा गया है जब यह कथित धमकी पीड़िता या उसके परिवार के सदस्यों को दी गयी तब सेंगर न्यायिक हिरासत में जेल में था. अभियोजन के अनुसार उसने पीड़िता या उसके परिवार के सदस्यों को धमकी देने के लिए अन्य आरोपियों के साथ साजिश रची, उसने खुद धमकी नहीं दी.
उच्चतम न्यायालय ने एक अगस्त, 2019 को इस मामले की सुनवाई उत्तर प्रदेश से दिल्ली स्थानांतरित कर दी थी.
इसके अलावा, 20 दिसंबर, 2019 को सेंगर को 2017 में इस नाबालिग से बलात्कार करने के अलग मामले में ‘उसके जीवन की शेष अवधि ’ के लिए जेल की सजा सुनायी गयी थी.
सेंगर, उसके भाई एवं पांच अन्य को चार मार्च, 2020 को बलात्कार पीड़िता के पिता की न्यायिक हिरासत में मौत के मामले में भी दोषी ठहराया गया था और उन्हें दस साल की कैद की सजा सुनायी गयी थी.
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