scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होमदेशएल्गार परिषद मामले में NIA की दलील- वरवरा राव को जेल जाना ही चाहिए, अन्य बुजुर्ग भी तो जेल में हैं

एल्गार परिषद मामले में NIA की दलील- वरवरा राव को जेल जाना ही चाहिए, अन्य बुजुर्ग भी तो जेल में हैं

राव को इस साल फरवरी में उच्च न्यायालय से छह महीने के लिए अस्थायी चिकित्सा जमानत मिली थी और उन्हें पांच सितंबर को आत्मसमर्पण करना था. लेकिन उन्होंने यह कहते हुए ऐसी जमानत की अवधि बढ़ाने का अनुरोध किया कि वह अब भी कई बीमारियों के गिरफ्त में हैं.

Text Size:

मुम्बई: राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने सोमवार को बंबई उच्च न्यायालय से एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले से जुड़े आरोपी कवि-सामाजिक कार्यकर्ता वरवरा राव को तलोजा जेल के अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने का निर्देश देने की अपील की. एनआईए ने कहा कि चिकित्सा की जरूरत वाले ‘अन्य बुजुर्ग ’ भी जेलों में हैं.

न्यायमूर्ति नितिन जामदार और न्यायमूर्ति एस वी कोतवाल की पीठ द्वारा राव (83) के लिए आत्मसमर्पण की समय सीमा सात जनवरी, 2022 तक बढ़ाये जाने के बाद एनआईए ने यह अपील की.

राव को इस साल फरवरी में उच्च न्यायालय से छह महीने के लिए अस्थायी चिकित्सा जमानत मिली थी और उन्हें पांच सितंबर को आत्मसमर्पण करना था. लेकिन उन्होंने यह कहते हुए ऐसी जमानत की अवधि बढ़ाने का अनुरोध किया कि वह अब भी कई बीमारियों के गिरफ्त में हैं. उच्च न्यायालय और उपचार कराने जैसे कारणों से कई बार उनकी जमानत बढ़ा चुका है.

सोमवार को राव की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर ने मुंबई के नानावती अस्पताल द्वारा जमा की गयी उनकी मेडिकल परीक्षण रिपोर्ट पर जवाब के वास्ते हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा. एनआई ने आत्मसमर्पण के वास्ते समय में और किसी भी वृद्धि का विरोध किया.

एनआईए की ओर से अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल अनिल सिंह ने उच्च न्यायालय से कहा कि 17 दिसंबर को निजी नानावती अस्पताल के डॉक्टरों के एक पैनल ने एक पन्ने का अपना दस्तावेज सौंपकर कहा था कि राव की पूरी तरह जांच कर ली गयी है और उनके सभी जैवमापदंड स्थिर हैं, ऐसे में उन्हें निरंतर उपचार या अस्पताल में रखने की जरूरत नहीं है.

सिंह ने कहा, ‘हम नानावती अस्पताल की राय को परखने या उसका विश्लेषण करने के लिए विशेषज्ञ तो हैं नहीं. एक बार उसने कह दिया कि राव अस्पताल से छुट्टी के लायक हैं तो (चिकित्सा जमानत में) विस्तार का प्रश्न ही कहां है.’

उन्होंने कहा, ‘जेल में अन्य बुजुर्ग लोग भी हैं जिन्हें उपचार की आवश्यकता है. जब जरूरत होती है, तब उनका उपचार किया जाता है. उन्हें (राव को) आत्मसमर्पण करने दीजिए. उनकी उम्र चिकित्सा जमानत में विस्तार का आधार नहीं हो सकता.’

इस पर ग्रोवर ने पीठ से कहा कि एनआईए ने राव की चिकित्सा दशा पर नानावती अस्पताल की राय एवं उनकी चिकित्सा रिपोर्ट सौंपी है लेकिन उन्हें अदालत को यह सूचित करने के लिए हलफनामा दाखिल करने की अनुमति दी जाए कि राव जेल में वापस भेजे जाने की स्थिति में हैं या नहीं.

उन्होंने कहा कि इस साल फरवरी में न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति मनीष पिताले की पीठ ने नानावती अस्पताल की ऐसी राय के बावजूद राव को मेडिकल जमानत दी थी. उन्होंने कहा कि इस पिछली पीठ ने यह कहते हुए जमानत दी थी कि राव की दशा न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के लायक नहीं है.

इस पर जब न्यायमूर्ति जामदार आर न्यायमूर्ति कोतवाल की पीठ ने सवाल किया कि एनआईए को पिछली पीठ की टिप्पणी पर क्या कहना है. तब अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल ने दोहराया कि राव को आत्मसमर्पण के लिए ही कहा जाए तथा अदालत राव के न्यायिक हिरासत में रहने के दौरान भी उनकी चिकित्सा जमानत बढ़ाने से जुड़े आवेदन पर निर्णय लेने की सुनवाई जारी रख सकती है.

उच्च न्यायालय ने कहा कि एनआईए कहती है कि अस्पताल की प्राथमिक रिपेार्ट का विश्लेषण करने की जरूरत नहीं है तथा उसे विशेषज्ञ की राय के रूप में स्वीकार कर लिया जाना चाहिए.

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, ‘लेकिन (न्यायमूर्ति शिंदे और न्यायमूर्ति पिताले की) पिछली पीठ ने विस्तृत स्थिति पर विचार किया था और नानावती अस्पताल के इस कथन के बाद भी कि राव की स्थिति सुधर गयी है और वह अस्पताल से छुट्टी के लिए फिट हैं, रिपोर्ट का विश्लेषण किया. पिछली पीठ द्वारा अपनाये गये तरीके संबंधी ग्रोवर का अनुरोध उचित है.’

उच्च न्यायालय ने ग्रोवर को 28 दिसंबर तक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले की अगली सुनवाई चार जनवरी, 2022 तक के लिए तय की.

लेकिन सिंह ने दलील दी कि यदि राव के लिए जमानत विस्तार की यह प्रक्रिया जारी रही तो ‘उन्हें कभी आत्मसमर्पण करना ही नहीं पड़ेगा.’ इस पर पीठ ने कहा कि वह बस पिछली पीठ के आदेश के हिसाब से आगे बढ़ रही है.

एल्गार परिषद मामला पुणे में 31 दिसंबर, 2017 को एक सम्मेलन में भड़काऊ भाषण से जुड़ा है . पुलिस का दावा है कि इस कार्यक्रम के बाद अगले दिन कोरेगांव भीमा युद्ध स्मारक के आसपास हिंसा भड़क गयी थी.


यह भी पढ़ेंः वरवरा राव, शरजील कोविड के कुछ अलग थलग मामले नहीं हैं, जेलें बन रहीं हैं नई हॉटस्पॉट्स


 

share & View comments