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Friday, 15 November, 2024
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कट-ऑफ सिस्टम को बाय-बाय, दिल्ली यूनिवर्सिटी में अब प्रवेश परीक्षा के जरिए होंगे दाखिले

इस साल की शुरुआत में दिल्ली विश्वविद्यालय के सात कॉलेजों में 11 क्रोसेज़ की कट-ऑफ 100 प्रतिशत तक पहुंच गई थी, और अब कट-ऑफ को खत्म करने का यह फैसला लिया गया है.

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नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय में अगले साल से दाखिला लेने वाले छात्र/ छात्राओं को हाई कट-ऑफ के कारण अपने ‘सपनों का कॉलेज’ नहीं छोड़ना पड़ेगा. अब वे प्रवेश परीक्षा के जरिए दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला पा सकेंगे.

डीयू की कार्यकारी समिति (ईसी)- एक वैधानिक निर्णय लेने वाली संस्था है, जो नीतियों और उपायों को लागू कराने में मदद करती है. ईसी ने शुक्रवार को प्रवेश परीक्षा के जरिए दाखिले आयोजित करने के निर्णय को मंजूरी दे दी. इसका मतलब है कि केंद्रीय विश्वविद्यालय शैक्षणिक वर्ष 2022 से कट-ऑफ की व्यवस्था को खत्म कर देगा.

इस साल की शुरुआत में दिल्ली विश्वविद्यालय के सात कॉलेजों में 11 कोर्सेज की कट-ऑफ 100 प्रतिशत तक पहुंच गई थी, जिसकी छात्रों ने आलोचना की थी और अब कट-ऑफ को खत्म करने का यह फैसला लिया गया है.

नवंबर में, डीयू द्वारा नौ सदस्यीय पैनल का गठन किया गया था, जिसे अंडरग्रेजुएशन कोर्सेज में दाखिले के लिए ‘वैकल्पिक रणनीति’ को लेकर सुझाव देने का काम सौंपा गया था.

दिल्ली यूनिवर्सिटी के वाइस-चांसलर योगेश सिंह द्वारा बनाए गए पैनल ने दाखिले को लेकर तीन विकल्पों का सुझाव दिया था- अगले साल से प्रवेश परीक्षा के जरिए दाखिले हों, 50 प्रतिशत नंबर 12वीं के और 50 प्रतिशत प्रवेश परीक्षा के जरिए या फिर जो कट-ऑफ व्यवस्था बनी हुई है उसे वैसे ही रखा जाए.

आखिर में प्रवेश परीक्षा आयोजित करने के विकल्प को मंजूरी दे दी गई.

डीयू अपनी खुद की प्रवेश परीक्षा तैयार करेगा या केंद्र सरकार के सेंट्रल यूनिवर्सिटी कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सीयूसीईटी) को अपनाएगा, इस पर काम किया जाना अभी बाकी है.

डीयू के रजिस्ट्रार विकास गुप्ता ने दिप्रिंट को बताया, ‘अभी तक, अगले साल से प्रवेश परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लिया गया है. ये परीक्षा कैसे आयोजित की जाएगी और यह कौन सी परीक्षा होगी, इस पर काम किया जा रहा है.’

दिप्रिंट को दिए एक इंटरव्यू में वीसी योगेश सिंह ने कहा था कि प्रवेश परीक्षा में बदलाव से सभी राज्यों के छात्रों को डीयू में प्रवेश का उचित मौका मिलेगा.

उन्होंने आगे कहा था कि जिन राज्यों के बोर्ड ग्रेडिंग को लेकर कम उदार हैं, वहां के छात्र हाई कट-ऑफ के कारण दाखिले के अवसर से चूक जाते हैं.

10 दिसंबर को, विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद- जो कि सर्वोच्च शैक्षणिक संस्था होती है- जो शिक्षा, शिक्षा और परीक्षा के मानकों के रख-रखाव के लिए जिम्मेदार है- ने प्रवेश परीक्षा आयोजित करने के निर्णय को मंजूरी दी थी. हालांकि, परिषद के 16 सदस्यों ने फैसले के खिलाफ मतदान किया था.


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बन गई नई टीम और एड-हॉक कर्मचारियों के लिए मैटरनिटी लीव

खबरों के मुताबिक, काउंसिल की बैठक से एक दिन पहले इस्तीफे का सिलसिला शुरू हो गया था. प्रो-वाइस चांसलर पी.सी. जोशी, साउथ कैंपस की निदेशक सुमन कुंडू, प्रॉक्टर नीता सहगल और छात्र कल्याण के डीन राजीव गुप्ता ने गुरुवार को अपना इस्तीफा सौंप दिया.

शुक्रवार को हुई बैठक में डीयू के प्रमुखों की नई टीम का गठन किया गया.

प्रोफेसर बलराम पाणि अब डीन (कॉलेज) हैं, डॉ श्रीप्रकाश सिंह दक्षिण परिसर के निदेशक हैं, डॉ पंकज अरोड़ा छात्र मामलों के नए डीन हैं, रजनी अब्बी प्रॉक्टर हैं और पायल मागो कैंपस ऑफ ओपन लर्निंग के निदेशक हैं.

बैठक के दौरान काउंसिल ने एक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया जिसमें एड-हॉक शिक्षकों और कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों के लिए मटेरनिटी लीव यानी मातृत्व अवकाश के लाभों को मंजूरी देना शामिल था.

काउंसिल के एक सदस्य राजपाल सिंह ने कहा, ‘एड-हॉक कर्मचारियों के लिए मैटरनिटी लीव एक ऐसा मुद्दा है जिसे हम काफी लंबे समय से उठा रहे हैं. हमें खुशी है कि वीसी इसके लिए प्रावधान करने पर सहमत हुए. यदि उनके मातृत्व अवकाश के दौरान उनका कार्यकाल समाप्त हो जाता है, तो उन्हें फिर से नियुक्त किया जाएगा और इस प्रक्रिया में मदद की जाएगी, वीसी ने हमें आश्वासन दिया.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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